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    कम लागत में अधिक आय का साधन है बकरी पालन

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 01 Aug 2021 12:01 AM (IST)

    जागरण संवाददाता औरैया वर्तमान परिवेश में बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है। यह भूमिहीन

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    कम लागत में अधिक आय का साधन है बकरी पालन

    जागरण संवाददाता, औरैया: वर्तमान परिवेश में बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय है। यह भूमिहीन, मजदूर, लघु व सीमांत कृषकों के लिए चलता फिरता एटीएम है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि बकरी ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। बकरी पालन से हमें दूध, खाद आदि कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। हमारी आकस्मिक आर्थिक जरूरत के समय भी यह सहायक है। किसानों की आय दोगुना करने में भी बहुत हद तक मददगार है।

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    सरपंच समाज कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विज्ञानी डा. बृज विकास सिंह का कहना है कि बकरी पालन की सावधानियों के संबंध में पूर्ण जानकारी करके व्यवसाय करें तो अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें वातावरण के अनुरूप ही नस्ल का चयन करना चाहिए। जनपद के लिए बरबरी नस्ल बकरी की बहुत ही उपयुक्त है। यमुना नदी के आसपास के क्षेत्र में व विकासखंड औरैया व अजीतमल में यमुनापारी नस्ल की बकरी पालन लाभकारी है। बरबरी नस्ल की बकरी 12 से 14 महीने में दो बार औसतन दो बच्चा देती है। एक वर्ष में एक बकरी से तीन से चार बच्चे प्राप्त होते हैं।

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    इस तरह बढ़ेगी किसानों की आय:

    किसान चार- पांच बकरियां व एक बकरा रखकर इन्हें पालते हैं। दिन में दो से तीन घंटे बाहर चराने ले जाते हैं तो एक वर्ष में लगभग 25 से 30 हजार का लाभ प्राप्त करते हैं। जमुनापारी बकरी अच्छी नस्ल की मानी जाती है। वर्ष में एक बार ही बच्चे देती है। लेकिन एक दिन में ढाई से तीन लीटर तक दूध देती है और ज्यादा कीमत में बिकती भी है। -----------

    जरूर बरतें यह सावधानी:

    किसान भाई 10 से 12 बकरियों पालने वाले किसान बच्चों को बड़े पशुओं से अलग रखने की सावधानी बरतें। पशु चिकित्सक की सलाह पर एक साल में चार बार पेट के कीड़े नाशक दवा खिलाएं। पीपीआर नामक बीमारी का टीकाकरण भी समय से कराएं। बारिश के मौसम में बकरियों को पानी से भींगने से बचाएं। गर्भित बकरी को अलग से 200 से 250 ग्राम दाना प्रतिदिन आहार में दें। सर्दियों में बकरी के बच्चों को टेटरासाइक्लिन नामक दवा पशु चिकित्सक की सलाह से पानी में घोलकर पिलाएं। न्यूमोनिया का खतरा कम हो जाता है। बकरी के बाड़े को समय-समय पर बुझे हुए चूने और फिनायल के पानी का छिड़काव कर साफ रखें। कृषि विज्ञान केंद्र परवाहा से अधिक जानकारी हो सकती है।