Updated: Mon, 03 Mar 2025 05:59 PM (IST)
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के आसपास बनने जा रहा है औद्योगिक गलियारा। इससे युवाओं को रोजगार के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। दो गांवों के 700 किसानों से जमीन खरीदी जा चुकी है। 90 प्रतिशत से अधिक जमीन उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के नाम हो चुकी है। किसानों को स्टांप आदि मिलाकर करीब 320 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, औरैया। युवाओं को रोजगार के लिए अब इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के आसपास औद्योगिक गलियारा बनने जा रहा है। दो गांवों के 700 किसानों से जमीन खरीदी जा चुकी है।
90 प्रतिशत से अधिक जमीन उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के नाम की जा चुकी है। मतलब 115 हेक्टेयर से अधिक जमीन की खरीद हो चुकी है। किसानों को स्टांप आदि मिलाकर करीब 320 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं।
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गांव मिहौली से 639 व निगड़ा 232 किसानों से जमीन खरीदी जा रही है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के आसपास सरकार उद्योगों को बढ़ावा दे रही है, जिससे अधिक से अधिक उद्योग लग सके। इसके लिए दो गांवों की जमीन पर एक्सप्रेसवे के इर्दगिर्द औद्योगिक गलियारा बनाए जाने की कवायद चल रही है।
नवंबर 2024 महीने में जमीनें चिह्नित की गई थी और इसके बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई। गलियारे के लिए 124 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है। वर्ष 2025 की शुरुआत में जिला प्रशासन से लेकर यूपीडा के अधिकारियों ने इस पर काम शुरू कर दिया।
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अब तक 90 प्रतिशत जमीन अधिग्रहित हो चुकी
जनवरी 2025 से लेकर अब तक 90 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण हो गया। 600 किसानों के कराए जा चुके हैं। रोजाना किसानों की जमीन का बैनामा कराया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
शासन की तरफ से एक साल पहले 369 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इसमें जमीन खरीदने से लेकर गलियारा स्थापित किया जाएगा। इसमें मिहौली व निगड़ा गांव के किसानों की जमीन खरीदी जा रही है।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व महेंद्र पाल सिंह ने बताया कि औद्योगिक गलियारा को लेकर 90 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण का काम हो गया है। जल्द ही बाकी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
अधिग्रहण के बाद ले-आउट होगा तैयार
यूपीडा के डिप्टी कलेक्टर दिनेश चंद्र ने बताया कि जब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। तो फिर ले-आउट बनाया जाएगा। जिसके जो भी कंपनी अपना उद्योग लगाने की इच्छुक होगी वह प्लांट लेंगी। प्लाट आवंटन होने के बाद वह उद्योग लगा सकती है। अधिकतर वह कंपनियां आएगी जो बी ग्रेड की है यानी प्रदूषण कम फैलाती है।
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