Bareilly: तेज बुखार आने पर झोलाछाप के पास पहुंचा राजमिस्त्री का परिवार, सही इलाज न मिलने से चली गई इकलौते चिराग की जान
बुखार आने के बाद झोलाछापों से उपचार लोगों की मौत का कारण बन रहा है। ऐसा ही एक गरीब राजमिस्त्री के साथ हुआ। उनके पुत्र को बुखार आने पर पहले गांव के झोलाछाप से पांच दिन इलाज कराया मगर तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इकलौते चिराग को बचाने के लिए स्वजन ने लोगों का कर्जा भी किया व जमा पूंजी भी लगा दी फिर भी जान न बच सकी।

संवाद सहयोगी, मंडी धनौरा। बुखार आने के बाद झोलाछापों से उपचार लोगों की मौत का कारण बन रहा है। ऐसा ही एक गरीब राजमिस्त्री के साथ हुआ। उनके पुत्र को बुखार आने पर पहले गांव के झोलाछाप से पांच दिन इलाज कराया मगर, तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इकलौते चिराग को बचाने के लिए स्वजन ने लोगों का कर्जा भी किया व जमा पूंजी भी लगा दी फिर भी जान न बच सकी।
गांव कुआं खेड़ा में फरमान का परिवार रहता है। उनके तीन पुत्री व एक पुत्र है। सबसे बड़ा 13 वर्षीय पुत्र अबूजर कक्षा सात का छात्र था। उनका जन्म वर्ष 2011 में हुआ था। 23 अक्टूबर को अबुजर को तेज बुखार आया था। स्वजन उपचार के लिए गांव में झोलाछाप के पास पहुंचे। यहां बच्चे को पांच दिन तक भर्ती रखा। मगर, हालात में सुधार होने के बजाय तबीयत बिगड़ गई।
30 घंटे इमरजेंसी में भर्ती
झोलाछाप ने 20 हजार पीड़ित परिवार से उपचार के नाम पर ले लिए। इसके बाद स्वजन 29 अक्टूबर को छात्र को अमरोहा के एक निजी चिकित्सालय पर लेकर पहुंचे। करीब 30 घंटे तक बच्चे को इमरजेंसी में भर्ती रखा। हालत में सुधार नहीं होने पर मुरादाबाद के लिए रेफर कर दिया। तीमारदारों से 25 हजार अस्पताल ने ले लिए।
एक नवंबर को अबुजर को मुरादाबाद के एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। यहां भी 20 हजार ले लिए। इस दौरान गरीब मजदूर ने 40 हजार का कर्जा भी लिया। साथ अपनी जमा पूंजी उपचार में लगा दी। अब वह गांव में उपचार करा कर पछता रहे हैं। साथी लोगों को सही उपचार लेने की सलाह दे रहे हैं। क्षेत्र में लगातार बुखार के मामले बढ़ रहे हैं। गांव के भी करीब आधा दर्जन मरीज उपचार के लिए मुरादाबाद व मेरठ के अस्पतालों में भर्ती है।
मंडी धनौरा चिकित्सा अधीक्षक डा.मनदीप सिंह के अनुसार, डेंगू से मौत होने की कोई सूचना नहीं है। गांव में टीम भेजकर जांच कराई जाएगी। स्वास्थ्य विभाग बार-बार लोगों को समझा रहा है कि वह अस्पताल आकर अपने मरीज का उपचार कराये। झोलाछापों के चंगुल में नहीं फंसे।
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