9 साल के ओम का दर्द: पहले मां गई, अब गंगा एक्सप्रेसवे हादसे में बुआ भी नहीं रही, बुआ ने 3 साल पाला था
गंगा एक्सप्रेसवे हादसे में 9 साल के ओम ने अपनी बुआ को खो दिया, जिन्होंने उसकी मां के देहांत के बाद उसे पाला था। इस दुर्घटना ने ओम को फिर से अनाथ कर दिया है। ओम का भविष्य अनिश्चित है और उसे सहारे की सख्त जरूरत है।
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फाइल फोटो
संवाद सूत्र, जागरण, आदमपुर(अमरोहा)। 'दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है' यह कहावत ओम कुमार पर सटीक बैठ रही है। नौ वर्ष की उम्र में मां के बाद अब बुआ का भी सिर से साया उठने का गम उसके चेहरे पर साफ झलक रहा है। मूलरूप से चंदौसी निवासी सचिन कुमार के पुत्र ओम कुमार की मां पिंकी की पांच वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी। उस समय ओम की उम्र चार वर्ष थी।
मां की ममता के चले जाने के बाद संभल हादसे में जान गंवाने वाली रोहित की पत्नी रीनू अपने बच्चों के साथ अपने भाई के मासूम बेटे ओम का भी सहारा बन गई थी। वह भतीजे ओम को करीब तीन वर्ष पहले अपने घर आदमपुर ले आई थी। बुआ रीनू के लाड में वह मां का गम भूलने लगा था।
बचपन में मां की मौत से गुमसुम रहने वाला ओम अपने फुफेरे बहन-भाइयों के साथ खुश रहने लगा था। बुआ ने अपने बच्चों के साथ उसे स्कूल में भी प्रवेश दिलाया था, वह कक्षा एक में पढ़ रहा है। लेकिन पहले मां और अब बुआ का साया भी सिर से उठने का गम ओम कुमार के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा है।
उसे चारों तरफ अब अंधेरा ही नजर आ रहा है। बुआ रीनू, फुफेरी बहन रिया और भाई भास्कर को याद कर वह जार-जार रो रहा है। नौ वर्ष की उम्र में ओम को मिले गम देखकर गांव के लोग भी गमगीन हैं। घर पर लोगों की भीड़ के बाद ओम तन्हा है।
कार में उल्टी आने की आदत से बच गई जान
ओम कुमार को बचपन से ही कार में सफर करने के दौरान उल्टी आती हैं। अगर उल्टी न आती तो वह बुआ के साथ नामकरण संस्कार में दावत खाने जरूर जाता। उल्टी आने के कारण बुआ ओम को घर पर छोड़ गई थी। लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि ओम को घर पर हमेशा के लिए छोड़ रही हैं। कुल मिलाकर लोगों का यही मानना है कि कार में उल्टी की आदत से ही ईश्वर ने उसकी जान बचाई है।
रिया, भास्कर और जय को स्कूल से ले गए थे स्वजन
गुरुवार को रोहित कुमार के तीनों बच्चे प्रतिदिन की तरह डिवाइन पब्लिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने गए थे। लंच के समय में पिता रोहित तीनों बच्चों को स्कूल से ले आए थे और रास्ते में उनकी ड्रेस उतारने के बाद सादा कपड़े पहना दिए थे, कहा था कि चलो तुम्हारी दादी के घर चल रहे हैं। रिया कक्षा तीन और भास्कर कक्षा दो में पढ़ रहा था। जबकि गंभीर रूप से घायल जय कुमार कक्षा पांच में पढ़ता है।
मुरादाबाद में चल रहा पिता-पुत्र का इलाज
सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए रोहित कुमार और उनके बड़े बेटे जय कुमार का मुरादाबाद के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। रात भर के इलाज के बाद उनकी हालत में कुछ सुधार बताया जा रहा है। हालांकि पिता-पुत्र को अपने बाकी परिवार के दुनिया से चले जाने की अभी जानकारी नहीं है।

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