प्रदेश में तीसरा स्थान मिलने के बावजूद अमरोहा में 6 माह में 59 स्टिल बर्थ! 'गर्भ में शिशुओं की मौत' रोकने में क्यों हो रही चूक?
अमरोहा में 6 माह (अप्रैल-सितंबर) में 59 शिशुओं की गर्भ में मौत (स्टिल बर्थ) हुई है। सुरक्षित मातृत्व अभियान के बावजूद यह स्थिति चिंताजनक है। विशेषज्ञ बताते हैं कि 28वें हफ्ते के बाद पीठ के बल सोना, पोषण की कमी और जाँच न कराना मुख्य कारण हैं। सही देखभाल से बचाव संभव है।
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प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, अमरोहा। गर्भावस्था के दौरान स्टिल बर्थ (गर्भ में शिशुओं की मृत्यु) की रोकथाम में जनपद ने प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। इसके बावजूद, गर्भ में शिशुओं की मौत के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। एक अप्रैल से 30 सितंबर के बीच 59 शिशुओं की गर्भ में मृत्यु हो गई है। यह स्थिति चिंताजनक है, खासकर तब जब सरकार ने शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शुरू किया है।
इस अभियान के तहत सरकारी अस्पतालों में गर्भवतियों की नियमित जांच की जा रही है, जिसमें हाईरिस्क गर्भवतियों को मुफ्त अल्ट्रासाउंड और इलाज की सुविधा दी जा रही है। सरकार ने जच्चा-बच्चा की मृत्युदर को नियंत्रित करने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया है। हर माह चार दिन सीएचसी-पीएचसी में गर्भवतियों की हीमोग्लोबिन, एचआईवी, यूरिन आदि की जांच की जाती है। इसके अलावा, गर्भवतियों को लाने-ले जाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है।
आशाओं को गर्भवतियों की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया है। फिर भी, गर्भ में शिशुओं की मृत्यु का सिलसिला थम नहीं रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एक अप्रैल से सितंबर तक 6,883 गर्भवतियों के प्रसव हुए, जिनमें से 6,110 नार्मल और 773 आपरेशन के माध्यम से हुए। इस दौरान 0.42 प्रतिशत की उपलब्धि के साथ जनपद ने स्टिल बर्थ के मामले में प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। लेकिन, लापरवाही के कारण 59 शिशु गर्भ में ही दम तोड़ चुके हैं, जिनमें 13 लड़कियां और 46 लड़के शामिल हैं।
यह है स्टिल बर्थ
जिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. प्रियंका ने बताया कि यह गर्भावस्था के 20वें सप्ताह या उसके बाद गर्भ में शिशु की मृत्यु को दर्शाता है। इसे गर्भपात से अलग माना जाता है, जो आमतौर पर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले होता है। स्टिल बर्थ के कई कारण हो सकते हैं, जिनकी पुष्टि दिल की धड़कन जैसे संकेतों से की जाती है।
यह है प्रमुख कारण
डा. प्रियंका ने बताया कि गर्भावस्था के 28वें हफ्ते के बाद पीठ के बल सोने से स्टिल बर्थ का खतरा दोगुणा हो जाता है, क्योंकि इससे शिशु में रक्त और आक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है। पोषणयुक्त भोजन का अभाव और समय पर जांच न कराना भी इसके प्रमुख कारण हैं। गर्भावस्था के दौरान कुछ सावधानियां बरतकर स्टिल बर्थ के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके लिए मां की उम्र, वजन, बीएमआई, जेनेटिक बीमारियों, पारिवारिक इतिहास और जीवनशैली पर ध्यान देना आवश्यक है।
ऐसे करें बचाव
- गर्भ के 28वें हफ्ते के बाद पीठ के बल नहीं, बल्कि बाईं करवट लेकर सोएं।
- समय-समय पर सरकारी अस्पताल में अपनी जांच कराएं।
- पोषणयुक्त भोजन का सेवन करें।
- शराब, सिगरेट और दर्द निवारक दवाओं का सेवन तुरंत बंद कर दें।
- चिकित्सक की सलाह से डायबिटीज, बीपी और ओबेसिटी का इलाज कराएं।
- प्रसव से पहले आर्थिक, भावनात्मक और अन्य समस्याओं के कारण होने वाले तनाव से बचें।

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