चर्चा में रही कांग्रेस की गुटबाजी, पूर्व विधायक प्रकरण भी छाया, अमरोहा में सालभर होती रही सियासी उथल-पुथल
अमरोहा में साल 2025 राजनीतिक उथल-पुथल भरा रहा, जिसमें सभी प्रमुख दलों में भीतरी गुटबाजी खुलकर सामने आई। कांग्रेस में पूर्व सांसद दानिश अली और सचिन चौध ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता, अमरोहा। साल 2025 अंतिम पडाव पर है। सालभर जिले में कई बड़े राजनीतिक कार्यक्रम हुए तो लगभग सभी दलों में चल रही भीतरी गुटबाजी उभर कर सामने भी आई। जिले की राजनीति सालभर कई कारणों से चर्चा में रही है।
लगभग सभी दल में गुटबाजी देखने को मिली है। इनमें कांग्रेस की गुटबाजी तो खूब चर्चा में रही है। पूर्व सांसद कुंवर दानिश अली, पूर्व प्रदेश सचिव सचिन चौधरी व जिलाध्यक्ष ओमकार कटारिया के बीच मतभेद इंटरनेट मीडिया पर भी छाए रहे हैं। वहीं गजरौला में पूर्व विधायक के साथ मारपीट का मामला भी खासा तूल पकड़ा था।
2025 में जिले की राजनीतिक गतिविधियों को देखें तो सबसे अधिक भाजपा व कांग्रेस के जिला संगठन चर्चा में रहे। भाजपा की स्थिति यानि भीतरघात गजरौला व मंडी धनौरा में खूब उभर कर सामने आया है।
सितंबर में गजरौला पालिकाध्यक्ष पति व पूर्व विधायक हरपाल सिंह के साथ अभद्रता की गई तो दूसरे पक्ष पर एक विधायक के इशारे पर हमला करने का आरोप भी लगा था।
हालांकि, इस मामले में पुलिस कार्रवाई भी हुई। परंतु दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर भाजपा विरोधी होने का आरोप लगाते हुए इंटरनेट मीडिया पर वीडियो भी प्रसारित किए थे। भाजपा की दूसरी गुटबाजी मंडी धनौरा में सामने आई थी। क्षेत्रीय विधायक राजीव तरारा व पालिकाध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल के बीच रामलीला मैदान की भूमि को लेकर विरोधाभास रहा था।
एक दूसरे की शिकायतें पार्टी हाईकमान तक की गई थीं। लगभग महीना भर यह प्रकरण चर्चा में रहा था। इस सबके इतर सालभर कांग्रेस के नेता खूब चर्चा में रहे थे। कांग्रेस की गुटबाजी कई वर्षों से चरम पर है, जहां एक तरफ नगराध्यक्ष की घोषणा होने के बाद जिला इकाई व नगर इकाई दो धड़ों में बंट गई थी।
आज तक दोनों धड़े पार्टी के कार्यक्रम भी एक शहर में अलग-अलग कर रहे हैं। वहीं पूर्व सांसद दानिश अली व पूर्व प्रदेश सचिव सचिन चौधरी के बीच भी तकरार हुई थी। दोनों ने इंटरनेट मीडिया पर आकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किए थे। हालांकि मनमुटाव के बीच ही यह मामला शांत हो गया है। परंतु अलगाव बदस्तूर जारी है।
वहीं, बसपा भी भीतरघात के मामले में पीछे नहीं रही। पार्टी हाईकमान ने इस साल सोमपाल सिंह को जिलाध्यक्ष के पद के हटा कर महेश कुमार को जिलाध्यक्ष घोषित किया था।
परंतु संगठन में अंदरूनी विरोध शुरू हुआ तो मामला हाईकमान तक पहुंचा तथा अपना फैसला बदल कर मात्र 12 दिन में ही जिलाध्यक्ष बदल कर फिर से सोमपाल सिंह को जिले की कमान दे दी थी। अब नए साल 2026 में जहां भाजपा में नए जिलाध्यक्ष के मनोनयन को लेकर सरगर्मियां हैं तो वहीं कांग्रेस में भी संगठन का नए सिरे से विस्तार की चर्चाएं हैं।

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