नशीली दवाओं के खेल में करोड़ों की जीएसटी चोरी: जोया के दो मेडिकल स्टोर सील, रजिस्ट्रेशन निरस्त
उत्तर प्रदेश के जोया में नशीली दवाओं के खेल में करोड़ों की जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है। जिसके चलते दो मेडिकल स्टोर सील कर दिए गए हैं और उनका रजि ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, अमरोहा। कस्बा जोया में नशीली दवाओं के अवैध कारोबार के साथ जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ कि यहां संचालित दो मेडिकल स्टोरों ने करोड़ों रुपये का कारोबार किया। लेकिन सरकार को जीएसटी नहीं दी। मामला सामने आने पर औषधि विभाग की सूचना पर वाणिज्य कर विभाग ने दोनों फर्मों का जीएसटी पंजीकरण निरस्त कर दिया है। अब संबंधित फर्मों के नाम पर कोई भी बिलिंग नहीं हो सकेगी। वाणिज्य कर विभाग ने वित्तीय जांच भी शुरू कर दी है।
27 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में औषधि निरीक्षक पंकज गौतम ने एएनटीएफ टीम के साथ ऊना-नंगल रोड स्थित रक्कड़ कालोनी में मैसर्स रैपिड रिलीफ मेडिकोज पर छापा मारा था। कार्रवाई के दौरान नशीली टैबलेट कोविटाडोल-100 एसआर के 55 पत्ते बरामद किए गए थे।
दवाओं के रैपर पर निर्माता कंपनी पीबी लाइफ साइंसेज, बद्दी (हिमाचल प्रदेश) का नाम अंकित मिला। इस पर टीम ने कंपनी के अधिकारियों से बातचीत की थी। इसमें पता चला कंपनी ने कोविटाडोल-100 एसआर टैबलेट के 490 पत्ते मैसर्स एएस फार्मा और 507 पत्ते मैसर्स केयर मेडिकोज को सप्लाई किए थे।
दोनों फर्में मुहल्ला चौधरियान वार्ड दो कस्बा जोया जिला अमरोहा में पंजीकृत थीं। इस संबंध में ऊना के औषधि निरीक्षक ने मुरादाबाद मंडल के सहायक आयुक्त अरविंद गुप्ता और अमरोहा में तैनात औषधि निरीक्षक रूचि बंसल को सूचना दी थी। इसके बाद स्थानीय औषधि विभाग ने जांच शुरू की, लेकिन निरीक्षण के दौरान दोनों मेडिकल स्टोर बंद मिले।
19 सितंबर 2025 को मैसर्स केयर मेडिकोज फर्म स्वामी को उनके आधारकार्ड पर अंकित नाम व पते गगनदीप निवासी डी-353 पीरागढ़ी कैंप शकूर बस्ती, डिपो उत्तर पश्चिम दिल्ली-110056 और फर्म मैसर्स एएस फार्मा के स्वामी आदित्य कुमार गिरी निवासी प्रथमेश आर्केड, फ्लैट नंबर 203 प्लाट नंबर 202, सेक्टर तीन, उलवे, पनवेल रायगढ़ महाराष्ट्र 410206 पर नोटिस भेजा था।
परंतु किसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया। 28 नवंबर को औषधि निरीक्षक ने मेडिकल स्टोरों पर नोटिस चस्पा कर दिया था। हालांकि, विभाग ने अभी दोनों मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस निरस्त नहीं किए गए हैं। लेकिन विभागीय कार्रवाई जारी है। इसी जांच के दौरान यह भी सामने आया कि दोनों फर्मों ने जीएसटी का भुगतान नहीं किया।
मैसर्स केयर मेडिकोज का पंजीकरण राज्य जीएसटी में था। जबकि मैसर्स एएस फार्मा केंद्रीय क्षेत्राधिकार (सीजीएसटी) में पंजीकृत थी। प्रपत्रों में की गई बिलिंग के आधार पर करोड़ों रुपये का व्यापार होने के बावजूद किसी भी फर्म ने जीएसटी जमा नहीं की। इस पर वाणिज्य कर विभाग ने दोनों फर्मों का पंजीकरण निरस्त कर दिया है।
किराए की दुकानों में चला रहे थे नशीली दवाओं का कारोबार
नशीली दवाओं का यह कारोबार किराए पर ली गई दुकानों से संचालित किया जा रहा था। एक फर्म का संचालक महाराष्ट्र और दूसरा दिल्ली का निवासी है। मामले के खुलासे के बाद औषधि विभाग सख्त हो गया है। अब मेडिकल स्टोर का लाइसेंस जारी करने से पहले किराएदार का पुलिस सत्यापन अनिवार्य किया जाएगा। साथ ही किराएदार से शपथ पत्र भी लिया जाएगा।
दोनों मेडिकल स्टोर संचालकों ने जीएसटी जमा नहीं की है और बिलिंग के आधार पर कारोबार किया है। दोनों की फर्म का पंजीकरण निरस्त करा दिया गया है। मामले में आगे की कार्रवाई वाणिज्य कर विभाग करेगा। कितने का व्यापार किया, इसका पता लगाएगा। उसको भी प्रकरण की जानकारी दी गई है।
रूचि बंसल, निरीक्षक औषधि विभाग
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