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    गांधी पर‍िवार के करीबी, सोन‍िया के 'चाणक्‍य'; कौन हैं केएल शर्मा ज‍िन्‍हें कांग्रेस ने अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा

    Updated: Fri, 03 May 2024 08:54 AM (IST)

    केएल शर्मा मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से गांधी परिवार के करीबी हैं। अमेठी व रायबरेली में वही चुनावी रणनीति बनाने और संचालित करने का काम करते आए हैं। किशोरी लाल को सोनिया के लिए चाणक्य का किरदार निभाने वाला माना जाता है। वह 1983 से रायबरेली और अमेठी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

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    कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा।

    ड‍िजिटल डेस्‍क, नई द‍िल्‍ली। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के प्रतिनिधि व पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय सचिव किशोरी लाल शर्मा को पार्टी ने अमेठी से चुनावी मैदान में उतारा है। केएल शर्मा चुनावी रणनीति की कमान संभाल हुए थे। आइए जानते हैं कौन हैं केएल शर्मा, ज‍िनपर कांग्रेस ने अमेठी जैसी हाईप्रोफाइल सीट पर दांव लगाया है।

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    केएल शर्मा मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले हैं। वह लंबे समय से गांधी परिवार के करीबी हैं। अमेठी व रायबरेली में वही चुनावी रणनीति बनाने और संचालित करने का काम करते आए हैं। किशोरी लाल को सोनिया के लिए चाणक्य का किरदार निभाने वाला माना जाता है। वह 1983 से रायबरेली और अमेठी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। 

    कैप्टन सतीश शर्मा और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी दोनों मित्र थे। पुराने कांग्रेसी बताते हैं क‍ि कैप्टन शर्मा के माध्यम से ही किशोरी लाल राजीव गांधी के संपर्क में आए। तब वह नेहरू युवा केंद्र के जिला युवा समन्वक की नौकरी छोड़कर कैप्टन सतीश शर्मा के साथ अमेठी आए। जब राजीव अमेठी के सांसद रहे तो किशोरी, कैप्टन शर्मा के साथ मिलकर उनका काम देखते थे।

    सोन‍िया की जीत में अहम भूम‍िका

    राजीव ने सबसे पहले इन्हें तिलोई विधानसभा की जिम्मेदारी दी, जो उस समय जनपद में शामिल रहा। 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया की अमेठी से जीत में किशोरी लाल की अहम भूमिका रही। चुनाव के बाद पांच साल तक किशोरी ने अमेठी में रहकर पूरी जिम्मेदारी संभाली।

    सांसद प्रत‍िन‍िधि की संभाली ज‍िम्‍मेदारी

    2004 में सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद बनीं तो सांसद प्रतिनिधि की जिम्मेदारी संभाली। सांसद सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में भी उनके कार्यालय आने वाले हर एक जरूरतमंद की हरसंभव मदद की। इसके बाद के चुनावों में उनके कुशल प्रबंधन का ही नतीजा रहा कि सोनिया को शानदार जीत मिली।

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