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    चौधरी परिवार ने शुरू कराई थी जायस की रामलीला, 150 वर्षों से चली आ रही अनूठी परंपरा

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 04:48 PM (IST)

    अमेठी के जायस में चौधरी परिवार द्वारा 150 साल पहले शुरू की गई रामलीला आज भी जारी है। हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग इसे देखने आते हैं। पहले यह रामलीला मशाल और लालटेन की रोशनी में होती थी लेकिन अब आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है। स्थानीय कलाकार ही इसमें भाग लेते हैं और वाराणसी-प्रयागराज से श्रृंगार सामग्री मंगाई जाती है।

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    चौधरी परिवार ने शुरू कराई थी जायस में रामलीला

    जागरण संवाददाता, अमेठी। विश्व विख्यात कवि मलिक मोहम्मद जायसी व गुरु गोरखनाथ की जन्मस्थली जायस के मुहल्ला चौधराना में चौधरी परिवार 150 वर्ष पहले रामलीला शुरू कराई थी। तब से आज तक रामलीला का मंचन लगातार शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन से प्रारंभ होकर विजयादशमी तक किया जाता है।

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    हिंदू-मुस्लिम श्रद्धा से रामलीला का मंचन देखने पहुंचते हैं। 1857 ईवी की क्रांति के समय नगर के चौधरी परिवार के बुजुर्ग स्व. चौधरी गुरुचरण दयाल ने पहली बार रामलीला का आयोजन किया था। उनके बाद वंशज चौधरी गोपीनाथ, परिवारजन व बाद में रामलीला की बागडोर नगर के बुजुर्ग पंडित राधेश्याम पांडेय ने संभाली।

    नौ वर्ष पहले उनका भी देहांत हो गया। इसके बाद रामलीला कमेटी का नए सिरे से गठन हुआ। जिसके अध्यक्ष राजाराम सोनी हैं। रामलीला में दशरथ-कैकई संवाद से लेकर अंगद-रावण संवाद तक रामलीला में मंचन होता है। विजयादशमी को नगर के ऐतिहासिक बरगद्दी सागर पर रावण वध का अंतिम मंचन किया जाता है, जिसे देखने के लिए नगर सहित आसपास के हजारों लोग पहुंचते हैं।

    मशाल, लालटेन व चिराग की रोशनी में होता था मंचन

    अध्यक्ष ने बताया कि सबसे पुरानी रामलीला को देखने के लिए पहले लोग बैलगाड़ी में बैठकर आया करते थे। तब रामलीला का मंचन मशाल, लालटेन व चिराग की रोशनी में होता था। समय के बदलाव के साथ रामलीला का मंचन बेहतर और आधुनिक उपकरणों से लैस हो गया है।

    उपाध्यक्ष सतेंद्र पांडेय, महामंत्री संजय मिश्रा, कोषाध्यक्ष सुशील वर्मा, वरिष्ठ कलाकार व कमेटी के सदस्य धर्मेंद्र वर्मा ने बताया कि नगर के सेठ, साहूकार, सनातनी प्रेमी, रामलीला शुभेच्छु से समर्पण धनराशि ली जाती है। रामलीला के आयोजन में लगभग दो लाख रुपये का खर्च आता है।

    नगर के लोग बनते थे कलाकार

    रामलीला का मंचन स्थानीय लोगों के द्वारा किया जाता है। कलाकार धर्मेंद्र वर्मा, राहुल वर्मा, पप्पू सोनी, मोहित साहू, राम शंकर साहू, अजय श्रीवास्तव, अनोखे लाल सोनकर, रामभवन प्रजापति, अवधेश कौशल व रामचंद्र सोनी ने बताया कि रामलीला के मंचन में कोई भी कलाकार बाहर से नहीं आता, बल्कि नगर के ही सभी कलाकार रामलीला के मंचन में परंपरागत तरीके से हिस्सा लेते हैं। मंचन के सभी में उत्साह रहता है।

    वाराणसी व प्रयागराज से मंगाई जाती है श्रृंगार सामग्री

    कलाकारों ने बताया कि वाराणसी व प्रयागराज से श्रृंगार सामग्री मंगाई जाती है। मंचन के लिए कलाकार आपस में एक दूसरे का श्रृंगार करते हैं। कलाकार रामलीला आरंभ होने से दो तीन महीना पहले से ही अपने अभिनय का पूर्वाभ्यास शुरू कर देते हैं। रामलीला मंचन के दौरान प्रशासन पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ मुस्तैद रहती है। पालिका प्रशासन भी रामलीला मैदान की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चाक चौबंद रखती है।