'बिना भूख के भोजन खाना ठीक नहीं', कैसे करेगा सेहत पर असर? छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक के जरिए बताया
अमेठी के धनपाला मेमोरियल स्कूल की छात्राओं ने बिना भूख के खाते रहना ठीक नहीं कहानी पर नुक्कड़ नाटक किया। नाटक में भूख न लगने के कारणों और परीक्षा के तनाव को दर्शाया गया। छात्राओं ने बताया कि जबरदस्ती खाने से स्वास्थ्य खराब हो सकता है। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से संतुलित भोजन समय पर भोजन और खेलकूद को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने का संदेश दिया गया।

जागरण संवाददादा, अमेठी। दैनिक जागरण के संस्कारशाला में बुधवार व शनिवार को प्रकाशित कहानी प्रतिबद्धता से व्यक्तित्व निर्माण की श्रृंखला की दूसरी कड़ी बिना भूख के खाते रहना ठीक नहीं प्रकाशित किया गया।
जिस पर धीरापुर (कैथा गांव) गांव स्थित धनपाला मेमोरियल स्कूल में छात्राओं ने एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया। छात्रों ने कहानी पर अपने विचार रखे।
छात्राओं ने प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक में खासकर भूख न लगने के कारणों को लेकर मंचन किया। नुक्कड़ नाटक का मूल उद्देश्य यह था कि किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए जितनी प्रतिबद्धता जरूरी है उतना ही स्वस्थ रहना भी।
नुक्कड़ नाटक में छात्राओं ने प्रस्तुत नुक्कड़ में परीक्षा के दौरान तनाव के चलते भूख न लगने पर मां अपने बच्चे को किस प्रकार खाना खाने के लिए दुलारती और प्रेरित करती हैं और कहती हैं कि खाना खाओ नहीं तो कमजोरी आएगी। परीक्षा कैसे दोगे।
लेकिन, बच्चे का एक ही जवाब होता है कि मां मुझे भूख नहीं है। लगातार खाने का दबाव बनाने पर वह झुंझलाहट महसूस करने लगता है।दबाव में बिना भूख के खाने से स्वास्थ्य खराब हो सकता है। नुक्कड़ के दौरान छात्रों ने विभिन्न नारे और संदेश प्रस्तुत किए, जैसे जब भूख तभी खाना, जबरदस्ती का खाना सेहत का दुश्मन, खेल से भूख, भूख से सेहत, भोजन दवा है, सही समय पर लो फायदा है।
अच्छे स्वास्थ्य के बल पर किसी भी विषय में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए दूर दृष्टि और पक्का इरादा तो होना ही चाहिए साथ ही स्वास्थ्य अच्छा रहना जरूरी है। नुक्कड़ नाटक में नंदिनी यादव, सौम्या सिंह, एकता शुक्ला, अमीना जाबेद, प्राची आदि ने प्रतिभाग किया।
विद्यार्थियों ने अभिनय के माध्यम से यह समझाया कि जबरदस्ती या बिना भूख के भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। वहीं संतुलित भोजन, समय पर भोजन और खेलकूद को जीवन का हिस्सा बनाना सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रतीक्षा शुक्ला, प्रधानाचार्या, धनपाला मेमोरियल स्कूल
आज के समय में बच्चों को केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन के व्यवहारिक ज्ञान की भी आवश्यकता है। इस प्रकार की गतिविधियां विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
डा. अविनाश मिश्र, प्रबंधक, धनपाला मेमोरियल स्कूल।
अच्छे स्वास्थ्य से हम हर कार्य में सफल होंगे। किसी कार्य को करने में आत्मविश्वास बढ़ता है। जब व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूरा करता है, तो उसे अपनी क्षमताओं पर विश्वास होता है। इसलिए स्वस्थ रहना बहुत ही जरूरी है।
अमीना जावेद,छात्रा।
अधिक चुनौतीपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने में कभी कभी भूख गायब हो जाती है। ऐसे में साहस और धैर्य की आवश्यकता है। हमें संयम से काम लेकर सही मात्रा में पौष्टिक आहार लेना चाहिए। जिससे हमें किसी प्रकार की दिक्कत न आए।
एकता शुक्ला, छात्रा।
किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वस्थ रहने की जरूरत होती है। ऐसे में सभी दिनचर्या के कार्य संयमित होने चाहिए। चाहे भोजन हो या अन्य रोजमर्रा से जुड़े कार्य। सही समय पर सही चीज का उपयोग करना चाहिए।
सौम्या सिंह, छात्रा।
रोजमर्रा के जीवन में संयम रखने के लिए हर कार्य का समय निर्धारित रखने की आवश्यकता है। जब हर कार्य निर्धारित दिन चर्या में करेंगे तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। इसलिए हमें अपने दिनचर्या को ठीक रखने की जरूरत है।
नंदिनी यादव, छात्रा।
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