लगातार हो रही बारिश से नदी जलस्तर का बढ़ना जारी, घाघरा नदी काट रही किनारे; आगोश में 50 बीघा से अधिक कृषि भूमि
घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से आलापुर के तटीय इलाकों में कटान से किसानों की भूमि नदी में समाहित हो रही है। कटान रोकने की बाढ़ प्रखंड के महीनों की कवायद विफल है।इटौरा ढोलीपुर व आसपास के करीब 50 बीघा से अधिक कृषि भूमि नदी में समा चुकी है। पहाड़ों तथा मैदानी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से नदी के जलस्तर में वृद्धि का सिलसिला जारी है।

संवाद सूत्र, जहांगीरगंज (अंबेडकरनगर): घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से आलापुर के तटीय इलाकों में कटान से किसानों की भूमि नदी में समाहित हो रही है। कटान रोकने की बाढ़ प्रखंड के महीनों की कवायद विफल है।इटौरा ढोलीपुर व आसपास के करीब 50 बीघा से अधिक कृषि भूमि नदी में समा चुकी है। पहाड़ों तथा मैदानी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से नदी के जलस्तर में वृद्धि का सिलसिला जारी है।
तटवर्ती हिस्सों में खेती योग्य जमीन व बाग-बगीचे नदी में हो रहे समाहित
इटौरा ढोलीपुर के पूर्वी तट मांझा कम्हरिया में किसान परमात्मा सिंह की करीब 100 पेड़ों की शीशम की बाग अब नदी में समाहित होने की कगार पर है। कम्हरिया घाट, आराजी देवारा, सरायहंकार व गोपापुर के ग्रामीणों के लिए खतरे की घंटी है। कटान से तटवर्ती हिस्सों में कृषि योग्य भूमि एवं बाग-बगीचों का नदी में समाहित होने का सिलसिला भी जारी है।
रोकथाम के ठोस उपाय की आवश्यकता
बीते कुछ वर्षों में घाघरा नदी की बाढ़ से इटौरा ढोलीपुर, कम्हरिया, मुबारकपुर पिकार, बहोरिकपुर व आराजी देवारा आदि गांवों में किसानों की 300 बीघा से अधिक कृषि भूमि नदी में समाहित हो चुकी है। इस बार भी जब पानी बढ़ा तो नदी धीरे-धीरे इटौरा ढोलीपुर के पूर्वी तटीय हिस्सों को अपनी आगोश में लेना शुरू कर दिया। समय रहते रोकथाम का ठोस उपाय नहीं हुआ तो नजदीकी गांवों पर भी कटान का खतरा बढ़ेगा।
बाढ़ प्रखंड की कोशिशें बेकार साबित हो रही है। गांव के बाहर सड़क तक निगरानी व रिपोर्टिंग की औपचारिकता पूरी करते हैं। एसडीएम सौरभ शुक्ल ने बताया कि नदी की स्थित पर लगातार नजर रखी जा रही है, जरूरी उपाय भी किए जा रहे हैं।
जियो ट्यूब पानी धंसा, कार्य पर बाढ़ ने फेरा पानी
बाढ़ एवं अनुरक्षण खंड वाराणसी ने नदी के दाएं तट पर मांझा कम्हरिया एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय महटोली आराजी देवारा आदि गांवों को बाढ़ तथा कटान से सुरक्षित करने में ड्रेजिंग ने रिवर परियोजना शुरू की। लगभग चार करोड़ रुपये खर्च होने थे। 3.5 किलोमीटर लंबी, 45 मीटर चौड़ी तथा 4.75 मीटर गहरी खोदाई कर जियो ट्यूब चैनल बना नदी की धारा को बदलकर किनारों पर पानी के बहाव को परिवर्तित किया जाना था।
अपने स्थान से खिसक करन धंसने लगे जियो ट्यूब
इस साल एक मई से शुरू कार्य को 30 जून तक पूरा करना था। शुरुआती दौर से लगाए गए जियो ट्यूब कई जगहों पर अपने स्थानों से खिसक कर धंसने लगे। परियोजना का कार्य समय से पूरा न हुआ तो अब तक हुआ कार्य पर बाढ़ ने पानी फेर दिया। बचे शेष जियो ट्यूब भी खिसककर पानी में धंस गए।
जियो ट्यूब, पालीमर प्रोपेलीन मैटेरियल का एडवांस तकनीक से बना हार्ड सिंथेटिक कपड़ा है। इसमें रेत आदि भरकर नदी के किनारों पर लगाया जाता है। यह लंबे समय तक सुरक्षित रहकर कटान रोकता है।
वाराणसी सिंचाई युवा जल संसाधन विभाग अवर अभियंता संदीप चौहान के अनुसार, मांझा कम्हरिया में कटान की समस्या बहुत ही भयावह स्थिति है। कम समय होने के कारण पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाया। नदी के कटान से सुरक्षा के लिये लम्बा कार्य करने की आवश्यकता है। इसे अगली बार सही करने का प्रयास किया जाएगा।
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