Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    अंबेडकरनगर मेडिकल कॉलेज में दो मशीनों पर डायलिसिस शुरू, मरीजों को महंगे खर्च से मिलेगा छुटकारा

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 02:35 PM (IST)

    अंबेडकरनगर मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल से बंद पड़ी दो डायलिसिस मशीनें फिर से चालू हो गई हैं। इससे किडनी मरीजों को लखनऊ या वाराणसी जैसे शहरों में जाने ...और पढ़ें

    Hero Image

    मेडिकल कॉलेज में दो मशीनों पर डायलिसिस शुरू।

    संवाद सूत्र, अंबेडकरनगर। किडनी के मरीजों को डायलिसिस के लिए अब लखनऊ, वाराणसी समेत अन्य शहरों तक दौड़ नहीं लगाना पड़ेगी। कोरोना काल के बाद से मेडिकल कॉलेज की बंद दो डायलिसिस मशीन फिर से चालू हो गई है। करीब दो सप्ताह से मरीजों का सफल डायलिसिस चल रहा है। अभीतक दर्जनभर से अधिक मरीजों को इसका लाभ मिल चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर की स्थापना और संचालन के करीब एक दशक बाद कोरोना काल में दो डायलिसिस मशीनें सरकार ने मुहैया कराई थीं। कुछ दिन बाद मशीन रख-रखाव व सही से ईएमसी सीएमसी न होने के कारण ताले में बंद पड़ी थी।

    इसके संचालन और मरीजों की सुविधा के लिए प्राचार्य के काफी प्रयास के बाद संचालन शुरू हो सका। इसके लिए दो टेक्नीशियन की तैनाती की गई है। एमडी मेडिसिन डॉ. बृजेश कुमार की देखरेख मरीजों की डायलिसिस की जा रही है।

    निजी सेंटरों पर दो ढाई गुना अधिक शुल्क

    जिले में डायलिसिस मशीनों की संख्या निजी सेंटरों पर भी काफी कम है। इससे मरीजों को लखनऊ, वाराणसी तक दौड़ लगानी पड़ती थी। मेडिकल कॉलेज में सुविधा शुरू होने से अब मरीजों को यही यह लाभ मिल रहा है।

    निजी सेंटरों पर डायलिसिस तीन से चार हजार रुपये तक एक बार की फीस है। यहां मेडिकल कॉलेज में महज 1500 रुपये सुविधा मिलती है। आयुष्मान कार्ड एवं बीपीएल कार्डधारकों को मुफ्त में सुविधा मिलती है।

    इस तरह होता डायलिसिस

    गंभीर बीमारी में खून व मूत्र का फिल्टर किडनी नहीं कर पाता है। इसके चलते डायलिसिस मशीन के जरिए खून को साफ किया जाता है। यह प्रक्रिया सर्जरी का ही हिस्सा है। प्यूमोरल या फिस्टुला (कैथेटर) लगाते हैं। मरीज के गले जुगलर वेन एवं पैर की नसों के माध्यम से भी यह प्रक्रिया होती है।

    डायलिसिस मशीन खून को छानकर धमनी के माध्यम से फिर शरीर में भेजती है। क्रिटिकल मरीज को सप्ताह में दो या फिर अधिक बार भी डायलिसिस कराना पड़ सकता है। गुर्दे की यूरिया क्रटिनिन की जांच के बाद ही मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

    किडनी के मरीज डायलिसिस का लाभ ले सकते हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने पर और मशीन की मांग की जाएगी। मेडिकल कॉलेज आने वाले मरीजों को इसका बेहतर लाभ मिल रहा है। दोनों डायलिसिस मशीनों को क्रियाशील कर लिया गया है। -डॉ. मुकेश कुमार यादव, प्राचार्य।