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    यूपी का खाद्यान्न वितरण घोटाला: हाई कोर्ट का 43 जिलों के सैकड़ों दुकानों के लाइसेंस निरस्तीकरण में हस्तक्षेप से इन्कार

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sun, 06 Feb 2022 02:56 PM (IST)

    Allahabad High Court News लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों का फायदा उठाकर करोड़ों के खाद्यान्न वितरण घोटाले के आरोपी प्रदेश के 43 जिलोम के सस्ते गल्ले की सैकड़ों दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त करने के जिलाधिकारी के आदेश पर हस्तक्षेप करने से हाई कोर्ट का इन्कार

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    सस्ते गल्ले की सैकड़ों दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त करने के जिलाधिकारी के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार

    प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों का फायदा उठाकर करोड़ों के खाद्यान्न वितरण घोटाले के आरोपी प्रदेश के 43 जिलों के सस्ते गल्ले की सैकड़ों दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त करने के जिलाधिकारी के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है।

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    सैकड़ों डीलरों की याचिकाएं खारिज, साइबर सेल कर रही घोटाले की जांच

    हाई कोर्ट ने कहा है कि डीलरों ने अपनी बेगुनाही साबित करने के बजाय अधिकारियों के खिलाफ निराधार आरोप ही लगाये। सच्चाई यह है कि हाईब्रिड तकनीकी से राशन कार्डों को आधार कार्ड के साथ फीडिंग की जिम्मेदारी डीलरों को सौपी गई थी। इसी दौरान कुछ आधार कार्ड से सैकड़ों मृत लोगों के  राशन कार्डों को जोड़ कर घोटाले की बुनियाद तैयार कर ली गई थी। मेरठ में दो आधार कार्ड पर 311 राशन कार्ड जुड़े पाये गये। इसी तरह से अन्य जिलों में जुलाई 2018 में खाद्यान्न वितरण घोटाला पकड़ में आया और व्यापक कार्रवाई करते हुए एफआइआर दर्ज कराई गई है जिसकी साइबर सेल जांच कर रही है।

    हाई कोर्ट में 108 याचिकाएं की गई थी दायर

    हाई कोर्ट ने घोटाले करने के आरोपी डीलरों (सस्ते गल्ले के दुकानदारों) के लाइसेंस निरस्त करने की चुनौती सैकड़ों याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति आर आर अग्रवाल ने मेरठ के अवधेश कुमार सहित 108 याचिकाओं पर दिया है।

    कोर्ट ने कहा है कि आधुनिक साइंस व तकनीकी करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बन गई है। 21वीं सदी में तकनीक समाज के कमजोर व गरीब तबके के जीवन को सुधारने में मददगार साबित हो रही है। केंद्र सरकार की तमाम लाभकारी योजनाओं को तकनीकी के जरिए जोड़ा गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर मामूली कीमत पर जरूरतमंद लोगों तक पौष्टिक आहार पहुंचाया जा रहा है ताकि लोग गरिमामय जीवन जी सकें। इसी कड़ी में सरकार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए राशन कार्ड धारकों को खाद्यान्न वितरित कर रही है। कानून में लोगों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न पाने का अधिकार दिया गया है। राशन कार्डों को बायोमेट्रिक मशीन से जोड़ा गया है ताकि पात्र व्यक्तियों तक सरकार की योजनाएं पहुंच सके।

    जानिए क्या हैं आंकड़े

    2016 में प्रदेश की अनुमानित आबादी 20 करोड़ आंकी गई। जिसमें से 15.51 करोड ग्रामीण क्षेत्र व 4.45 करोड़ शहरी क्षेत्र की आबादी थी।

    79.56 फीसदी यानि 12.34 करोड ग्रामीण, 64.43फीसदी यानि 2.87 करोड़ शहरी लोगों की सूची तैयार की गई।राशन कार्ड बनाये गए। यूनिट फीड हुए।

    दुर्भाग्य से यह कवायद विफल हो गई। बहुत कम नाम मात्र के राशन कार्डों को फीड किया जा सका । 4जुलाई 2017के शासनादेश से नये सिरे से राशन कार्ड जारी किए गए। पुराने हजारों राशन कार्डों को रद कर दिया गया।राशन कार्डों को आधार कार्ड से मशीन में फीड करने की जिम्मेदारी दुकानदारों को सौंपी गई। सुबह से दिनभर डाटा फीडिंग के बाद शाम को जिला आपूर्ति कार्यालय से लाक कर दिया जाता था। इस दौरान मशीन में डाटा फीडिंग कार्य किया जाता रहा। तुरंत ओटीपी या अन्य तरीकों सत्यापन की व्यवस्था नहीं की गई जिसका फायदा उठाकर फीडिंग में घपला किया गया। रद हुए सैकड़ों राशन कार्डों को कुछ आधार कार्ड से फीड कर दिया गया। एक आधार पर की राशन कार्ड से खाद्यान्न वितरण कर भारी घोटाले को अंजाम दिया गया।

    याचियों का कहना था कि एनआइसी व अधिकारियों ने डाटा फीड कराया। अधिकारियों को बचाने के लिए डीलरों को बलि का बकरा बनाया गया है। प्रदेश के 43 जिलों में एक लाख  86 हजार 737 लेनदेन किये गए। अकेले मेरठ जिले में 108 आधार पर 27 हजार 323 लेनदेन किया गया। याचियों ने अधिकारियों पर घपले का आरोप लगाया लेकिन उन पर लगे आरोपों का जवाब नहीं दे सके। कोर्ट ने सरकारी कार्रवाई पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।