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यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे महाराणा प्रताप

प्रदेश सरकार ने भले ही महाराणा प्रताप जयंती पर सार्वजनिक अवकाश खत्म कर दिया है लेकिन, उनके जीवन को यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राएं अब विस्तार से पढ़ेंगे।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 31 May 2017 10:48 PM (IST)Updated: Thu, 01 Jun 2017 10:48 PM (IST)
यूपी बोर्ड के  पाठ्यक्रम में शामिल होंगे महाराणा प्रताप
यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे महाराणा प्रताप

इलाहाबाद (जेएनएन)। प्रदेश सरकार ने भले ही महाराणा प्रताप जयंती पर सार्वजनिक अवकाश खत्म कर दिया है लेकिन, उनके जीवन को यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राएं अब विस्तार से पढ़ेंगे। हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में हल्दीघाटी नामक नया पाठ जोडऩे की तैयारी है। जून के ही अंत में ही पाठ्यचर्या समिति की बैठक बुलाकर इस पर मुहर लगेगी और नया पाठ 2018 के पाठ्यक्रम में शामिल होगा।

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योग शिक्षा पाठ्यक्रम 

माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने पिछले माह में ही योग शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। योग कक्षा नौ से 12 तक चरणवार तरीके से पढ़ाया और सिखाया जाएगा। इसी बीच प्रदेश सरकार ने महाराणा प्रताप के जीवन से छात्र-छात्राओं को परिचित कराने का निर्देश दिया है। यूपी बोर्ड ने इस संबंध में तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। अभी हाईस्कूल व इंटर का वार्षिक परीक्षा परिणाम जारी करने में सभी अफसर लगे हैं। जून के अंत तक पाठ्यचर्या समिति की बैठक होगी। इसमें महाराणा के जीवन व हल्दीघाटी आदि चर्चित प्रसंगों में से कुछ हिस्से को हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल कराने पर मुहर लगेगी।

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महापुरुषों के नाम पर संगोष्ठी

सूबे की सरकार ने पिछले महीने महापुरुषों के नाम पर 15 सार्वजनिक अवकाश खत्म करने के समय ही यह निर्देश दिया था कि स्कूलों में महापुरुषों के नाम पर संगोष्ठी या फिर अन्य विविध आयोजन कराये जाएं, ताकि बच्चों को उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की जानकारी मिल सके। उसी दिशा में बढ़ते हुए सरकार ने महाराणा के जीवन को यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश दिया है। बोर्ड सचिव शैल यादव ने बताया कि पाठ्यचर्या समिति महाराणा के जीवन के जिस हिस्से को पाठ्यक्रम में शामिल करने को कहेगी वह 2018 से स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। 

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महाराणा का जीवन एक नजर में 

महाराणा प्रताप सिंह (9 मई 1540 व निर्वाण 19 जनवरी 1597) राजस्थान के उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। मुगलों को कई बार युद्ध में भी हराया। उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ़ में महाराणा उदयसिंह व माता राणी जीवत कुंवर के घर हुआ था। 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में 20,000 राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के 80,000 की सेना का सामना किया। शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण देकर बचाया और महाराणा को युद्ध भूमि छोडऩे के लिए बोला। शक्ति सिंह ने आपना अश्व देकर महाराणा को बचाया। प्रिय अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परंतु इसमें 17,000 लोग मारे गए। मेवाड़ जीतने के लिए अकबर ने सभी प्रयास किये। 

माध्यमिक स्कूलों में बिना किताब नए सत्र का आगाज

प्रदेश भर के माध्यमिक विद्यालयों में भी नए शैक्षिक सत्र में छात्र-छात्राओं के हाथ में किताब नहीं होगी। ठीक एक माह बाद एक जुलाई से सत्र शुरू हो रहा है, लेकिन शासन ने अब तक किताबों की प्रकाशन नीति तय नहीं की है। इससे असमंजस बरकरार है। पहली बार यूपी बोर्ड ने चुनिंदा प्रकाशक चुनने के बजाय खुले बाजार में किताब सौंपने का प्रस्ताव शासन को सौंपा है, उस पर भी निर्णय नहीं हो पा रहा है। माध्यमिक विद्यालयों के लिए किताबों का प्रबंध माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की ओर से होता है। हर साल बोर्ड के अफसर कुछ विषयों की किताबें प्रकाशित करने के लिए प्रकाशकों का चयन करते रहे हैं। इसमें शर्त यह होती थी कि तय मूल्य और निश्चित समय में किताबें मुहैया कराना पड़ता था, लेकिन इस बार स्थिति अन्य वर्षों की अपेक्षा बिल्कुल उलट है। 

अनुपालन 2018 के शैक्षिक सत्र से

बोर्ड की ओर से अभी तक पाठ्यक्रम की किताबों को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने यूपी बोर्ड में एससीईआरटी की पुस्तकें लागू करने का निर्देश दिया था, हालांकि उस आदेश पर अनुपालन 2018 के शैक्षिक सत्र से ही हो सकेगा। सत्र शुरू होने में महज एक माह का शेष है और अब तक किताबों के प्रकाशन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में किताबों के प्रकाशन से लेकर उनके वितरण आदि का कार्य पूरी तरह से ठप है। जिस गति से कार्य हो रहा है उससे यही लग रहा है कि जुलाई में छात्र-छात्राओं को किताबें नहीं मुहैया हो सकेंगी। 

15 दिन पहले शासन को भेजा प्रस्ताव

माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से किताबों के प्रकाशन को लेकर प्रस्ताव बनाकर शासन को 15 दिन पूर्व ही भेज दिया गया है। उसके बाद से पूरा मामला ठंडे बस्ते में है। प्रस्ताव में सभी किताबों को ओपेन मार्केट में प्रकाशित करने की व्यवस्था कराने का सुझाव दिया गया है, लेकिन शासन की ओर से इस दिशा में कोई आदेश नहीं जारी किया गया है। इस बारे में बोर्ड के अधिकारी बताते हैं कि बोर्ड की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कुछ अफसर एक हफ्ते तक जुटे रहे, लेकिन अभी तक कोई निर्देश जारी नहीं हो सका है। बोर्ड सचिव शैल यादव ने बताया कि शासन इस संबंध में जो आदेश देगा उसका अनुपालन किया जाएगा।

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कुछ प्रकाशकों को ही मिलता था निर्देश

यूपी बोर्ड की ओर से किताबों के प्रकाशन के लिए पिछले साल सात प्रकाशकों को प्रकाशन का निर्देश दिया गया था, लेकिन इस बार बोर्ड की ओर से इसमें फेरबदल करते हुए ओपेन मार्केट में प्रकाशन की व्यवस्था की गई है। इसमें हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की प्रमुख विषयों को शामिल किया जाता है। हाईस्कूल में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, प्रारंभिक गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषय शामिल हैं, जबकि इंटरमीडिएट में हिंदी, गणित, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी विषय को शामिल किया गया है। 


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