Allahabad Univerity का लोगो 134 बरस में चौथी बार बदला और अबकी है खासा आकर्षक
पूरब के आक्सफोर्ड के रूप में ख्यात इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की नींव 23 सितंबर 1887 को रखी गई थी। समय के साथ इसमें बदलाव हुए। इस बार यह परिवर्तन 65 सा ...और पढ़ें

गुरुदीप त्रिपाठी, प्रयागराज। प्रतिष्ठित इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय का लोगो (प्रतीक) अब नए स्वरूप में दिखेगा। भारतीय संस्कृति की झलक दिखलाता हुआ। ध्येय वाक्य लैटिन के साथ ही देववाणी संस्कृत में होगा। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने लेटर पैड व अन्य कागजातों में नए लोगो के प्रयोग के लिए आदेश जारी कर दिया है। वह कहती हैैं कि प्रतीक चिह्न में राष्ट्रीयता तो झलकना ही चाहिए। हम पुराना गौरव हासिल करेंगे। विश्वविद्यालय के कुल 134 बरस के इतिहास में यह चौथा मौका है जब लोगो परिवर्तित हुआ है।
पहले से आकर्षक प्रतीक चिह्न और स्पष्ट दिखेगा बरगद
पूरब के आक्सफोर्ड के रूप में ख्यात इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की नींव 23 सितंबर 1887 को रखी गई थी। समय के साथ इसमें बदलाव हुए। इस बार यह परिवर्तन 65 साल बाद हुआ है। नए लोगो में एतिहासिक बरगद के वृक्ष को गोल घेरे से बाहर कर दिया गया है। यह अब चटख लाल रंग की जगह सुनहरे रंग वाला होगा। लैटिन में लिखा ध्येय वाक्य 'कोट रैमी टोट अरबोरस यानी जितनी शाखाएं उतने अधिक वृक्ष तो है ही, यह बात संस्कृत में भी होगी। संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर उमाकांत यादव ने लोगो में 'यावत्य: शाखास्तवंतो वृक्षा: शब्द अंकित करने का प्रस्ताव दिया था। एकेडमिक काउंसिल और कार्यपरिषद की मंजूरी के बाद यह वाक्य लोगो का हिस्सा है। यह लोगो देखने में काफी आकर्षक है। इसमें ऐतिहासिक बरगद का वृक्ष स्पष्ट दिखाई देता है। यह वृक्ष इलाहाबाद विश्वविद्यालय की शान है। देश और दुनिया भर में फैले पुरा छात्र इसकी छांव आज भी महसूस करते हैैं।
1887 में लोगो में था यूके का झंडा

मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के प्रोफेसर हेरंब चतुर्वेदी बताते हैैं कि पहली बार लोगो 1887 में बनाया गया था। यही 1921 तक डिग्री और मार्कशीट के अलावा अन्य दस्तावेजों में पहचान रहा। इसमें यूनाइटेड किंगडम का झंडा और दो जानवर दिखते थे। यह काफी अजीब लगता था। वर्ष 1922 में दूसरा लोगो जारी किया गया। इसमें यूके की छाप तो थी लेकिन बरगद ने भी जगह बना ली। वर्ष 1956 में तीसरा लोगो बना। इसमें चटख लाल रंग में बरगद का वृक्ष था और नीचे लैटिन भाषा में ध्येय वाक्य। प्रोफेसर चतुर्वेदी कहते हैं लोगो हमारी संस्कृति का गवाह है।
कुलपति ने यह बताया
'इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नए प्रतीक चिह्न में हमारे ध्येय वाक्य को संस्कृत में भी लिखा गया है। विश्वविद्यालय की पहचान को हमने देश के प्राचीन संस्कृति से जोडऩे की पहल की है।
- प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव, कुलपति

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