यशी कुमारी से लीजिए प्रेरणा, NEET पास करने में डिस्टोनिया सेलेब्रल पाल्सी बीमारी को नहीं बनने दिया बाधा
त्रिशला फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. जीतेंद्र कुमार जैन ने यशी को नौ साल की उम्र में यथोचित उपचार दिया। भौतिक और आनलाइन माध्यम से थेरेपी देते रहे। अब उसने नीट 2022 परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है और कोलकाता मेडिकल कालेज में प्रवेश भी मिल गया है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सेलेब्रल पाल्सी से प्रभावित बच्चों के सामने जीवन बड़ा कठिन होता है। शिक्षा से लेकर परिवार को अन्य खुशियां दे पाने में वे अक्सर समर्थ नहीं होते। इसका अपवाद है गोरखपुर की रहने वाली यशी कुमारी। जो डिस्टोनिया सेलेब्रल पाल्सी से प्रभावित थी। इसके बावजूद उन्होंने इसे अपने जीवन में किसी तरह की रुकावट नहीं बनने दी और इससे उबरते हुए नीट की परीक्षा पास करते हुए एक मिसाल पेश कर दी है।
नौ साल की उम्र से उपचार, दी परीक्षा और कोलकाता मेडिकल कालेज में दाखिला
त्रिशला फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. जीतेंद्र कुमार जैन ने यशी को नौ साल की उम्र में यथोचित उपचार दिया। भौतिक और आनलाइन माध्यम से थेरेपी देते रहे। अब उसने नीट 2022 परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है और कोलकाता मेडिकल कालेज में प्रवेश भी मिल गया है।
जन्म से पीड़ित थी आटो चालक की बेटी यशी
डा. जीतेंद्र कुमार जैन कहते हैं कि यशी जन्म से ही डिस्टोनिया सेलेब्रल पाल्सी से प्रभावित थी। उसके पिता आटो चालक हैं। इस बीमारी में बच्चे लेटे हुए तो सामान्य दिखते हैं लेकिन अपने पैरों से बिना किसी सहारे के चल नहीं पाते। नौ साल की उम्र में उन्होंने उसका इलाज शुरू किया। प्रयागराज में यशी तब आठ महीने रही। उसके घुटने और हाथ में आपरेशन हुआ।
डाक्टर से मिलकर जताया नए जीवन के लिए आभार
अब यशी 19 साल की हो चुकी है। इस लंबी अवधि के दौरान डा. जीतेंद्र उसे काउंसिलिंग कर प्रेरित करते रहे। नीट में सफलता के बाद बुधवार को यशी, डा. जीतेंद्र जैन के कार्यालय में आयी। उनका आभार जताया।
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