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    Navratri 2022: प्रयागराज के मां कालीबाड़ी मंदिर में न केवल बंगाली बल्कि सभी नवाते हैं शीश

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 06 Apr 2022 08:57 AM (IST)

    Navratri 2022 कालीबाड़ी मंदिर के महासचिव अमित नियोगी कहते हैं कि यह मंदिर वैसे तो बंगाली समुदाय के लोगों का अत्यंत पवित्र स्थल है। ये ऐसा पवित्र स्थल है जहां बंगाली के अलावा हर वर्ग व हर वर्ण के लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं।

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    काली बाड़ी को उत्‍तर भारत में 31 मंदिरों को बनवाने वाले स्‍वामी कृष्‍णानंद ब्रह्मचारी ने बनवाया था।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। चैत्र नवरात्र 2022 इन दिनों चल रहा है तो मंदिरों के महात्‍म्‍य पर भी चर्चा करना जरूरी है। प्रयागराज में मां कालीबाड़ी का प्राचीन मंदिर भी स्थित है। वर्ष भर मां के दरबार में शीश झुकाने के लिए भक्‍तों की भीड़ जुटती है। कुंभ मेला, अर्ध कुंभ मेला और माघमेला के अलावा वर्ष भर यहां गंगा-यमुना के पावन संगम में स्‍नान करने वाले श्रद्धालु कालीबाड़ी मंदिर में पूजन-अर्चन को पहुंचते हैं। वहीं बंगाल के पर्यटकों के लिए भी यह पवित्र स्‍थल पूजनीय है।

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    स्‍वामी कृष्‍णानंद ब्रह्मचारी ने कालीबाड़ी मंदिर की स्‍थापना कराई थी

    प्रयागराज शहर के मुट्ठीगंज मोहल्‍ले में मां काली का सिद्ध मां कालीबाड़ी मंदिर स्थित है। उत्तर भारत में मां काली की 31 मंदिरों का निर्माण कराने के बाद स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी 1860 में प्रयाग आए थे। प्रवास के दौरान मां कालीबाड़ी मंदिर की स्थापना करवाई थी। मंदिर के लिए बाबू रासबिहारी घोष ने जमीन दान दिया था। मां काली पंच मुंडिका आसन पर विराजमान हैं। मंदिर में मां काली के साथ मां दुर्गा, गणेश जी, हनुमान जी, सत्य नारायण के साथ नवग्रह की प्रतिमाएं स्थापित हैं।

    वर्ष के दो नवरात्र में उमड़ती है आस्‍था

    वैसे तो पूरे वर्ष कालीबाड़ी मंदिर में पूजा-अर्चना को भक्‍तों की भीड़ जुटती है। वर्ष के दो नवरात्र यानी चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र में मां काली का प्रतिदिन श्रृंगार होता है। मंत्रोच्चार के बीच पुष्प व आभूषणों से मइया का श्रृंगार करके बंगाली परंपरा के अनुसार मां का पूजन किया जाता है। सुबह से रात तक मां के जयकारे से मंदिर परिसर गूंजता है।

    बंगाल के पुरोहित रात में तांत्रिक विधि से करते हैं पूजन

    नवरात्र में मां कालीबाड़ी मंदिर में तंत्र विधि से अनुष्ठान चलता है। नवरात्र के नौ दिनों तक कलश पूजन एवं चंडी पाठ होता है, कन्या पूजन धूमधाम से किया जाता है। अष्टमी तिथि बंगाल के पुरोहित रात में तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं। पूजन में जनसमुदाय शामिल होता है।

    हर वर्ग व वर्ण के श्रद्धालु मां को नवाते हैं शीश : मंदिर महासचिव

    कालीबाड़ी मंदिर के महासचिव अमित नियोगी कहते हैं कि यह मंदिर वैसे तो बंगाली समुदाय के लोगों का अत्यंत पवित्र स्थल है। ये ऐसा पवित्र स्थल है जहां बंगाली के अलावा हर वर्ग व हर वर्ण के लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। मां से मनौती मानते हैं। सच्‍चे मन से मांगी गई मनौती मां पूरा करती हैं।

    भक्‍तों की सुविधाओं का रखा जाता है ध्‍यान : मंदिर अध्‍यक्ष

    मां कालीबाड़ी मंदिर के अध्‍यक्ष संदीप मुखर्जी ने बताया कि यहां दर्शन, पूजन व अनुष्ठान का विशेष प्रबंध कराया जा रहा है, जिससे मां की साधना में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न होने पाए।

    कालीबाड़ी मंदिर कैसे पहुंचें

    शहर के व्‍यस्‍त इलाके मुट्ठीगंज में स्थित मां कालीबाड़ी मंदिर तक पहुंचना आसान है। चाहे रेलवे स्‍टेशन या फिर बस अड्डे से पर्यटक और श्रद्धालु मंदिर तक किसी भी साधन से पहुंच सकते हैं। आटो, ई-रिक्‍शा, कार से भी यहां पहुंचा जा सकता है। हां व्‍यस्‍त मोहल्‍ला होने के कारण वाहन पार्किंग में कुछ समस्‍या आ सकती है।