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    याद की गईं ब्रिटिश आइरिश लेखिका मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल, जानिए कौन थी भगिनी निवेदिता

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 28 Oct 2020 03:30 PM (IST)

    कॉलेज के शिक्षकों ने बताया कि भगिनी निवेदिता ब्रिटिश आइरिश लेखिका थीं। बाद में वह स्वामी विवेकानंद से प्रभावित होकर उनकी शिष्या बन गईं। उनका वास्तविक नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल था। उन्होंने मानव सेवा को ही अपना मूल धर्म बनाया।

    भगिनी निवेदिता ने भारत के स्वंतत्रता आंदोलन का भी समर्थन किया था।

    प्रयागराज,जेएनएन। ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर बालिका इंटर कॉलेज में बुधवार को भगिनी निवेदिता की जन्मतिथि मनाई गई। विद्यालय की प्रधानाचार्य मीना श्रीवास्तव ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। उसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

    इस मौके पर कॉलेज के शिक्षकों ने बताया कि भगिनी निवेदिता ब्रिटिश आइरिश लेखिका थीं। बाद में वह स्वामी विवेकानंद से प्रभावित होकर उनकी शिष्या बन गईं। उनका वास्तविक नाम मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल था। उन्होंने मानव सेवा को ही अपना मूल धर्म बनाया। बाद में वह अपना देश छोड़कर भारत चली आईं और यहीं की होकर रह गईं। भगिनी निवेदिता ने भारत के स्वंतत्रता आंदोलन का भी समर्थन किया और महिला शिक्षा के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस मौके पर सभी शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि जिस तरह से उस समय महिला शिक्षा व तमाम कुरीतियों के प्रति आवाज उठाई गई थी, उसी तरह अब फिर से एक बार प्रयास करने की जरूरत है। इससे नारी सशक्त होगी साथ ही हम अपने समाज बना सकेंगे।

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    बालिकाओं को विज्ञान के क्षेत्र में सशक्त बनाने का लिया संकल्प

    राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें प्रधानाचार्य डॉ. इंदू सिंह ने कहा कि समाज को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि छात्राओं को सशक्त, शिक्षित व आत्म निर्भर बनाया जाए। बिना शिक्षित बालिका के हम शिक्षित समाज की कल्पना नहीं कर सकते। यदि एक बालिक पढ़ेगी तो उससे शिक्षा की रोशनी कम से कम दो घरों में फैलेगी। खासकर विज्ञान के क्षेत्र में छात्राओं को मजबूती के साथ ले जाना चाहिए। इस मौके पर उन्होने सभी शिक्षकों को संकल्प दिलाया कि बालिकाओं की विज्ञान की शिक्षा पर खास ध्यान देंगे। कार्यक्रम में सुशील कुमार द्विवेदी, डॉ. मधु यादव, डॉ. गीता यादव आदि मौजूद रहीं।