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    Subash Chandra Bose Jayanti 2021: ​​​​​इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के मानद सदस्य बनाए गए थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sat, 23 Jan 2021 08:04 AM (IST)

    Subash Chandra Bose Jayanti 2021 इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष अभय अवस्थी बताते हैं कि कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद सुभाष चंद्र बोस को यूनियन का मानद सदस्य बनाया गया था। 1939 में उन्हें यह सदस्यता दी गई थी।

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    सन 1939 में प्रयागराज आने पर सुभाष चंद्र बोस एवं जवाहर लाल नेहरू कई जगह साथ-साथ गए थे।

    प्रयागराज, जेएनएन। आजादी के आंदोलन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के छात्रनेताओं की भी सक्रिय भागीदारी रही है। यह छात्रनेता सांस्कृतिक एवं समाजिक गतिविधियों में शांतिपूर्ण तरीके से भाग लेते थे। उस समय जवाहर लाल नेहरू समेत कांग्रेस के कई नामचीन नेताओं को यूनियन का मानद सदस्य बनाया गया था। 1938 एवं 1939 में कांग्रेस का अध्यक्ष बनने पर सुभाष चंद्र बोस को भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन की सदस्यता दी गई थी। 1939 जून महीने में सुभाष चंद्र बोस इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आए थे और विभिन्न बैठकों में भाग लिया था।  

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    कांग्रेस का अध्‍यक्ष बनने पर दी गई थी सदस्‍यता

    इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष अभय अवस्थी बताते हैं कि कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद सुभाष चंद्र बोस को यूनियन का मानद सदस्य बनाया गया था। 1939 में उन्हें यह सदस्यता दी गई थी। उसके पहले जवाहर लाल नेहरू को भी यूनियन की सदस्यता दी गई थी। हालांकि प्रधानमंत्री बनने के करीब छह साल बाद 1953 में नेहरू ने यूनियन की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। नेहरू के इस्तीफा देने पर छात्रों ने उनके आवास आनंद भवन के सामने प्रदर्शन कर त्यागपत्र वापस लेने की मांग की थी पर इसे उन्हें अनसुना कर दिया था।

    छात्रों से हाथ खड़ा करवाकर पदाधिकारियों का चुनाव करा लिया जाता था

    अभय अवस्थी बताते हैं कि आजादी के पहले यूनियन का चुनाव आज की तरह नहीं होता था। तब की यूनियन इस तरह की थी भी नहीं। यूनियन सिर्फ सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियों में भाग लेती थी। छात्रों से हाथ खड़ा करवाकर पदाधिकारियों का चुनाव करा लिया जाता था। उस समय आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाले नेता यूनियन भवन आते रहते थे। यूनियन भवन में होने वाले कार्यक्रम सांस्कृतिक गतिविधियों से ही जुड़े हुए होते थे। 23 जनवरी को 125 वीं जन्मतिथि पर नेता जी को प्रयागराज में भी याद किया जा रहा है। 

    सुभाष चंद्र बोस के साथ कई बैठकों में शामिल हुए थे नेहरू

    1939 प्रयागराज आने पर सुभाष चंद्र बोस एवं जवाहर लाल नेहरू कई जगह साथ-साथ गए थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो.एमसी चट्टोपाध्याय बताते हैं कि नेहरू एवं बोस में काफी अच्छे संबंध रहे थे। नेता सुभाष चंद्र बोस जब इलाहाबाद आए थे तो उनके साथ कई कार्यक्रमों में नेहरू भी गए थे। पीडी टंडन पार्क की सभा में नेताजी ने एक घंटे तक लोगों को संबोधित किया था। उस दौरान पूरा पार्क खचाखच भरा था। सभा के दौरान नेहरू पूरे समय तक रहे और बोस का भाषण सुनते रहे पर उन्होंने लोगों को संबोधित नहीं किया। हालांकि उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के कारण उनका पार्टी के नेताओं से मतभेद चल रहा था। उन्होंने सभा में अपने संबोधन में कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सीतारमैया की हार उनकी हार थी। जबकि अध्यक्ष पद पर चुनाव बोस ही जीते थे पर अपनी जीत को सीतारमैया की हार से जोड़ते हुए उसे अपनी हार बताया था।