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    Lalitha Devi Temple: आप भी जानें प्रयागराज के इस महाशक्तिपीठ का महात्‍म्‍य, यहां सती का हस्‍तांगुल गिरा था

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Tue, 09 Feb 2021 08:19 AM (IST)

    Lalitha Devi Temple मंदिर समिति के अध्यक्ष के अनुसार देवी सती के 51 शक्तिपीठ की मान्यता है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जहां-जहां पर सती के अंग के हिस्से उनके वस्त्र या आभूषण गिरे थे वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए थे। यह पावन तीर्थस्थान पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हैं।

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    प्रयागराज में महाशक्तिपीठ ललिता देवी मंदिर से जुड़ी रोचक जानकारी भी है।

    प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज शहर के दक्षिण दिशा में यमुना नदी के समीप मीरापुर मुहल्ले में देवी सती का प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे महाशक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का विशेष महात्‍म्‍य है। मान्यता है कि यहां पर सती का हस्तांगुल गिरा था। मान्‍यता है कि पवित्र संगम में स्नान के पश्चात इस महाशक्तिपीठ में दर्शन-पूजन से भक्‍तों की मनोकामना पूरी होती है।

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    इस मंदिर में विविध स्वरूपों में विराजमान हैं महाशक्ति

    ललितादेवी के मंदिर में भगवती दुर्गा महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में विराजमान हैं। मंदिर में प्रवेश करते ही किसी दिव्य शक्ति की अनुभूति होती है। मंदिर में दाईं ओर संकटमोचन हनुमान, श्रीराम, लक्ष्मण व माता सीता तथा बाईं तरफ नवग्रह की मूर्तियां हैं।  राधा-कृष्ण की मूर्तियां भी यहां पर हैं जिनका दर्शन अलौकिक सुख देता है।

    51 शक्तिपीठों में से एक है ललिता देवी का यह धाम

    ललितादेवी मंदिर समिति के अध्यक्ष हरिमोहन वर्मा के अनुसार देवी सती के 51 शक्तिपीठ की मान्यता है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जहां-जहां पर सती के अंग के हिस्से, उनके वस्त्र या आभूषण गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए थे। यह पावन तीर्थस्थान पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।

    प्रयागराज के तीन मंदिरों को माना जाता है शक्तिपीठ

    प्रयागराज में तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है, जिसमें ललितादेवी मंदिर, कल्याणीदेवी और अलोपीदेवी धाम हैं। हरिमोहन वर्मा के अनुसार ललितादेवी मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र पर आधारित है। नवरात्र के अलावा माघ और कुंभ मेला के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यह भी मान्यता है कि मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मां ललिता के चरण स्पर्श करते बहती हैं जिसके कारण संगम में स्नान के बाद इन शक्तिपीठों के दर्शन का महात्म है।