संगम पर पूजन और जयकारों के बीच द्वादश माधव परिक्रमा अनौपचारिक श्रीगणेश
तीर्थराज प्रयाग में रविवार सुबह मंत्रोच्चार के बीच संगम पर पूजन कर आरती उतारी और द्वादश माधव का जयकारा लगाते हुए परिक्रमा शुरू की।
इलाहाबाद (जेएनएन)। तीर्थराज प्रयाग में रविवार सुबह द्वादश माधव परिक्रमा की अनौपचारिक शुरुआत हुई। प्रयाग की धार्मिक, पौराणिक व सांस्कृतिक परंपरा को फिर से जीवंत करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी, पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और श्रद्धालुओं का संगम पर जमघट लगा। मंत्रोच्चार के बीच सबने संगम पर पूजन कर आरती उतारी और माधव का जयकारा लगाते हुए परिक्रमा शुरू की। माधव का जयकारा लगाते हुए कारवां बड़े हनुमान मंदिर, वेणी माधव, मनकामेश्वर, मौज गिरि मंदिर, मनोहर माधव, गदा माधव, पद्म माधव, चक्र माधव, बिंदु माधव मंदिर तक पहुंचा। सभी स्थलों पर अभी तक हुए कार्यों का निरीक्षण भी किया गया। जुलाई माह तक सारे कार्य पूरा करने का निर्देश मंडलायुक्त ने दिया है। अब श्रावण मास में द्वादश माधव परिक्रमा की विधिवत शुरुआत होगी।
27साल से बंद थी परिक्रमा
तीर्थराज में द्वादश माधव की परिक्रमा 1991 से बंद थी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि व महामंत्री महंत हरि गिरि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को परिक्रमा के धार्मिक महत्व से अवगत कराया था। साथ ही द्वादश माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार कराकर परिक्रमा शुरू कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने यह पहल की है। मंडलायुक्त डॉ. आशीष गोयल ने कहा कि द्वादश माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं सुंदरीकरण कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। सारे मंदिरों को भव्य स्वरूप देकर पर्यटन से जोड़ा जाएगा। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा कि द्वादश माधव मंदिरों में जल्द उत्कृष्ट व्यवस्था सुलभ कराने की दिशा में दिन-रात काम चल रहा है। महंत नरेंद्र गिरि व महंत हरि गिरि ने प्रशासन की तैयारी पर संतोष व्यक्त करते हुए बचे काम को जल्द पूरा करने की मांग की। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक केपी सिंह ने हर जगह सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था का आश्वासन दिया।
कालचक्र की मार से बार-बार ठहरी एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा अब औपचारिक रूप से भी शुरू होने वाली है। इस बार द्वादश माधव की परिक्रमा श्रावण मास में होगी। धार्मिक मान्यता है कि परमपिता ब्रह्मा ने द्वादश माधव की स्थापना की। महर्षि भारद्वाज सहित अनेक ऋषि-मुनि इसकी परिक्रमा करते रहे हैं। मुगल व अंग्रेजी शासनकाल में द्वादश माधव मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया गया, जिससे परिक्रमा की परंपरा रुक गई। देश आजाद होने के बाद संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने द्वादश माधव की खोज की। शंकराचार्य निरंजन देवतीर्थ ने धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ 1961 में माघ मास में द्वादश माधव की परिक्रमा आरंभ कराई। संतों व भक्तों ने मिलकर तीन दिन पदयात्रा करते हुए परिक्रमा पूरी की। परिक्रमा 1987 तक चलकर बंद हो गई। फिर तीन साल के अंतराल के बाद 1991 में स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने परिक्रमा कराई, उसके बाद से यह बंद है।
मत्स्य पुराण में द्वादश माधव
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि प्रशासन ने द्वादश माधव परिक्रमा मार्ग श्रावण तक पूरा करने का आश्वासन दिया है। श्रावण मास से द्वादश माधव की परिक्रमा पुन: शुरू कराई जाएगी। स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी बताते हैं कि सृष्टि रचना को ब्रह्माजी ने यज्ञ के लिए त्रिकोणात्मक वेदी बनाई थी। उसे अंतर्वेदी, मध्य वेदी, बर्हिवेदी के रूप में जाना जाता है। बहिर्वेदी में झूंसी, अंतर्वेदी में अरैल व मध्यवेदी दारागंज का क्षेत्र है। हर क्षेत्र में चार-चार माधव स्थित हैं। मत्स्य पुराण में लिखा है कि द्वादश माधव परिक्रमा करने वाले को सारे तीर्थों व देवी-देवताओं के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है।
कहां स्थित कौन से माधव
अंतर्वेदी के माधव
- वेणीमाधव : दारागंज स्थित वेणी (त्रिवेणी) तट पर वेणी माधव विद्यमान हैं। यह प्रयाग के नगर देवता हैं।
- अक्षयवट माधव : यह गंगा-यमुना के मध्य में विराजमान हैं।
- अनंत माधव : दारागंज में अनंत माधव का प्राचीन मंदिर है।
- असि माधव : शहर के ईशान कोण में स्थित नागवासुकी मंदिर के पास असि माधव वास करते हैं।
- मनोहर माधव : जानसेनगंज में मनोहर माधव है। द्रव्येश्वरनाथ मंदिर में लक्ष्मीयुक्त मनोहर माधव हैं।
- बिंदु माधव : शहर के वायव्य कोण में द्रौपदी घाट के पास बिंदु माधव निवास है।
मध्यवेदी के माधव
- श्रीआदि माधव : संगम के मध्य जल रूप में आदिमाधव विराजमान हैं।
- चक्र माधव : प्रयाग के अग्नि कोण में अरैल में सोमेश्वर मंदिर के निकट स्थित हैं चक्र माधव।
- श्रीगदा माधव : यमुना पार के क्षेत्र स्थित छिवकी रेलवे स्टेशन के पास गदा माधव का प्राचीन मंदिर है।
- पद्म माधव : यमुनापार के घूरपुर से आगे भीटा मार्ग पर वीकर देवरिया ग्राम में स्थित हैं पद्म माधव।
बहिर्वेदी के माधव
- संकटहर माधव : झूंसी में गंगा तट पर वटवृक्ष में संकटहर माधव का वास है।
- शंख माधव : झूंसी के छतनाग में मुंशी के बगीचे में शंख माधव की स्थली मानी जाती है।
होना है यह काम
द्वादश माधव मंदिरों तक हर व्यक्ति आसानी से पहुंच सके उसके लिए मार्ग व्यवस्थित किए जाएंगे। परिसर में सोलर लाइट, रिटेनिंग वॉल, बाउंड्री वॉल, सत्संग हाल, चबूतरा, भव्य गेट, शौचालय, स्नानागार, रेलिंग, फर्श, पीने का पानी, शेड, बेंच की भी व्यवस्था होगी।