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इस मंदिर में पूजे जाते हैं किसान देवता

प्रतापगढ़ के मंदिर में पूजे जाते हैँ किसान देवता। अन्नदाता को सम्मान दिलाने की मुहिम के साथ गाया जाता है किसान आरती और पढ़ी जाती है चालीसा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 08:03 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 08:03 AM (IST)
इस मंदिर में पूजे जाते हैं किसान देवता

इलाहाबाद : हे ग्राम देवता नमस्कार, सोने-चांदी से नहीं किंतु, तुमने मिट्टी से किया प्यार.। कवि रामकुमार वर्मा की इन पंक्तियों ने ग्राम देवता को प्रतापगढ़ में किसान देवता के रूप में साकार किया है। जय जवान-जय किसान के नारे से भी प्रेरणा मिली और देश का पहला किसान देवता मंदिर यहां बना। इस अनूठे मंदिर में किसी देवी-देवता की नहीं, बल्कि हल लिए किसान की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है। इसके पीछे मकसद यह कि किसान को सम्मान मिले, क्योंकि वह सबका पेट भरता है तो देवता से कम नहीं है।

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किसान को देवता के रूप में पूजे जाने की सोच आई पट्टी तहसील क्षेत्र के सराय महेश गांव के किसान परिवार के शैलेंद्र योगी के मन में। वह ग्राम देवता के पूजन के बारे में छात्र जीवन से सुनते आए। उनके मन में सवाल आया कि आखिर यह ग्राम देवता है कौन। क्यों न किसान को ही यह दर्जा देकर उसकी पूजा की जाए। बस इसी सोच को साकार करते हुए उन्होंने देश का पहला किसान देवता मंदिर 2016 में बनवाना शुरू किया, जो अब लोगों के लिए कौतूहल बन गया है।

यहां आसपास के किसान व ग्रामीण सुबह-शाम आते हैं। किसान चालीसा व आरती गाकर अन्नदाता की पूजा करते हैं। चालीसा कवि जयराम राही व योगी ने मिलकर रची है। मंदिर में किसान कथा होती है व बुधवार को व्रत रखा जाता है। इस अनूठे मंदिर में हर वर्ग को प्रवेश मिलता है। बगल में किसान चिकित्सालय भी संचालित है। मंदिर के संस्थापक योगीराज का दावा है कि यह देश का ही नहीं, दुनिया का पहला किसान देवता मंदिर है और पहली किसान पीठ है। लोगों को किसानों का महत्व बताना, किसान का आत्मसम्मान बढ़ाना, उनको खुदकशी जैसे हालात से बाहर निकालना और सीएम से लेकर पीएम तक को किसानों के प्रति कर्तव्यबोध कराना ही इस मंदिर का मकसद है। पं. नेहरू आए थे पट्टी-

फोटो 17 पीआरटी 9

पट्टी तहसील को आजादी की लड़ाई के दौरान किसान आंदोलन का गौरव हासिल है। यहां के रूरे गांव में जून 1920 में पंडित जवाहर लाल नेहरू किसान आंदोलन में आए थे। उन्होंने यहां किसान नेता बाबा रामचंदर, ¨झगुरी ¨सह, सहदेव ¨सह, काशी प्रसाद की मांगों के समर्थन में पीपल के पेड़ के नीचे पहला राजनीतिक भाषण दिया था। डिस्कवरी आफ इंडिया में नेहरू जी ने इसका स्पष्ट जिक्र भी किया है।


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