सांसद की गाड़ी के आगे लेटीं महिलाएं... फिल्म अभिनेता भारतभूषण की पुश्तैनी धर्मशाला खाली कराने पर विवाद
फिल्म अभिनेता भारतभूषण की पुश्तैनी रामादेवी धर्मशाला को खाली कराने को लेकर विवाद बढ़ गया। धर्मशाला को गिराने की सूचना पर लोग आक्रोशित हो गए और सांसद सतीश गौतम की गाड़ी के आगे लेट गईं। सांसद ने आश्वासन दिया कि कोई बेघर नहीं होगा। अधिवक्ता मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं जबकि वहां रह रहे परिवारों का कहना है कि उन्हें धर्मशाला में ठहरने की अनुमति दी गई थी।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। फिल्म अभिनेता भारतभूषण की पुश्तैनी रामादेवी धर्मशाला खाली कराने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को धर्मशाला को जेसीबी से गिराने और अधिकारियों के पहुंचने की सूचना से माहौल गरमा गया। मालिकाना हक का दावा कर रहे अधिवक्ता के साथ पुलिस पहुंचने से धर्मशाला में रह रहे लोग आक्रोशित हो गए।
भाजपा सांसद सतीश गौतम भी धर्मशाला की ओर आए तो महिलाओं ने रोष व्यक्त कर प्रदर्शन किया और उनकी गाड़ी के आगे लेट गईं। सांसद ने आश्वासन दिया कि कोई बेघर नहीं होगा। सीओ अभय पांडेय और सिटी मजिस्ट्रेट भी पहुंचे। उसके बाद बिना कार्रवाई पुलिस वापस हो गई।
सीओ ने बताया कि अधिवक्ता से मालिकाना हक होने का साक्ष्य मांगा है। 1947 के बंटवारे के बाद 49 परिवार लाहौर से यहां पहुंचे थे। यहां रह रहे परिवार के सदस्यों का कहना है कि उस वक्त रामादेवी धर्मशाला के मालिक भारतभूषण व बाद में इनके भाई अशोक गुप्ता ने उन्हें धर्मशाला में ठहरने की अनुमति दी थी। 1500 गज जमीन पर बनी इस धर्मशाला में मंदिर व अन्य पक्के निर्माण हैं। 35 परिवार अभी भी यहां रह रहे हैं। धर्मशाला के बाहर 12 दुकानें भी हैं।
दिया ये हवाला
मालिकाना हक के साथ सोमवार को अधिवक्ता अभिषेक अग्रवाल ने कोर्ट के आदेश का हवाला देकर निर्माण तोड़ने की बात कही तो ये परिवार बिफर पड़े। अभिषेक का कहना है कि अशोक गुप्ता के स्वजन ने उन्हें संपत्ति सौंप दी थी। कानूनी तौर पर अधिकार दिया है।
नगर निगम ने दिया था नोटिस
नगर निगम ने नोटिस जारी किया था कि सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी बिल्डिंग होने की वजह से इसे तोड़ दिया जाना चाहिए। इस पर हाईकोर्ट का भी आदेश भी है। इसमें जो परिवार रह रहे हैं, वे किरायेदार हैं। मालिकाना हक उनका है। उनके बाबा के द्वारा ही इन परिवारों को किराये पर कमरे दिए गए थे। सांसद का कहना है कि धर्मशाला में रह रहे लोगों के लिए प्रशासन को पहले ठहरने की व्यवस्था करनी चाहिए, उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाए। सरकार का काम मकान देना है, किसी का मकान तोड़ना नहीं।

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