UP Transport Association : बैंक व उद्योग विभाग की नजर में ट्रांसपोर्टर कारोबारी नहीं, मांगें भी अनसुनी
बैंक व उद्योग विभाग जबकि ताला हार्डवेयर आर्टवेयर व अन्य उत्पादों को देश-दुनिया में भेजने के लिए ट्रांसपोर्टर कारोबार की अहम कड़ी हैं। पांच साल पहले नई कर व्यवस्था जीएसटी लागू होने के बाद से ट्रांसपोर्ट की फर्मों का जीएसटी में पंजीकरण होना शुरू हो गया है।

मनोज जादौन, अलीगढ़ । Uttar Pradesh Transport Association : बैंक व उद्योग विभाग की नजर में ट्रांसपोर्टर (कमीशन एजेंट) कारोबारी नहीं हैं। बैंक न तो इनकी लिमिट (क्रेडिट लोन) बनाती हैं, न ही उद्योग विभाग इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ देता है। पांच साल पहले नई कर व्यवस्था जीएसटी लागू होने के बाद से ट्रांसपोर्ट की फर्मों का जीएसटी में पंजीकरण होना शुरू हो गया है। इनके करंट अकाउंट भी खुलने लगे हैं। उत्तर प्रदेश मोटर्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मांग कर चुकी है कि इस कारोबार को उद्योगों की तरह मानते क्रेडिट लोन मिले और इसे एमएसएमई में शामिल किया जाए।
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तय होगा है कमीशन
ताला, हार्डवेयर, आर्टवेयर व अन्य उत्पादों को देश-दुनिया में भेजने के लिए ट्रांसपोर्टर कारोबार की अहम कड़ी हैं। देश के विभिन्न बंदरगाहों से आयातित माल व अन्य उत्पादों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने में भी इनका योगदान रहता है। इसके बाद भी किसी भी ट्रांसपोर्ट कंपनी को बैंक क्रेडिट लोन नहीं देती है। ट्रांसपोर्टर क्रेडिट लिमिट या लोन के लिए आवेदन करता हैं तो फाइल को निरस्त कर दिया जाता है। बैंक अफसरों का तर्क होता है कि इनके गोदाम में जो माल है, वह दूसरे का है। ट्रांसपोर्टर तो माल भेजने में मध्यस्थता करते हैँ, उसका कमीशन तय होता है। माल लादने वाले वाहन पर ऋण पहले से ही होता है।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे 300 ट्रांसपोर्टर
ट्रांसपोर्टर तर्क देते हैं कि वे जिस कंपनी या फर्म का माल भेजते हैं, उनका भाड़ा काफी समय बाद आता है। फर्म के खाते में लेन-देन का ट्रांजेक्शन भी होता है। उनका पैसा कारोबार में फंस जाता है। माल से भरा वाहन दुर्घटना या दैवीय आपदा का शिकार होता है तो उसमें नुकसान भी होता है। इस हालत में ट्रांसपोर्टर को पैसा की जरूरत पड़ती है तो वह किसी साहूकार से महंगी ब्याज दर पर लेता है। शहर के 300 ट्रांसपोर्टर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
इनका कहना है
केंद्र सरकार का दोहरा मापदंड है। ट्रांसपोर्टर की फर्म का जीएसटी में पंजीकरण कराया जाता है और बैंक व उद्योग विभाग हमें व्यापारी नहीं मानते हैं।
- अजय पाल सिंह, अध्यक्ष, अलीगढ़ ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन
वित्त मंत्रालय ट्रांसपोर्टरों को कारोबारी माने। इस काम में लाखों रुपये लगाने होते हैं। बैंक फर्मों में क्रेडिट लिमिट बनाएं। इस संबंध में सांसद से मिलेंगे।
- श्रीकिशन गुप्ता, ट्रांसपोर्टर
ट्रांसपोर्टर कमीशन एजेंट होते हैं। बैंक व्यापारी के स्टाक पर क्रेडिट लिमिट बनाते हैं। कोई ट्रांसपोर्टर अपना वेयरहाउस बनाता है तो लोन दिया जा सकता है।
- अनिल कुमार सिंह, लीड बैंक मैनेजर
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