Gopashtami 2022 : श्रीकृष्ण ने गायों व ग्वालों की रक्षा को सात दिनों तक उंगली पर रखा था गोवर्धन पर्वत
Gopashtami festival 2022 आज एक नवंबर को गोपाष्टमी मनायी जाएगी। नवंबर का महीना मांगलिक कार्यों के हिसाब से बेहद शुभ माना जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला यह पर्व गोमाता को समर्पित रहता है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Gopashtami festival 2022 : नवंबर का महीना विशेष रुप से मांगलिक कार्यों के हिसाब से बेहद शुभ माना जाता है। इस महीने में कई ऐसे पर्व हैं जो गृह-नक्षत्र के विषय में परिवर्तनशील साबित हो सकते हैं। नवंबर का पहला दिन गोपाष्टमी जैसे शुभ पर्व के साथ शुरू हो रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाने वाला यह पर्व गौ माता को समर्पित रहता है। मान्यता है कि इस दिन गौ माता की पूजा करने से गाय में उपस्थित सारे देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
पूजन का समय सुबह 11.47 से 12.31 बजे तक
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि अष्टमी तिथि 31 अक्टूबर रात्रि 01:12 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है जो कि आज रात 11:03 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार गोपाष्टमी का पर्व आज सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जा रहा है। इस बार गोपाष्टमी के दिन अभिजित मुहूर्त का निर्माण हो रहा है जो कि प्रातः 11:47 से दोपहर 12:31 तक रहेगा। यह समय पूजा के लिए सबसे उत्तम समय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अभिजीत मुहूर्त में पूजा-पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी तरह के समस्याएं दूर होती हैं।
मान्यता
सनातन धर्म में हर व्यक्ति एवं जीव जंतु के प्रति आदर सम्मान का भाव रखा जाता है परंतु वेद पुराणों में गाय के रोम रोम में देवताओं की उपस्थिति के कारण जननी यानि मां का दर्जा दिया जाता है। श्रीमदभागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने छह वर्ष पूर्ण होने के पश्चात मां यशोदा से गोपाल यानी गोसेवा की इच्छा प्रकट की। उसी समय शांडिल्य ऋषि ने भगवान कृष्ण की जन्मपत्री देखकर कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि यानी गोपाष्टमी के दिन गोचारण का मुहूर्त निकाला और गोपाल नाम से जाने गए एवं भगवान श्री कृष्ण ने गायों और ग्वालों की रक्षा के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर रखा था। आठवें दिन इंद्र अपना अहम त्यागकर भगवान कृष्ण की शरण में आए। उसके बाद इंद्र की कामधेनू गाय ने भगवान का अभिषेक किया और इंद्र ने भगवान को गोविंद कहकर संबोधित किया।
ऐसे करें पूजा
गोपाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, इसके बाद गाय या फिर गाय के बछड़े को माला पहनाकर तिलक करें। गो माता को धूप और घी के दीपक से आरती करें और अपने हाथों से हरा चारा व भोजन कराएं, फिर गो माता के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेकर गुड़ का भोग लगाना चाहिए। इससे सूर्य दोष समाप्त हो जाता है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।