श्राद्ध पर 122 साल बाद बन रहा ये दुर्लभ संयोग, चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से है कनेक्शन
पितरों के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के पावन दिन श्राद्ध इस बार दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा है। चंद्रग्रहण के साथ प्रारंभ होकर 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ समाप्त होंगे। सूर्य ग्रहण का असर भारत में नहीं होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग 122 साल बाद देखने को मिल रहा है। वैदिक शास्त्रों में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण अलग अलग प्रभाव रखते हैं।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। पितरों के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के पावन दिन श्राद्ध इस बार दुर्लभ खगोलीय संयोग बन रहा है। चंद्रग्रहण के साथ प्रारंभ होकर 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ समाप्त होंगे। सूर्य ग्रहण का असर भारत में नहीं होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग 122 साल बाद देखने को मिल रहा है। वैदिक शास्त्रों में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण अलग अलग प्रभाव रखते हैं। इस बार सात सितंबर रविवार को लगने वाला चंद्रग्रहण न केवल खगोलीय दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बेहद खास माना जा रहा है। यह वर्ष का अंतिम और पूर्ण चंद्रग्रहण होगा जो भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताया कि श्राद्ध पक्ष के पहले दिन रविवार रात 9.57 बजे से प्रारंभ होने वाले इस चंद्र ग्रहण का समापन रात 1.27 बजे पर होगा। स्थानीय ग्रहण की अवधि लगभग तीन घंटे 30 मिनट की होगी। भारत में दिखाई देने के कारण इसके सूतक भी मान्य रहेंगे। चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे। जहां पहले से राहु स्थित हैं। ऐसे में राहु और चंद्रमा की युति से ग्रहण योग बनेगा।
दूसरी ओर सूर्य और केतु की युति कन्या राशि में होने से भी ग्रहण योग बन रहा है और ये दोनों चंद्रमा-राहु के ठीक सामने यानी सप्तम भाव में स्थित होने से समसप्तक योग बना रहे हैं, जिससे इन ग्रहों की सीधी दृष्टि एक-दूसरे पर पड़ेगी। ग्रहों की यह स्थिति ज्योतिष के अनुसार अशुभ संयोग बना रही है। इसका प्रभाव व्यक्तिगत जीवन के साथ देश दुनिया के हालात पर भी पड़ेगा। खासकर पहाड़ी और संवेदनशील इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उठापटक होना संभव है।
नौ घंटे पहले शुरू हो जाएगा चंद्रग्रहण का सूतक
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण से पूर्व एक निश्चित समयावधि को सूतक के रूप में जाना जाता है। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से नौ घंटे पहले तथा सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। इस अवधि में पृथ्वी का वातावरण दूषित हो जाता है। इसलिए सूतक के अशुभ दोषों से सुरक्षित रहने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इस चन्द्रग्रहण का सूतक काल दोपहर 12.57 बजे से प्रारंभ होकर देर रात 1.27 बजे तक रहेगा।
सूतक काल में रखे ध्यान
सूतक काल से जुड़ी सावधानी को लेकर स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताया कि पूजा, हवन, यज्ञ, मूर्ति स्थापना, विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। साथ ही सूतक काल में भोजन पकाना या खाना नहीं चाहिए। खाद्य पदार्थो में कुशा डाल कर रखें। गर्भवती महिलाओं को इस दौरान सुई, चाकू या किसी भी तरह की नुकीली वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। पेट पर गेरू का लेप लगा कर साड़ी या दुपट्टा के पल्लू में गेरू बांध कर रखें। ग्रहण समाप्ति पर स्नान के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करना चाहिए।
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