महात्मा गांधी की अपील पर अलीगढ़ में छात्रों ने जलाई थी विदेशी कपड़ों की होली, स्वदेशी आंदोलन को दी गयी थी हवा
महात्मा गांधी आजादी के आंदोलन के दौरान कई बार अलीगढ़ आए। उस समय छात्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। उनके आह्वान पर विदेशी कपड़ों की होली जलायी गयी थी। इतना ही नहीं रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन को हवा दी गयी थी।

अलीगढ़, जेएनएन। आज महात्मा गांधी की पुण्य तिथि है। पूरा देश आज उन्हें नमन कर रहा है। अलीगढ़ से भी गांधी जी का गहरा लगाव रहा है। अपने जीवन काल में कई बार वे अलीगढ आए और यहां के युवाओं को स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित भी किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर अलीगढ़ में भी जगह जगह कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
अलीगढ़ की माटी में पैदा हुए कई लाल
देश को आजाद कराने के लिए अलीगढ़ की माटी ने भी ऐसे-ऐसे वीर पैदा किए जिन्होंने अंग्रेजों की चूल्हें हिला दीं। देश को आजाद कराने के लिए युवाओं की ललक को देखते हुए यहां भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने भी अपना ठिकाना बनाया। महात्मा गांधी भी तीन-चार बार बार अलीगढ़ आए। पहली बार वह 1916 में ट्रेन से अलीगढ़ आए। तब छात्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। गांधी जी जब भी अलीगढ़ आए छात्रों से जरूर रूबरू हुए। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने और स्वदेशी अपनाने के लिए प्रेरित किया।
अलीगढ़ स्टेशन पर उमड़ा था हुजुम
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1916 को पहली बार अलीगढ़ आए। ट्रेन से वह अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचे। उन्हें देखने के लिए स्टेशन पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। ‘स्वतंत्रता संग्रामों की अमर गाथा’ पुस्तक में चिंतामिण शुक्ल ने लिखा कि ट्रेन से जब गांधी जी स्टेशन पर उतरे तो वह सिर पर पगड़ी और अंगरखा धोती पहने गुजराती वेशभूषा में थे। स्टेशन पर छात्रों ने गांधी जी का जोरदार स्वागत किया। स्टेशन से मालवीय पुस्तकालय तक जुलूस के साथ गांधी जी को ले जाया गया। खचाखच भरे मैदान में उन्होंने हिंदूृ-मुस्लिम एकता पर भाषण दिया। कहा था, जब तक हममें एकता नहीं हो जाती तब तक स्वराज हासिल नहीं कर सकते। गांधी जी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की उस कहावत को भी दोहराया कि हिंदू-मुस्लिम देश की दो आंखे हैं। यहां से गांधी जी एमएओ कालेज भी गए। उन्होंने वहां कहा कि मुझे खुशी होगी कि एमएओ कालेज में सभी नहीं तो कुछ छात्र ही गोखल जी की तरह राष्ट्रनायक बनें।
गांधी जी दूसरी बार अलीगढ़ आए
असहयोग आंदोलन के दौरान भी गांधी जी 12 अक्टूबर 1920 में दूसरी बार अलीगढ़ आए थे। तब उन्होंने एएमयू के स्ट्रेची हाल के सामने भाषण दिया। तब छात्रों ने उन्हें सिडन क्लब (यूनियन हाल) में छात्र संघ की पहली आजीवन सदस्यता दी। बापू तब हबीब बाग (अब एकेडमिक स्टाफ कॉलेज) में ठहरे, जहां अब्दुल मजीद ख्वाजा का मकान था। तीसरी बार पांच नवंबर 1929 को पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ आए। छात्रों से बापू ने खादी के इस्तेमाल की अपील की। गांधीजी की अपील से खुश होकर छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई। एएमयू के पूर्व छात्र मुहम्मद हरसत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन का हवा दी। बापू ने अब्दुल मजीद ख्वाजा व छात्रसंघ के पूर्व सचिव अब्दुल बारी को कई पत्र भी लिखे, जो आज भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में संरक्षित हैं।
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