Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    GPF Scam: जीपीएफ में पांच करोड़ रुपये का घोटाला, फंसे सभी तत्कालीन अधिकारी; इस तरह हुआ धांधली का पर्दाफाश

    उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) में पांच करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है। शिक्षकों को अग्रिम भुगतान और सेवानिवृत्ति पर अंतिम भुगतान के दौरान नियमों को दरकिनार किया गया। जांच में तत्कालीन 11 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी 10 वित्त एवं लेखाधिकारी और 34 खंड शिक्षा अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। सभी को साक्ष्य सहित आरोप पत्र जारी किए गए हैं।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sun, 22 Dec 2024 07:55 AM (IST)
    Hero Image
    प्रस्तुतीकरण के लिए खबर में सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, अलीगढ़। बेसिक शिक्षा विभाग में सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) में पांच करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। शिक्षकों को अग्रिम भुगतान (लोन) व सेवानिवृत्त होने पर किए गए अंतिम भुगतान के दौरान नियमों को ताक पर रख दिया गया। पांच वर्ष से प्रचलित जांच में अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए पुन: जांचाधिकारी नियुक्त किए गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    2003 से तैनात रहे तत्कालीन 11 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, 10 वित्त एवं लेखाधिकारी व 34 खंड शिक्षा अधिकारियों को साक्ष्य सहित आरोप पत्र जारी किए गए हैं। बीईओ की जांच मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक व अन्य अधिकारियों की जांच शासन स्तर से नामित अधिकारी करेंगे। घोटाले का पर्दाफाश टप्पल ब्लाक के सेवानिवृत्त शिक्षक जगदीश प्रसाद की शिकायत के बाद हुआ।

    31 मार्च 2020 में उन्होंने जीपीएफ निकालने के लिए आवेदन किया, मगर वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय से जानकारी मिली कि उनके जीपीएफ खाते से 35 बार में 34.34 लाख का लोन लिया गया है, जिसकी रिकवरी बनती है। जगदीश प्रसाद की शिकायत पर डीएम ने इसकी जांच सौंपी।

    जांच में दी ये जानकारी

    जांच में बताया कि 2003 से वर्ष 2013 तक जगदीश प्रसाद के श्रेयस ग्रामीण बैंक की कुराना, टप्पल, तकीपुर शाखा व स्टेट बैंक इंडिया की टप्पल शाखा में राशि का भुगतान किया गया। ऐसे स्कूलों के नाम से भी राशि निकाली गई, जहां वह तैनात नहीं रहे।

    विशेष जांच दल गठित करने की हुई संस्तुति

    रिपोर्ट में कहा गया कि विभाग ने जो अभिलेख उपलब्ध कराए हैं, वे अपूर्ण, अहस्ताक्षरित, फटे हुए व बीच-बीच में पन्ने गायब हैं। धनराशि का सही आकलन संभव नहीं है। जनपद के समस्त ब्लाकों व नगर क्षेत्र की सामान्य भविष्य निधि की अग्रिम व अंतिम भुगतान की शासन स्तर से विशेष जांच दल का गठन कर जांच कराना उचित रहेगा।

    तत्कालीन बाबू देवेंद्र, शंकर सिंह, देवेंद्र आदि की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए। शिक्षक के कार्यकाल में जीपीएफ पटल पर तैनात रहे 15 से अधिक बाबू, 13 वित्त एवं लेखाधिकारी, 18 खंड शिक्षा अधिकारी, 16 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई। डीएम ने यह रिपोर्ट शासन को भेज दी।

    ये भी पढ़ेंः क्रिसमस व नई साल से पहले ही बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ रही भारी भीड़, दर्शन करने आए दो श्रद्धालु हुए बेहोश

    ये भी पढ़ेंः ओपी राजभर ने BJP को दिया समर्थन, बोले- 'वंच‍ित समाज को है कांग्रेस और सपा से सबसे ज्‍यादा खतरा'

    जांच शुरू होते ही परतें उधड़नी शुरू 

    शासन के आदेश पर प्रकरण की जांच तत्कालीन वित्त लेखाधिकारी प्रशांत कुमार व डायट प्राचार्य डा. इंद्र प्रकाश सिंह सोलंकी ने की। जांच शुरू होते ही परत दर परत उधड़नी शुरू हो गईं। बड़ी धांधली की आशंका पर उन्होंने वर्ष 2003 के प्रकरणों से जांच शुरू की। सात जनवरी 2022 को रिपोर्ट शासन को दी। इसमें कुल 4.92 करोड़ रुपये के गबन-अनियमितता की आशंका जताई। इसके लिए तत्कालीन 13 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, 34 खंड शिक्षा अधिकारी व 10 वित्त लेखाधिकारी व अन्य कर्मचारियों को कटघरे में खड़ा किया।