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    करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी हम शिक्षा में बहुत पीछे : वरुण गांधी

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 05 Sep 2016 06:09 PM (IST)

    वरुण गांघी शिक्षक की भूमिका में नजर आए, उन्होंने कहा कि हम शिक्षा में बहुत पीछे हैं, राइट टू एजुकेशन में करोड़ों खर्च करने पर भी क्या मिला।

    अलीगढ़ (जेएनएन)। भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण फिरोज गांधी देश में शिक्षा के स्तर से बेहद ही चिंतित हैं। अलीगढ़ के मंगलायतन विश्वविद्यालय में आज शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम में भाजपा के फायरब्रांड नेता वरुण गांधी मंझे हुए शिक्षक की तरह नजर आए।

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    वरुण गांघी शिक्षक की भूमिका में नजर आए, उन्होंने अपने 46 मिनट लंबे सम्बोधन में न केवल राइट टू एजुकेशन पर टिप्पणी करते हुए शिक्षा में सुधार के लिए वकालत की, बल्कि पेशे और काबलियत के आधार पर आरक्षण देकर लोगों को संसद में पहुंचाने का सुझाव दिया।

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    उन्होंने कहा कि हम शिक्षा में बहुत पीछे हैं, राइट टू एजुकेशन में करोड़ों खर्च करने पर भी क्या मिला। हमें सिर्फ बड़े या छोटे भवन मिल गए, यदि हम यह कहें कि अभी राइट टू एजुकेशन में 12 वीं तक की शिक्षा कितने लोगों ने प्राप्त की। सिर्फ 32 प्रतिशत ने।

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    मेरा सुझाव है कि हम प्राथमिक स्कूल न बनाकर हर न्याय पंचायत पर एक विशाल स्कूल बनाए और लोगों को स्कूल जाने के लिये ट्रांसपोर्ट मुफ्त कर दें तो 99 प्रतिशत लोग अपनी शिक्षा पूरी करेंगे।

    उन्होंने कहा कि आज देश में मुद्दे प्रमुख हैं राजनीति में सुधार कैसे हो तथा रोजगार में सुधार कैसे हो। यह दोनों बिना शिक्षा के अधूरे हैं। अब आप लोग बताओ की शिक्षा का महत्व कितना बड़ा है।

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    वरुण गांधी ने कहा कि मैं कभी भी धर्म व जाति की बात नहीं करता। यह सभी को बांटने में सबसे बड़ी भूमिका अदा करता है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की महत्ता कितनी बड़ी है, यहां की विविधता जगजाहिर है। इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

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    उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश खेती का गढ़ है तो बिहार व उत्तर प्रदेश की सीमा चंदौली बुनकरों का गढ़ है। ताजनगरी आगरा श्रमिकों का गढ़ है। कुछ सीटें इनके लिये भी रिजर्व होनी चाहिये। रिजर्व सीटों से कोई पत्रकार, किसान, बुनकर, 20 साल एनजीओ में में कार्य करने वाला व्यक्ति चुनाव लड़कर संसद में जायेंगे तो हमारी संसद की गरिमा बढेगी।

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