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    चौ. अजित सिंह ने मां की सियासी विरासत में दी थी बहिन ज्ञानवती को, जानें कैसे Aligarh News

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Fri, 07 May 2021 06:30 AM (IST)

    सात बार बागपत से सांसद रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री रालोद मुखिया चौ. अजित सिंह ने सियासत की लंबी पारी खेली। 82 साल के चौ. अजित सिंह सियासत के मझे खिलाड़ी थे। वे वीपी सिंह सरकार अटल सरकार व मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।

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    इतना सुनते ही जाट लैंड किसान, मजदूर व गरीब तबका एक जुट हो गया।

    अलीगढ़, जेएनएन। सात बार बागपत से सांसद रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री, रालोद मुखिया चौ. अजित सिंह ने सियासत की लंबी पारी खेली। 82 साल के चौ. अजित सिंह सियासत के मझे खिलाड़ी थे। वे वीपी सिंह सरकार, अटल सरकार व मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। अलीगढ़ से उनका विशेष लगाव था। इगलास विधानसभा से अजित सिंह की मां गायत्री देवी विधायक रही थीं। इन्हें किसानों के मसीहा चौ. चरण सिंह ने सियासी समर में उतारा था। जब बहिन डा. ज्ञानवती को इगलास से पहली बार चुनाव में चौ. अजित सिंह ने रालोद से उतारा था, तब उन्होंने कहा था, कि वे अपनी मां गायत्री देवी की सियासत बहिन डा. ज्ञानवती को सौंप रहे हैं। जीताना व हराना तुम्हारे हाथ में है। इतना सुनते ही जाट लैंड किसान, मजदूर व गरीब तबका एक जुट हो गया।
     डा. ज्ञानवती विधायक भी रहीं
    जिले के जाट लैंड कही जाने वाली इगलास व खैर विधानसभा से पूर्व पीएम चौ. चरण सिंह का गहरा नाता रहा था। तभी उन्हाेंने अपनी पत्नी गायत्री देवी को लोकदल से इगलास विधासभा से चुनाव लड़ाया था। इन्होंने यह चुनाव भी जीता था। इस परंपरा को चौ. अजित सिंह ने आगे बढ़ाया था। इगलास से बहिन डा. ज्ञानवती विधायक भी रहीं। ये खैर से भी चुनी गईं।
    दिल्ली से लखनऊ तक पद यात्रा
    चौ. अजित सिंह ने साल 80 के दशक की शुरूआत में दिल्ली से लखनऊ तक पद यात्रा की और दलित मजदूर किसान पार्टी का गठन किया था। अलीगढ़ राजेंद्र सिंह, चौ. जगवीर सिंह व मौजूदा विधायक ठा. दलवीर सिंह जैसे तमाम नेताओं ने अपना समर्थन दिया था। 1989 में गठित जनता दल में इस पार्टी का विलय कर दिया था। यहां से पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह ने अपने दल बल के साथ समर्थन किया। साल 1991 में चौ. रालोद का गठन किया। इन्होंने अपनी बहिन डा. ज्ञानवती को इगलास से चुनाव लड़ाया था। इन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता विक्रम सिंह हिंडौल को मात दी। इसके बाद साल 1995 में डा. ज्ञानवती ने भाजपा को ज्वाइन किया। जाट लैंड में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने साल 1996 विधानसभा का खैर से चुनाव लड़ाया था। इन्हेंने अपने पिता चौ. चरण सिंह की बेटी का हवाला देकर इस चुनाव जीता।
    रालोद का भाजपा से गठनबंधन हुआ था। तब विधानसभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन साल 2002 में प्रदेश में 14 विधायक चुने गए थे।
    बरौली से ठा. दलवीर सिंह ने चुनाव जीता
    बरौली से ठा. दलवीर सिंह ने चुनाव जीता था। साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में रालोद ने इगलास से विमलेश चौधरी व खैर चौ. सत्यपाल सिंह चुनाव जीते थे। साल 2009 में नए परिसीमन के साथ खैर से भगवती प्रसाद सूर्यवंशी, इगलास से त्रिलोकीराम दिवाकर व बरौली से ठा. दलवीर सिंह ने चुनाव जीता था। वर्ष 2019 में चौ. अजित सिंह ने सदभावना यात्रा लेकर आए थे। चौ. अजित सिंह शादी विवाह समारोह में भी शामिल होते थे। रालोद के प्रदेश सचिव अब्दुला शेरवानी की बहिन की शादी में भी अजित सिंह पहुंचे थे।
     

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