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पूर्व विधायक मलखान सिंह हत्याकांड, इंसाफ के लिए 16 वर्ष 10 माह का संघर्ष, 20 मार्च 2006 को हुई थी हत्या

अदालत ने तेजवीर सिंह गुड्डू पर 1.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अन्य दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। 20 मार्च 2006 को शाम 650 बजे रालोद के पूर्व विधायक मलखान सिंह के आवास पर हमला हुआ था। इसमें मलखान सिंह की मौत हुई थी।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaPublished: Tue, 31 Jan 2023 07:36 AM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 07:36 AM (IST)
पूर्व विधायक मलखान सिंह हत्याकांड, इंसाफ के लिए 16 वर्ष 10 माह का संघर्ष, 20 मार्च 2006 को हुई थी हत्या
सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व विधायक मलखान सिंह के आवास पर खुशी जताते हुए उनके स्वजन। जागरण

अलीगढ़, जागरण टीम। ये दर्द ही तो था, जिसमें एक बड़े भाई ने तमाम संकटों का डटकर मुकाबला किया। एक पत्नी, जिसने पति खोया और लगभग 17 साल के हर दिन में न्याय की उम्मीद बांधे रखी और बच्चों को भी संभाला। एक बेटे ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और ताऊ का हर कदम पर साथ दिया। इस लंबी लड़ाई का परिणाम तो तीन दिन पहले ही आ गया था, मगर सोमवार को सजा पर सबकी निगाहें टिकी थीं। सजा से पूरे परिवार को सुकून मिल गया, जिसका मिठाई बांट कर जश्न मनाया।

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मानसरोवर कालाेनी में रहते थे पूर्व विधायक

गौंडा के गांव मजूपुर निवासी पूर्व विधायक चार भाइयों में सबसे छोटे थे। बड़े भाई बलवीर सिंह कासिमपुर पावर हाउस में इंजीनियर पद से सेवानिवृत्त हुए। दूसरे नंबर के भाई दलवीर सिंह फौज से सेवानिवृत्त हैं। उनसे छोटे यादराम सिंह गांव में रहते हैं। पूर्व विधायक यहां मानसरोवर कालोनी में परिवार के साथ रहते थे। पूर्व विधायक की दो बेटियां हैं, जो अमेरिका में हैं। इकलौते बेटे पुष्पेंद्र चौधरी के परिवार में पत्नी व एक बेटा कोविद है। इस जीत में सबसे बड़ा संघर्ष 78 वर्षीय दलवीर सिंह ने किया।

वर्ष 2012 में उनके गले में ब्लाकेज हो गया तो हालत गंभीर हो गई। इसके चलते उन्हें दिल्ली के अस्पताल में नौ दिन रहना पड़ा। लेकिन, पूरी तरह ठीक नहीं हुए। लकवा मार गया, जिसमें चार माह तक बिस्तर पर रहना पड़ा। लेकिन, वे तब भी नहीं हारे। सही समय पर उनके परिवार ने इलाज दिलाया, जिसके बाद फिर से लड़ाई शुरू की।

दलवीर सिंह ने संभाली पर्दाफाश करने की जिम्मेदारी

दलवीर सिंह ने कागजातों से पूरी अलमारी भर दी है। अधिवक्ता जो भी कागज मांगते थे, दलवीर उसे लाकर हाजिर कर देते थे। जिला स्तर से लेकर प्रदेश के अधिकारियों से मिले। गुड्डू ने खूब फर्जीवाड़ा किया, मगर दलवीर ने सभी का पर्दाफाश किया। इसमें उनका सेना की ट्रेनिंग व 28 साल की नौकरी का अनुभव भी काम आया।

पत्नी ने भी खुद को संभाला, बनीं विधायक

मलखान की हत्या के बाद उनकी पत्नी विमलेश टूट गईं, मगर उन्होंने खुद को संभाला। क्षेत्र के लोगों ने उन्हें विधायक भी चुना। उनके पूरे राजनीतिक करियर में बेटे पुष्पेंद्र ने साथ दिया। इनका राजनीतिक व निजी जीवन तो चलता रहा, मगर प्राथमिकता यही थी कि हत्यारों को सजा मिले।

दलवीर पक्ष पर लगा दिया था दोहरा हत्याकांड का आरोप

पूर्व विधायक की हत्या के बाद तेरहवीं से पहले ही आरोपित पक्ष के लोगों ने दलवीर पक्ष पर सादाबाद में दोहरे हत्याकांड का आरोप लगा दिया। इसमें दलवीर ने उच्चाधिकारियों से बातचीत कीं, जिसके बाद तत्कालीन मथुरा एसएसपी को जांच गई। उनकी जांच में आरोप गलत पाए गए थे।

आरोपित पक्ष ने कई तरह से खुद को बचाने के लिए षड्यंत्र रचा। मुझे धमकियां मिलीं, मगर कभी घबराया नहीं। फैसले से संतुष्ट हूं। प्रशासन का भी साथ मिला। दलवीर सिंह, पूर्व विधायक के बड़े भाई

आखिरकार हमें न्याय मिला और सत्य की विजय हुई है। संदेश भी गया है कि किसी भी तरह से होने वाली आपराधिक गतिविधियों से दूर रहें और अपने करियर की तरफ ध्यान दें। पुष्पेंद्र चौधरी, पूर्व विधायक की बेटे पति की हत्या के बाद लंबी लड़ाई लड़ी है। पहली बार कोर्ट-कचहरी देखनी पड़ी। लंबे समय बाद निर्णय आया है। अदालत ने फैसले से संतुष्ट हैं। देर से सही, मगर न्याय मिला। विमलेश, पूर्व विधायक की पत्नी

अंगरक्षक ने बदल दिए थे बयान

बचाव पक्ष ने कई गवाह और साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किए। लेकिन वह सच्चाई के सामने टिक नहीं पाए। हमले में घायल अंगरक्षक सतवीर सिंह ने भी बयान बदल दिए थे। हमले में पूर्व विधायक मलखान सिंह के अंगरक्षक सिपाही प्रेमपाल सिंह और सिपाही सतवीर सिंह भी गोली लगने से घायल हो गए थे। सतवीर घटना का चश्मदीद गवाह है।

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कोर्ट में बदले बयान

सतवीर ने कोर्ट में दिए बयान में पांच अभियुक्तों जीतू उर्फ जितेंद्र, अबोध शर्मा, संजीव उर्फ रोबी, विशाल गौड़ और सोनू गौतम पर फायरिंग करने का आरोप लगाया और पहचान करने की बात कही। उसने कहा कि उसने घटना के दौरान तेजवीर सिंह उर्फ गुड्डू को नहीं देखा। इसके साथ ही तेजवीर ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। इसमें बताया गया कि घटना से पहले उसकी कैंसर पीड़ित पत्नी नीरा सिंह डा. धर्मशिला कैंसर हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली में भर्ती थी। नीरा की 15 अप्रैल 2006 तक यहीं कीमो थैरेपी की गई।

तेजवीर ने दाखिल किए हलफनामे

इस दौरान तेजवीर सिंह गुड्डू ने अस्पताल के कई कागजों पर हस्ताक्षर किए। इनकी छायाप्रति हलफनामे के साथ संलग्न की। जिसके बाद डा. धर्मशिला कैंसर हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के रेडिएशन डा.संदीप अग्रवाल के बयान दर्ज कराए गए। जिसमें नीरा की कीमोथेरेपी होने के साक्ष्य दिए गए लेकिन तेजवीर के वहां मौजूद होने का प्रमाण नहीं मिला। डा. प्रवीन के भी बयान दर्ज कराए गए। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मनुराज सिंह ने बताया कि अदालत से पीड़ित स्वजन को न्याय मिला है।

ये थी घटना की टाइमलाइन

  • 20 मार्च 2006 को शाम साढ़े पांच बजे हुी थी पूर्व विधायक की हत्या।
  • 24 मार्च 2006 को तेजवीर सिंह गुड्डू ने किया था आत्मसमर्पण।
  • 05 अप्रैल 2006 को गुड्डू को मैनपुरी जेल में शिफ्ट किया था।
  • 2007 में आरोपित पक्ष ने हाईकोर्ट की शरण ली।
  • निचली अदालत की सुनवाई पर लगी थी रोक।
  • 2009 में सुनवाई पर रोक हटी और ट्रायल हुआ था शुरू।
  • 27 जनवरी 2023 को दोषी करार हुए थे 15 लोग।

इस फैसले से यकीनन अराजक तत्वों का मनोबल टूटा है। जनता में अच्छा संदेश गया है। सभी अधीनस्थों को आदेश दिए गए हैं कि संगठित अपराधियों, उनके साथियों और सहयोगी पर कड़ी निगाह रखें। सरकार, शासन व पुलिस मुख्यालय के आदेश अनुसार जिले में संगठित अपराध के लिए कोई स्थान नहीं है और लगातार कार्रवाई जारी है। इसी तरह का मामला कुछ माह पहले खैर क्षेत्र में भी आया था। उसमें भी कड़ी कार्रवाई की गई थी। सघन पैरवी की जा रही है। कलानिधि नैथानी, एसएसपी 


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