Govardhan Yojana : अलीगढ़ में 33 लाख के बायोगैस प्लाट में ’भ्रष्टाचार’ की दरारें, जांच में खुली परतें
Govardhan Yojana गोवर्धन योजना के तहत चंडौस ब्लाक की ग्राम पंचायत ओगर ननगला राजू में बनी बायो गैस प्लांट में दरारें पड़ गयी हैं। यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में शामिल है। प्लांट में जगह जगह डाजेस्टर में लीकेज आ गए हैं।

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । Govardhan Yojana : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में शामिल गोवर्धन योजना के तहत चंडौस ब्लाक की ग्राम पंचायत ओगर नगला राजू में नवनिर्मित बायोगैस प्लांट में ’भ्रष्टाचार’ की दरारें पड़ गई हैं। पंचायती राज विभाग के उप निदेशक अमरजीत सिंह के निर्देश पर बीते दिनों हुई जांच में यहां काफी अनियमितताएं मिली हैं। 33.80 लाख की लागत के इस गोबर गैस प्लांट के निर्माण कार्य की गुणवत्ता प्रथम द्ष्टया खराब मिली है। प्लांट में जगह-जगह डाजेस्टर में लीकेज आ गया है। गैस की आपूर्ति के लिए डाली गई पाइपलाइन भी ठीक नहीं है। खराब गुणवत्ता के चलते स्कूल तक गैस का दबाव नहीं पहुंच रहा है। इससे प्लांट बंद पड़ा है।
पंचायती राज विभाग को मिली जिम्मेदारी
केंद्र सरकार ने 2018-19 के आम बजट में गोवर्धन योजना का एलान किया था। योजना के संचालन की जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग को दी गई, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। शासन से सख्ती हुई तो इसी साल जनवरी में काम शुरू हुआ। पंचायती राज विभाग ने गभाना तहसील के चंडौस ब्लाक की ओगर नगला राजू की गोशाला का प्लांट के लिए चयन किया। इसमें 750 से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। बीते दिनों प्लांट तैयार कर लिया गया था। इसमें 85-85 घन मीटर की दो यूनिट लगाई गई हैं। 33.80 लाख रुपये की धनराशि इस पर खर्च हुई है। इसमें से 12.24 लाख रुपये का भुगतान फर्म को चुका है।
जांच में सामने आईं अनियमितताएं
पिछले दिनों उप निदेशक ने मंडल स्तरीय टीम को जांच के लिए मौके पर भेजा था। टीम के निरीक्षण में काफी अनियमितताएं सामने आईंं। गोबर गैस प्लांट काफी दिनों से बंद मिला। इसके अलावा इनलेट व आउटलेट चंबर में भ गोबर सूखा पड़ा हुआ था। इससे साफ था कि प्लांट शुरू ही नहीं हुआ है। प्लांट का डाइजेस्टर दो-तीन जगह से लीकेज था। गैस की आपूर्ति वाली पाइपलाइन भी टूटी हुई थी। मौके पर खराब गुणवत्ता की पाइपलाइन लगी थी। टैंक में ऊपर से लगभग चार फीट तक प्लास्टर किया गया है। नीचे ब्रिक मेसन ही करके छोड़ दिया है। निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी खराब है। बदरपुर की जगह डस्ट की रेत लगाई गई है। प्लास्टर व चिनाई की गुणवत्ता भी ठीक नहीं हैं। जांच टीम ने इसके लिए विस्तृत तकनीकी जांच के लिए लिखा है।
समूह नहीं कर रहा संचालन
पंचायती राज विभाग की ओर से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित महिला समूह को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन अब तक प्लांट शुरू नहीं हुआ है। इतनी धनराशि खर्च होने के बाद भी प्लांट को ऐसे ही छोड़ दिया गया है।
यह थी पूरी योजना
प्लांट चालू होने से गोशाला की आय के साथ ही गोबर का भी सही ढंग से इस्तेमाल करने की योजना थी। गैस बनने के बाद प्लांट से निकलने वाले गोबर से जैविक खाद तैयार करना था।इसकी भी बिक्री की तैयारी थी।प्लांट की गैस से गांव के परिषदीय स्कूलों में बच्चों के मिड डे मील पकाया जाना था। इसके लिए स्कूल तक 800 मीटर की पाइपलाइन भी बिछाई गई थी।
इनका कहना है
गोबरगैस प्लांट की जांच के लिए टीम को मौके पर भेजा था। इसमें काफी अनियमितताएं सामने आई हैं। जांच रिपोर्ट डीपीआरओ कार्यालय को भेजी गई हैं। इसमें तत्काल खामियों को दुरुस्त कर प्लांट के संचालन के निर्देश दिए हैं।
- अमरजीत सिंह, उप निदेशक, पंचायती राज विभाग

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