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    Aligarh News: जरा भी शक होने पर मार देते बच्चे को, चाचा ने बेचा था खेत, इसी रकम पर थी बदमाशों की नजर

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Wed, 14 Sep 2022 11:33 AM (IST)

    Child kidnapped Case अपहरण करने के बाद बदमाशों ने तय किया था कि स्वजन ने पुलिस की मदद ली तो बच्चे को जिंदा नहीं छोड़ेंगे। बच्चे के अपहरण के बाद मुख्य साजिशकर्ता चमन ने गांव जाकर रैकी भी की कि पुलिस को सूचना तो नहीं दी गई है।

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    child kidnapped case बदमाशों से एक कदम आगे निकली अलीगढ पुलिस।

    अलीगढ़, संतोष शर्मा। child kidnapped case अपहरण करने के बाद बदमाशों ने तय किया था कि स्वजन ने पुलिस की मदद ली तो बच्चे को जिंदा नहीं छोड़ेंगे। बच्चे के अपहरण के बाद मुख्य साजिशकर्ता चमन ने गांव जाकर रैकी भी की कि पुलिस को सूचना तो नहीं दी गई है। पुलिस भी बदमाशों से दो कदम आगे निकली। गांव में एक भी पुलिसकर्मी नहीं गया। बालक के चाचा को भी ऐसे स्थान पर रखा गया, जहां दो पुलिसकर्मियों के अलावा कोई नहीं था। ये पुलिसकर्मी ही फोन पर बदमाशों के फिरौती संबंधी सवालों के जवाब दिलवा रहे थे। पुलिस ने आनलाइन पैसा जमा करने की बजाय कैश देने का आइडिया बच्चे के चाचा को दिया ताकि बदमाशों से आमना-सामना हो और उन्हें दबोच लिया जाए। हाथरस अड्डे पर बच्चे को छोड़ने के बदले डेढ़ लाख रुपये लेने के लिए चार बदमाश आए थे। चमन को बाद में पकड़ा गया।

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    यह है मामला

    बढ़ौली फतेहखां Badhauli Fateh Khan निवासी राजेश का परिवार आर्थिक रूप से बहुत संपन्न नहीं है। राजेश मजदूरी करते हैं। आपरेशन खुशी की अगुवाई कर रहे एसपी देहात पलाश बंसल ने बताया कि बच्चे के चाचा विनोद ने कुछ दिन पहले तीन-चार लाख में खेत बेचा था। यही सूचना गांव के चमन ने साथी बदमाशों को दी। इसके बाद ही अपहरण की योजना बनाई।

    बच्‍चे की जान को था खतरा

    बदमाशों का मानना था कि इस राशि में से डेढ़ से दो लाख तो मिल ही जाएंगे। यही कारण रहा कि बदमाशों ने पिता को फोन न कर बच्चे के चाचा को फोन कर फिरौती मांगी। दो अलग-अलग नंबरों से दो बार फोन किए गए। पुलिस समझ गई कि अपहरण में कोई नजदीकी शामिल है। पुलिस खुलकर स्वजन के साथ आई तो बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। इस कारण पुलिसकर्मी वर्दी में गांव में नहीं गए। दो पुलिसकर्मी सादा कपड़ों में ही संदिग्धों की तलाश में लगे रहे।

    आनलाइन रकम जमा करने पर अड़े थे बदमाश

    बच्चे को लेकर बदमाश बुलंदशहर पहुंच गए। उन्होंने अपहरण की रकम आनलाइन खाते में जमा करने की शर्त रखी। पुलिस के लिए ये मुश्किल था। पुलिस ने बहाना बनाकर बच्चे के चाचा से कहलवाया कि आनलाइन राशि जमा नहीं हो पा रही है, कैश ही दे पाएंगे। बदमाश राजी हो गए, उन्होंने कहा, हम अपने साथी को भेज रहे हैं। पुलिस ने भी शर्त रखवाई कि बच्चे को भी साथ लेकर आएं। बदमाशों ने फिर पूछा पुलिस को सूचना तो नहीं दी। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि पुलिस को अभी तक नहीं बताया गया है।

    पुलिस न दिखने पर ही सामने आए बदमाश

    हाथरस अड्डे के पास पालीवाल इंटर कालेज वाली गली में फिरौती की रकम देने की बात तय हुई। इसके अनुसार चमन को छोड़कर अन्य बदमाश बच्चे के साथ यहां पहुंचे। उन्होंने इधर-उधर गलियों में घूमकर देखा कि पुलिस तो नहीं है। पुलिस नहीं दिखी तो बच्चे को लेकर चाचा विनोद के पास पहुंचे। इसके बाद गलियों में सादा कपड़ों छिपे पुलिस कर्मियों ने सभी को दबोच लिया।

    पुलिस ने खुद ही की रुपयों की व्यवस्था

    इस केस में पुलिस ने अपने फर्ज से आगे बढ़कर काम किया। बच्चे को सकुशल बरामद करने के लिए पुलिस टीम रातभर तो जूझी ही, बदमाशों को देने के लिए डेढ़ लाख रुपये की व्यवस्था भी की। बदमाशों को बच्चे के चाचा के जरिये बताया गया कि उन्होंने प्रधानजी जी व अन्य लोगों से कर्ज लेकर किसी तरह से रुपये जुटाए हैं। एसपी देहात ने बताया कि बदमाशों ने तय किया था कि अगर वो कहीं भी फंसे या पुलिस को जानकारी हुई तो बच्चे को जिंदा नहीं छोड़ेंगे। ये बात उन्होंने पूछताछ में कबूल की है।

    पहले बड़ी फिरौती की थी योजना

    एसपी देहात पलाश बंसल ने बताया इस गिरोह का सरगना अखिलेश है। उसने पहले 10 लाख की फिरौती की योजना बनाई थी। इसमें तीन बार वह असफल रहा। ऐसा कोई बच्चा उसे नहीं मिला. जिसके स्वजन से 10 लाख की फिरौती मांगी जा सके। अतरौली में भी किसी बच्चे के अपहरण का प्लान बदमाशों ने बनाया था।

    चार नौसखिया, अखिलेश ही शातिर

    दौलरा निरपाल निवासी अखिलेश ही बदमाशों की टोली में सबसे शातिर है। पुलिस के अनुसार अखिलेश ने गाजियाबाद में लूट की घटनाओं को अंजाम दिया है, हालांकि उसका कोई रिकार्ड नहीं मिला है। अन्य बदमाशों पर कोई मुकदमा नहीं है।