अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दिलचस्प है इतिहास, सात छात्रों को लेकर सर सैयद अहमद ने की थी स्थापना
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का इतिहास बेहद दिलचस्प है। इसकी स्थापना सन 1875 में सर सैयद अहमद खान ने की थी। शुरुआत में इसे मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना जाता था। 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा बरकरार रहेगा।

डिजिटल डेस्क, जागरण अलीगढ़। उत्तर-प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को शुक्रवार को कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट का कहना है कि एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा बरकरार रहेगा। कोर्ट ने यह फैसला 4-3 के बहुमत से सुना दिया है। आज हम आपको इस यूनिवर्सिटी के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।
एएमयू का इतिहास बहुत पुराना है। यह देश के प्रमुख शिक्षण संस्थाओं में एक है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थापना 1875 में हो गई थी। हालांकि स्थापना के समय यह एक मदरसा था, जिसे संस्थापक सर सैयद अहमद ने सात छात्रों को लेकर शुरू किया था। आज यह देश का सबसे पुराना केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया है।
ऐसे हुई थी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना
बता दें कि 24 मई 1875 में सात छात्रों से मदरसा तुल उलूम के रूप खोला गया था। इसके बाद आठ जनवरी 1877 को फौजी छावनी में 74 एकड़ जमीन पर मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज स्थापित किया। 43 साल बाद यह कालेज विश्वविद्यालय के रूप में आया।
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एमएओ कालेज को एएमयू में अपग्रेड करने के लिए तब के शिक्षा सदस्य सर मुहम्मद शफी ने 27 अगस्त 1920 को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में बिल पेश किया। काउंसिल ने इसे नौ सितंबर को पारित किया। इसे लेकर गवर्नर जनरल की सहमति भी मिली।
एक दिसंबर 1920 को अधिसूचना जारी की गई और एएमयू अस्तित्व में आया। उसी दिन राजा महमूदाबाद पहले कुलपति नियुक्त किए गए। विश्वविद्यालय का विधिवत उद्घाटन 17 दिसंबर 1920 को ऐतिहासिक स्ट्रेची हाल में हुआ।
सर सैयद का परिचय
सर सैयद अहमद खां का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली के दरियागंज में हुआ था। अरबी, फारसी, उर्दू में दीनी तालीम के बाद वह न्यायिक सेवा में चले गए। दिल्ली, आगरा व वाराणसी में नौकरी करने के साथ 1864 में मुसिफ के रुप में अलीगढ़ में भी तैनात रहे। अलीगढ़ शहर उन्हें बहुत पसंद आया।
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उन्होंने यहां शिक्षण संस्थान खोलने का निर्णय लिया। उन्होंने मदरसा की स्थापना करने से पहले 1869-70 में लंदन में स्थित ऑक्सफोर्ड कैंब्रिज का दौरा किया। वह चाहते थे कि अपने देश में कोई ऐसी शिक्षण संस्थान हो जो ऑक्सफोर्ड कैंब्रिज जैसा हो।
चंदे से हुई थी स्थापना
सर सैयद किसी भी कीमत पर एएमयू की स्थापना करना चाह रहे थे। उन्होंने इसके लिए चंदा लेकर और भीख मांगकर स्थापना की थी। इसके लिए उन्होंने जगह-जगह नाटकों का मंचन कराया और चंदा लिया था। ऐसे कहा जाता है कि वह कोठे से थी चंदा लिए थे। इसके अलावा चंदे के लिए उन्होंने लैला-मजनू का नाटक भी किया था जिसमें वह लैला का किरदार निभाया था।
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