Updated: Fri, 05 Sep 2025 04:44 PM (IST)
अलीगढ़ में यमुना का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। एक दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हैं जिनमें कई घरों में पानी घुस गया है और हजारों बीघा फसल डूब गई है। प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए समझा रहा है लेकिन ग्रामीण गांव छोड़ने को तैयार नहीं हैं। एनडीआरएफ और स्वास्थ्य टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं।
संवाद सूत्र, जट्टारी। यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ का खतरा गहरा गया है। पिछले 24 घंटे में पानी एक फीट बढ़कर गुरुवार को 200.55 मीटर दर्ज किया गया। यह स्तर 200.600 मीटर पर खतरे के निशान के करीब है। सात से आठ गांव चारों तरफ से पानी से घिर गए हैं। तीन-चार गांव आंशिक रूप से प्रभावित हैं।
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पखौदना व महाराजगढ़ में तो घरों के अंदर पानी घुस चुका है। हजारों बीघा फसल डूब चुकी है और कई संपर्क मार्ग टूटने लगे हैं। प्रशासन लगातार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए समझा रहा है, मगर ग्रामीण गांव छोड़ने को तैयार नहीं हैं। एनडीआरएफ और पीएसी की टीमें क्षेत्र में सक्रिय हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि राहत के नाम पर केवल दवाएं बांटी जा रही हैं, असली मदद अब तक नहीं मिली ।
बाढ़ से शेरपुर, महाराजगढ़, चंडीगढ़, धारा की गढ़ी, नगला चंडी, नगला रामस्वरूप, नगला अमर सिंह, घरबरा, लालपुर रामगढ़ी, पखौदना गांव के संपर्क मार्ग टूटने के कगार पर हैं। इन गांवों की हजारों बीघा फसल डूब गई है। धान, बाजरा व सब्जियों की फसलों को सबसे अधिक नुकसान है। संपर्क मार्गों पर पानी भरने से लोग गांव में कैद होकर रह गए हैं। गुरुवार को शेरपुर में पानी घुसने से एक किसान का झोपड़ीनुमा मकान गिर गया। एक मकान में दरारें आ गईं। प्रभावित गांवों के लोगों का कहना है कि प्रशासन को बर्बाद फसल का सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाना चाहिए।
गुरुवार को एनडीआरएफ की टीम ने आइआरबी वोट के माध्यम से प्रभावित गांव में स्वास्थ्य टीमें भेजकर ग्रामीण लोगों के स्वास्थ्य का परीक्षण कराकर दवा का वितरण कराया। पशु चिकित्सा टीम वोट के माध्यम से प्रभावित गांव में पहुंचकर पशुओं के जांच में जुटी रही। एसडीएम खैर शिशिर कुमार ने बताया कि पांच पंचायतों के सात गांव पर बाढ़ का अधिक खतरा है। अब शुक्रवार से कुछ पानी कम होने की उम्मीद है। पानी उतरने पर ही फसलों के नुकसान का सर्वे कराया जाएगा।
पूर्व सांसद ने साधा सरकार पर निशाना
पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह ने भी गुरुवार को प्रभावित गांव का दौरा कर लोगों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र हर वर्ष बाढ़ से प्रभावित होता है। वर्ष 2004 में उनके सांसद कार्यकाल के दौरान भारत सरकार से 80 करोड़ रुपये स्वीकृत कराकर बांध का निर्माण न कराया होता तो आज यह बाढ़ टप्पल थाने को भी डुबो देती। वर्तमान में केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार किसानों की पीड़ा को समझ नहीं पाई है। सरकार को जल्द ही फसलों के नुकसान का सर्वे कर मुआवजा देना चाहिए।
रेस्क्यू कर बचाए दो युवक
गुरुवार को पखौदना गांव में दो युवक बाढ़ की चपेट में आ गए। इनमें से एक युवक गहरे पानी में चला गया। एनडीआरएफ की टीम ने दोनों को बचा लिया। टीम ने ग्रामीणों को चेताया कि बिना आवश्यकता पानी में न उतरें। दो बीमार लोगों को नाव के जरिए अस्पताल तक पहुंचाया। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी प्रशासन सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर रहा है। टप्पल मंडी चौकी में 70 से अधिक लोग शरण लिए हुए हैं।
सांसद ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
सांसद सतीश गौतम ने भी गुरुवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र महाराजगढ़, शेरपुर, लालपुर, किशनगढ़ में दौरा किया। यहां पर लोगों से बातचीत कर हर संभव मदद का भरोसा दिया। प्रशासन को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
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