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यमुना एक्सप्रेस वे हादसे में सात की मौत, कभी चलती तो कभी अटकती रहीं सांसें, 45 मिनट इंतजार, फिर सांसों ने तोड़ा 'धीरज'

Yamuna Expressway Accident Today Seven Died हेड कांस्टेबल बच्चों और युवक का बहता खून रोकने को बांधते रहे कपड़े पर नहीं आई एंबुलेंस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौहझील पर पर सोता मिला स्टाफ 25 मिनट बाद आए चिकित्सकए राजेश कपड़े की सिलाई करते श्रीगोपाल पिता के साथ काम देखते।

By Abhishek SaxenaEdited By: Published: Sat, 07 May 2022 06:45 PM (IST)Updated: Sat, 07 May 2022 06:45 PM (IST)
यमुना एक्सप्रेस वे हादसे में सात की मौत, कभी चलती तो कभी अटकती रहीं सांसें, 45 मिनट इंतजार, फिर सांसों ने तोड़ा 'धीरज'
Yamuna Expressway Accident Today हादसे के शिकार हुए दंपती

आगरा, जागरण टीम। शरीर खून से लथपथ, कभी चलतीं तो कभी अटकती सांसें। उनको रोकने की कोशिश करते हेड कांस्टेबल सतीश चंद्र। वह कभी कृष के शरीर से बहते खून को रोकने को कपड़ा बांधते, तो कभीकभी श्रीगोपाल के। एंबुलेंस को हादसे की सूचना दी। कृष और श्रीगोपाल को लेकर हेड कांस्टेबल सीएचसी नौहझील पहुंचे। आगे की सीट पर फंसा धीरज कराहता रहा, कांस्टेबल कमल ने बाहर निकाला।

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एंबुलेंस पहुंचने में 45 मिनट लग गए, तब तक धीरज की सांसें टूट गईं। पीआरवी के हेड कांस्टेबल सतीश चंद्र, कांस्टेबल कमल सिंह और चालक विश्वनाथ चौधरी घटनास्थल पर पहुंचे, तो कार की पीछे की सीट पर कृष और उसके चाचा श्रीगोपाल घायल मिले। कृष के रोने की आवाज आ रही थी। राहगीरों की मदद से कार की पीछे की सीट खोली। कृष और श्रीगाेपाल को बाहर निकाल लिया। एंबुलेंस को भी सूचना दी। श्रीगोपाल के सिर से खून बह रह था और कृष के शरीर से। उसका एक पैर भी टूट गया। खून रोकने को पुलिस ने कार से मिले कपड़े बांधे, पर खून नहीं रुका।

हेड कांस्टेबल सतीश चंद्र ने बताया, वह कृष और श्रीगोपाल को लेकर सीएचसी नौहझील पहुंचे। स्टाफ सो रहा था। 25 मिनट बाद चिकित्सक आए। जिला अस्पताल रेफर कर दिया। चालक और उसकी बगल वाली सीट पर धीरज फंसा तड़प रहा था। उसे बाहर खींचकर निकाला गया, तब सांसें चल रही थीं। कांस्टेबल कमल सिंह ने बताया, वह एंबुलेंस का इंतजार कर रहे थे। एंबुलेंस पहुंचने से पहले ही धीरज ने दम तोड़ दिया।

कार काटकर निकाले दंपती

कार संजय चला रहे थे, जबकि संजय की पत्नी निशा और बड़ा बेटा धीरज आगे की सीट पर बैठे हुए थे। टक्कर लगते ही धीरज चालक और उसके बराबर में गियर वाले स्थान पर आ गया। जिसे आसानी से कांस्टेबल कमल सिंह ने राहगीरों की मदद से निकाल किया। संजय और उसकी पत्नी फंसी थीं। थाना प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार और बाजना पुलिस चौकी प्रभारी पवन कुमार भी घटनास्थल पर पहुंचे। चालक की साइड की खिड़की कटर से कटवाई और बाहर निकाला।

वैगनआर कार में नौ लोग कैसे

मृतक लल्लू के भतीजे रामकरन ने बताया, जब गांव से ये लोग कार में चले थे। तब संजय कार चला रहे थे। पत्नी निशा, बेटे धीरज को गोद में लेकर आगे बैठ गईं। पीछे की सीट पर लल्लू गौतम, उनकी पत्नी छुटकी, राजेश, श्रीगाेपाल, कृष और नंदनी बैठ गए। कृष को श्रीगोपाल ने अपनी गोद में बैठा लिया। बाकी आगे-पीछे होकर बैठे।

40 पहले बड़े भाई हो गए थे लापता, तब कर ली थी भाभी से शादी

हरदोई के गांव सुंदर टिकरा के रहने वाले लल्लू के ऊपर दो परिवारों का बोझ बीस साल की उम्र में ही आ गया था। चालीस साल पहले बड़े भाई रामखिलावन अचानक लापता हो गए। रामखिलावन के पुत्र रामकरन की उम्र तीन साल थी। रामखिलावन का कोई पता नहीं चला, तब उनकी पत्नी छुटकी से लल्लू ने शादी कर ली। दो परिवार पालने को लल्लू नोएडा में बस गए। रामखिलावन के पुत्र रामकरन (45) ने बताया, उनका पालन-पोषण बेटे की तरह से चाचा लल्लू गौतम ने किया।

एक बीघा जमीन और मेहनत मजदूरी करके वह उनके लिए दो वक्त की रोटी जुटाते। छुटकी से शादी के बाद सुनीता, राजू, संजय, रामबाबू, राजेश, श्रीगोपाल का जन्म हुआ। रामकरन ने बताया, हम सभी को पालने के लिए चाचा वर्ष 2010 में गांव से पलायन कर नोएडा आ गए।

किराए का मकान लेकर कोयला बेचने लगे। यहां संयुक्त परिवार था। राजू कपड़ों पर प्रेस करने का काम करता हैं,संजय अपनी खुद की टैक्सी चलाते थे। राजेश कपड़े की सिलाई करते, श्रीगोपाल पिता के साथ काम देखते। मृतक लल्लू के तीसरे नंबर के पुत्र रामबाबू और उनकी पत्नी आरती बस से शुक्रवार दोपहर में गांव से नोएडा आ गए थे। सुबह करीब साढ़े तीन बजे बजे वह नोएडा पहुंच गए। कुछ देर बाद हादसे की सूचना मिली।

आधार कार्ड बनवाने को रुक गए थे राजू

कार में सभी लोग नहीं आ सकते थे। लल्लू के सबसे बड़े बेटे राजू पत्नी सरिता, पुत्र शिवम, बेटी लक्ष्मी, सरस्वती, मानसी और छोटे बेटे हर्षित के साथ गांव में ही रुक गए। राजू ने बताया, उनको अपने बेटे-बेटियों का आधार कार्ड बनवाना था। वह बुधवार को नोएडा जाते। 

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