Taj Mahal: चटक रहे दुनिया की खूबसूरत इमारत ताज के पत्थर, कई टूटकर भी गिरे, निर्माण को हुए हैं 370 वर्ष
Taj Mahal शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में तामीर कराए ताजमहल को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक देखने आते हैं। ताजमहल की खूबसूरती उसके सफेद संगमरमर के पत्थरों से है और आज इन पत्थरों देखभाल की जरूरत है।
आगरा, जागरण संवाददाता। विश्व धरोहर ताजमहल के धवल संगमरमरी पत्थर चटकने लगे हैं। मीनार के चटके पत्थरों को आसानी से देखा जा सकता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा स्मारक की उचित देखरेख नहीं किए जाने से यह स्थिति हो रही है। कुछ जगह पर चटके पत्थर टूटकर भी गिर चुके हैं।
ताजमहल को हो चुके हैं करीब 370 वर्ष
ताजमहल का निर्माण 16वीं सदी में शहंशाह शाहजहां ने मुमताज महल की स्मृति में कराया था। ताजमहल के निर्माण को करीब 370 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इसका असर अब ताजमहल पर साफ नजर आने लगा है। कुछ जगह से उसके पत्थर चटक गए हैं और टूटकर गिर रहे हैं। स्मारक की उत्तर-पश्चिमी मीनार (यमुना किनारा पर मस्जिद की तरफ) के कुछ संगमरमर के पत्थरों में चटक आ गई है।
मुख्य मकबरे के ऊपर से देखने पर दो पत्थर किनारों से चटके हुए साफ नजर आ रहे हैं। जबकि उनसे कुछ ऊपर लगे एक पत्थर का हिस्सा टूटा हुआ नजर आ रहा है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को यह पत्थर नजर आ रहे हैं, लेकिन स्मारक का संरक्षण व देखरेख करने वाले एएसआइ को यह नजर नहीं आ रहे हैं। उसने इन्हें अनदेखा कर रहा है।
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आइरन क्लैंप से जोड़े जाते थे पत्थर
अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. राजकुमार पटेल ने बताया कि मुगल काल में पत्थरों के जोड़ के बीच आइरन क्लैंप का इस्तेमाल किया जाता था। ताजमहल में भी आइरन क्लैंप का इस्तेमाल पत्थरों के जोड़ के बीच हुआ है। जंग लगने पर आइरन क्लैंप फूल जाते हैं, जिससे पत्थर चटकते हैं। ताजमहल की उत्तर-पश्चिमी मीनार के अलावा कुछ अन्य जगहों पर भी इसी वजह से पत्थर चटक गए हैं। संरक्षण का काम होने पर इन चटके पत्थरों को बदला जाएगा।
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कराई गई चेकिंग
एएसआइ के अधिकारियों ने बुधवार को ताजमहल का निरीक्षण किया। मीनार के चटके पत्थरों को देखा गया। मीनार के अंदर भी स्थिति चेक कराई गई कि कहीं अंदर से तो कोई दिक्कत नहीं है। अंदर स्थिति सही मिली। उत्तर-पश्चिमी मीनार का संरक्षण वर्ष 2015-16 में किया गया था। तब यहां सफेद पत्थरों के बीच से निकले बार्डर के काले पत्थरों को लगाने के साथ ढीले हुए पत्थरों को फिक्स किया गया था।