Move to Jagran APP

Hanuman Jayanti 2020: इस पाठ के बिना अधूरी है हनुमान जी की पूजा, जयंती पर जान लें क्‍या मिलता है फल

आठ अप्रैल को है इस वर्ष हनुमान जयंती। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार जरूर करना चाहिए इस‍ दिन सुंदरकांड का पाठ।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 04:16 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 04:16 PM (IST)
Hanuman Jayanti 2020: इस पाठ के बिना अधूरी है हनुमान जी की पूजा, जयंती पर जान लें क्‍या मिलता है फल
Hanuman Jayanti 2020: इस पाठ के बिना अधूरी है हनुमान जी की पूजा, जयंती पर जान लें क्‍या मिलता है फल

आगरा, तनु गुप्‍ता। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हनुमान जयंती हर वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को होती है। चैत्र पूर्णिमा के दिन राम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस वर्ष हनुमान जयंती 08 अप्रैल 2020 दिन बुधवार को है। वास्तव में हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं, जिन्होंने त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम की भक्ति और सेवा के लिए जन्म लिया। हनुमान जी की पूजा में सुंदरकांड का सबसे अधिक महत्‍व दिया गया है। इसके पीछे कारण को जागरण डॉट कॉम ने धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी से जाना। उन्‍होंने बताया कि संकट हरने वाले, मंगल कारक हनुमान की लीलाओं का जिसमें बखान किया गया है वो सुंदर कांड है। पूरी रामायण में सिर्फ यही एक अध्‍याय ऐसा है जिसमें श्री राम की नहीं बल्कि हनुमान की विजय, पराक्रम का बखान है। सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं। हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां तीन पर्वत थे पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे। और तीसरे पर्वत का नाम था सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस कांड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकांड रखा गया।

loksabha election banner

विशेष अवसर की शुरुआत होती है सुंदरकांड के पाठ से

पंडित वैभव कहते हैं कि शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरूआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा है, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं, कई ज्योतिषी या संत भी विपरित परिस्थितियों में सुंदरकांड करने की सलाह देते हैं। आपको शायद मालूम ना हो, लेकिन यदि आप सुंदरकांड के पाठ की पंक्तियों के अर्थ जानेंगे तो आपको यह मालूम होगा कि इसमें जीवन की सफलता के सूत्र भी बताए गए हैं। यह सूत्र यदि व्यक्ति अपने जीवन पर अमल कर ले तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए यह राय दी जाती है कि यदि रामचरित्मानस का पूर्ण पाठ कोई ना कर पाए, तो कम से कम सुंदरकांड का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए।यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि जब घर पर रामायण पाठ रखा जाए तो उस पूर्ण पाठ में से सुंदरकांड का पाठ घर के किसी सदस्य को ही करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवाह होता है।

मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ

पंडित वैभव कहते हैं कि वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड हैं। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं। किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।

ये है धार्मिक लाभ

हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है। सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.