Vinay Kumar Pathak: विवादों से पुराना नाता, रुतबे में छिप गए आरोप, बिना नक्शे के किया संस्कृति भवन का लोकार्पण
Vinay Kumar Pathak शिवाजी मंडपम में फर्नीचर के लिए किया करोड़ो रुपये का भुगतान। उनके द्वारा उठाए गए कई निर्णयों पर विश्वविद्यालय में आरोप-प्रत्यारोप क ...और पढ़ें
आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में कार्यवाहक कुलपति के रूप में प्रो. विनय कुमार पाठक ने इस साल जनवरी में कार्यभार ग्रहण किया था। कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही उनका और विवादों का चोली-दामन का साथ हो गया।
40 करोड़ की लागत से बना था संस्कृति भवन
कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद सबसे पहले प्रो. पाठक ने बिना नक्शे के सिविल लाइंस में 40 करोड़ रुपये की लागत से बने संस्कृति भवन और शिवाजी मंडपम का लोकार्पण किया। शिवाजी मंडपम के लिए करोड़ों रुपये के फर्नीचर की खरीद-फरोख्त का मामला भी उठा था, जिसमें फर्नीचर का भुगतान हो चुका है, लेकिन फर्नीचर अभी तक पहुंचा ही नहीं है। इसकी शिकायत शासन स्तर पर पहुंचाई गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आइटीएचएम के फर्नीचर और लैब को लेकर भी शिकायत शासन तक पहुंच चुकी है।
यह रहे मामले और विवाद
- 11 और 14 मई को हुए पेपर लीक मामले के बाद नोडल केंद्रों में आरएफआइडी लाक लगाए गए। इन लाक को लगाने के लिए 25 लाख रुपये का भुगतान बिना नियम प्रक्रिया के हुआ, जिसके चलते आइइटी के पूर्व निदेशक प्रो. वीके सारस्वत से विवाद भी हुआ था।
- गेस्ट फैकल्टी में आरक्षण का पालन नहीं किया गया।
- स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला। प्रोफेसर का पद ईडब्ल्यूएस श्रेणी में दिया गया।विज्ञापन में करोड़ो रुपये खर्च किए गए। इसकी शिकायत भी मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल भी की गई है।
- आवासीय इकाई में प्रवेश के विज्ञापन के लिए वित्त समिति से पांच लाख रुपये इंटरनेट मीडिया पर प्रचार के लिए स्वीकृत हुए, लेकिन ढाई करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए गए।
- अलीगढ़ के राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों को समय निकलने के बाद भी मान्यता प्रदान की गई।इसकी शिकायत शासन से की गई। शासन ने जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाई।समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिख कर दिया था कि शासन द्वारा निर्धारित अंतिम तिथि के बाद भी फाइलों पर हस्ताक्षर किए और मान्यता दी गई।
- आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध जिन कालेजों के पास अस्थायी संबद्धता थी, उनके शिक्षकों का अनुमोदन दो लाख रुपये में किया गया।इसकी शिकायत भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री को की गई थी।
- डीन एकेडमिक, डीन एल्युमिनाई व डीन फैकल्टी पदों का असंवैधानिक रूप से गठन किया गया।
- पांच निदेशकों को असंवैधानिक रूप से पद से हटा दिया गया।
- सेंटर निर्धारण की शिकायतें भी शासन को पहुंची थी।
- दो हजार अभ्यर्थियों के लिए कराई गई पीएचडी प्रवेश परीक्षा भी अजय मिश्रा की एजेंसी से कराई गई, जिसके लिए 25 लाख रुपये का भुगतान हुआ।
मैंने अनुबंध समाप्त नहीं किया एजेंसी के साथ- प्रो. आशु रानी
डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के खिलाफ एजेंसी द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में साफ तौर पर लिखा गया है कि प्रो. विनय कुमार पाठक ने आंबेडकर विश्वविद्यालय के साथ अनुबंध को जारी रखने के नाम पर दस लाख रुपये मांगे। धमकी दी कि अगर रिश्वत नहीं दी तो अनुबंध जारी नहीं रखा जाएगा। एजेंसी के मना करने के बाद नव नियुक्त कुलपति प्रो. आशु रानी ने एजेंसी के साथ अनुबंध समाप्त कर दिया। जिस एजेंसी से अब अनुबंध हुआ है वो एजेंसी गिरफ्तार हुए अजय मिश्रा की है।
इस बारे में कुलपति प्रो. आशु रानी का कहना है कि मैंने डिजिटेक्स के साथ अनुबंध समाप्त नहीं किया है। डिजिटेक्स एजेंसी भी विश्वविद्यालय में कार्य कर रही है, नई एजेंसी का चयन उनकी नियुक्ति से पहले ही हो चुका था।डिजिटेक्स सत्र 2021-22 तक का पूरा काम देखेगी। अजय मिश्रा की एजेंसी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद हुए बदलावों के कारण यूपीसीएल के माध्यम से काम दिया गया है। इसके साथ ही चार्टों की स्कैनिंग का काम कोलकाता की एजेंसी वेबर कर रही है।

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