US Tariff: अमेरिका का रेसिप्रोकल टैरिफ आज से शुरू, भारत के इस उद्योग पर सबसे ज्यादा पड़ेगी मार
अमेरिका द्वारा बुधवार से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने से आगरा के जूता और हस्तशिल्प उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हस्तशिल्प के कुल 1200 करोड़ से अधिक के निर्यात में आधी हिस्सेदारी अमेरिका की है। वहीं जूता के चार हजार करोड़ के निर्यात में से 300 करोड़ से अधिक अमेरिका को जाता है। टैरिफ लागू होने से उत्पादों की कीमत बढ़ेगी जिससे अमेरिका में खरीद घटेगी।
जागरण संवाददाता, आगरा। अमेरिका द्वारा बुधवार से रेसिप्रोकल टैरिफ प्रभावी रूप से लागू किया जाना है, इसके चलते यहां से निर्यात होने वाले जूता और हस्तशिल्प उद्यमियों के लिए संकट खड़ा होगा। हस्तशिल्प के कुल 1200 करोड़ से अधिक के निर्यात में आधी हिस्सेदारी अमेरिका की है।
वहीं, जूता के चार हजार करोड़ के निर्यात में से 300 करोड़ से अधिक अमेरिका को जाता है। टैरिफ लागू होने से उत्पादों की कीमत बढ़ेगी, जिससे अमेरिका में खरीद घटेगी। इससे रोजगार पर भी सीधा असर पड़ेगा। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तेवर कुछ नरम हुए हैं, इससे यह आस भी है कि भार कुछ कम आएगा।
टैरिफ लगाने का निर्णय दो अप्रैल से प्रभावी होना है। इससे उत्पादों की मांग और निर्यात घटने की आशंका जताई जा रही है। जूता उद्यमी राजीव वासन का कहना है कि अमेरिका को हम सस्ता जूता उपलब्ध कराते हैं, जबकि उसके यहां लागत अधिक आती है। ऐसे में टैरिफ हमारा निर्यात तो उनका बाजार भी प्रभावित करेगा, इसलिए निर्णय पर पुन: विचार करना होगा।
10 से 30 डॉलर अमेरिका में जूता निर्यात होता है
भारत से 10 से 30 डॉलर तक का जूता निर्यात होता है, जबकि अमेरिका में श्रमिक खर्च ही इससे अधिक है। हस्तशिल्प उद्यमी डॉ. एसके त्यागी ने बताया कि हस्तशिल्प का आधा कारोबार ही अमेरिका पर निर्भर है। लग्जरी वस्तुओं और आकर्षक सामान को वहां ज्यादा पसंद किया जाता है। टैरिफ से निर्यात घटेगा।
जूता निर्यातक चंद्रमोहन सचदेवा के अनुसार, भारत में श्रमिक शक्ति अधिक सस्ती है। वहीं अमेरिका में ऐसा नहीं है। टैरिफ से हम पर टैक्स का भार बढ़ेगा, निर्यात प्रभावित होगा। ऐसे में अमेरिका के बाजार में भी अस्थिरता आएगी।
हैंडीक्राफ्टस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अनुराग मित्तल का कहना है कि टैरिफ लागू होने से हस्तशिल्प कारोबार पर बड़ा असर पड़ने वाला है। 50 प्रतिशत से अधिक कारोबार सिर्फ अमेरिका से ही होता है। पहले से ही मंदी में चल रहा कारोबार और प्रभावित होगा।
टैरिफ क्या होता है?
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में टैरिफ या कस्टम ड्यूटी का अर्थ है किसी वस्तु के आयात पर लगाया जाने वाला शुल्क। आयातक यह शुल्क सरकार को देते हैं। इसका बोझ आमतौर पर अंतिम उपभोक्ता पर ही आता है। रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जो देश अमेरिकी सामान पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।
मुरादाबाद के निर्यातक भी चिंतित
टैरिफ को लेकर मुरादाबाद के निर्यातक भी चिंतित हैं। मुरादाबाद के एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर टैरिफ नीति के फेर में अटके हुए हैं। ऐसे में टैरिफ नीति को लेकर निर्यातकों की सरकार पर निगाहें टिकी हुई हैं। सरकार कुछ राहत दे तो निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। मुरादाबाद से अमेरिका के साथ सालाना करीब आठ हजार करोड़ रुपये का निर्यात होता है। ऐसे में टैरिफ की चर्चा की असर पहले ही पड़ने लगा है।
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