Taj Mahal सालों साल रहे सुरक्षित, CEC ने दिया प्रदूषण कम करने को मंत्र, विकसित करें हरियाली
सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने ताजमहल को सुरक्षित रखने के लिए एक कार्य योजना पेश की है, जिसमें टीटीजेड क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने पर जोर दिया गया है। हाईवे और औद्योगिक क्षेत्रों के पास पेड़ लगाने से धूल कणों को कम करने का प्रयास किया जाएगा। आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क की धूल प्रदूषण का मुख्य कारण है। सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई है और कृषि वानिकी को अस्वीकार कर दिया है।

ताजमहल।
जागरण संवाददाता, आगरा। सुप्रीम कोर्ट में विजन डाक्यूमेंट पर दाखिल कार्य योजना में सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में हरियाली विकसित करने पर विशेष जोर दिया है। ताजमहल के सैकड़ों वर्षों तक संरक्षण को तैयार किए गए विजन डाक्यूमेट की सीईसी द्वारा तैयार कार्य योजना में हाईवे व नहरों के किनारों और औद्योगिक क्षेत्राें में हरियाली विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
हरियाली विकसित कर धूल कणों के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा। आगरा में हवा में घुले धूल कणों व अति सूक्ष्म कणों की मात्रा बहुत अधिक है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार शहर में कुल क्षेत्रफल के करीब 33 प्रतिशत पर हरियाली होनी चाहिए।
ताजमहल की 50 किमी की परिधि में 10 हजार 400 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत टीटीजेड में आने वाले आगरा में केवल 6.82 प्रतिशत क्षेत्र में ही हरियाली है। टीटीजेड के अन्य जिलों मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, हाथरस और भरतपुर में तो हरियाली की स्थिति काफी खराब है। यहां हरियाली कम होने और नमी कम होने से प्रदूषक तत्वों में धूल कण अधिक हैं।
आइआआइटी, कानपुर ने वर्ष 2021 में सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी कर बताया था कि धूल कणों में 82.3 प्रतिशत सड़क की धूल और अति सूक्ष्म कणों में 67.9 प्रतिशत तक सड़क की धूल जिम्मेदार है। सीईसी ने ताजमहल के संरक्षण को तैयार व्यापक कार्य योजना में हरियाली विकसित करने पर विशेष जोर दिया है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में टीटीजेड में पेड़ों की कटाई, प्रतिपूरक पौधारोपण और पारिस्थितिकी की बहाली को मानक संचालन प्रकिया (एसओपी) तैयार करने को कहा है। इसे प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी (डीएफओ) के स्तर पर लागू किया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की पांच किमी की परिधि में बिना उसकी अनुमति के किसी भी तरह के पेड़ को काटने पर रोक लगाई थी।
कृषि वानिकी को इन्कार कर चुका है सुप्रीम कोर्ट
सीईसी ने भले ही कृषि वानिकी की सिफारिश की हो, लेकिन टीटीजेड में सुप्रीम कोर्ट कृषि वानिकी को अनुमति देने से इन्कार कर चुका है। राज्य सरकार और आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन की याचिका मई में खारिज करते हुए न्यायालय ने माना था कि कृषि वानिकी को अनुमति देना, टीटीजेड में पेड़ाें को काटने के लिए लाइसेंस देने के समान होगा। पेड़ों के अवैध कटान से टीटीजेड में पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। इसके चलते सीईसी द्वारा अपनी रिपोर्ट में की गई सिफारिश पर यहां अमल नहीं हो सकेगा।
सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी में बताए गए प्रदूषण के मुख्य कारण
- धूल कणों में सड़क की धूल का योगदान, 82.3 प्रतिशत
- अति सूक्ष्म कणों में सड़क की धूल का योगदान, 67.9 प्रतिशत
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