Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Taj Mahal: 100 करोड़ की कमाई कराने वाला स्मारक, रखरखाव में पिछड़ रहा ASI

    By Nirlosh Kumar Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 12:37 PM (IST)

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण 19 से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह मना रहा है। ताजमहल से एएसआई को अच्छी आय होती है, लेकिन रखरखाव पर कम ध्यान दिया जा रहा है। मुख्य मकबरे के पत्थर चटक रहे हैं और पच्चीकारी के पत्थर गायब हैं। वर्ष 2024 में लाखों पर्यटकों ने ताजमहल का दीदार किया। आरटीआई के अनुसार, आय का एक छोटा हिस्सा ही संरक्षण पर खर्च होता है। पत्थरों के चटकने का कारण लोहे के क्लैंप का फूलना है।

    Hero Image

    ताजमहल।

    जागरण संवाददाता, आगरा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) 19 से 25 नवंबर तक विश्व धरोहर सप्ताह मना रहा है। यह सप्ताह ऐतिहासिक महत्व, संस्कृति और वास्तुकला की अनुपम धराेहरों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ताजमहल पर लागू प्रवेश शुल्क से एएसआइ को कमाई तो खूब हो रही है, लेकिन वह स्मारक का उचित संरक्षण नहीं कर पा रहा है। मुख्य मकबरे पर कई स्थानों से पच्चीकारी के पत्थर निकल गए हैं। पानदासा के पत्थर भी कई जगह पर चटके हुए हैं।

    ताजमहल देश के साथ ही विदेश के सर्वाधिक पर्यटकों को आकर्षित करने वाला स्मारक है। ताजमहल देखने वर्ष 2024 में 63.91 लाख भारतीय और 7.06 लाख विदेशी पर्यटक आए थे।

    सूचना का अधिकार (आरटीआइ) में एएसआइ के आगरा सर्किल ने बताया था कि वर्ष 2023-24 में ताजमहल से (टिकटों की बिक्री व फिल्मों की शूटिंग फीस) एएसआइ को 99.54 करोड़ रुपये की आय हुई थी, जबकि उसके संरक्षण पर केवल 3.17 करोड़ रुपये ही व्यय हुए थे।

    इतनी आय होने के बाद भी ताजमहल के संरक्षण पर समुचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ताजमहल में मुख्य मकबरे की दीवार पर लगे संगमरमर के पत्थर कई जगह से चटक गए हैं। बार्डर समेत पच्चीकारी के पत्थर कई जगह से निकले हुए हैं।

    रायल गेट में अंदर की तरफ बने पत्थर के छोटे पिलर का प्लास्टर छूट गया है। गाइड योगेश शर्मा बताते हैं कि मुख्य मकबरे में कब्रों वाले कक्ष के चारों ओर संगमरमर की जाली लगी हुई। निकास के पास जाली में पच्चीकारी के निकले पत्थरों को कभी दोबारा लगाया गया होगा।

    यह बहुत भद्दे तरीके से लगे हुए हैं। इन्हें सही कराया जाना चाहिए। अधीक्षण पुरातत्वविद डा. स्मिथा एस. कुमार ने बताया कि पच्चीकारी के संरक्षण का प्रस्ताव है। पच्चीकारी के निकले पत्थरों को लगाया भी गया है। पत्थरों में चटकन आने की वह जानकारी करेंगी।

     

    आइरन क्लैंप फूलने से चटक रहे हैं पत्थर

    ताजमहल के निर्माण के समय आइरन क्लैंप का इस्तेमाल पत्थरों के जोड़ में किया गया था। नमी के संपर्क में आने से आइरन क्लैंप फूल जाता है, जिससे पत्थर में चटक आ जाती है। ताजमहल की दीवार में लगे पत्थरों के चटकने की वजह भी यही मानी जाती है।

    यह भी पढ़ें- Taj Mahal सालों साल रहे सुरक्षित, CEC ने दिया प्रदूषण कम करने को मंत्र, विकसित करें हरियाली