Shardiya Navratri 2022: कल है आठवां दिन, शादी की अड़चन होगी दूर, पढ़ें मां महागौरी की पूजा विधि और मंत्र
Shardiya Navratri 2022 मां गौरी की विधिवत् अराधना करने से निसंतान दंपति को संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। नवरात्रि के दौरान अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी है विधान। एक से 10 वर्ष तक की कन्या पूजी जाएंगी।
आगरा, तनु गुप्ता। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों का पावन पर्व अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। नवरात्रि के नौ दिनों में प्रति दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है लेकिन नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक में कन्या पूजन का भी विधान है जो इस पर्व के महत्व को और भी बढ़ा देता है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार महागौरी को भगवान गणेश की माता के रूप में भी जाना जाता है।
कैसा है महागौरी माता का स्वरूप
नवरात्रि की अष्टमी तिथि और मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि का पावन पर्व अब समापन की ओर की है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है इसे महाअष्टमी व दुर्गा अष्टमी दोनों नामों से जाना जाता है। इनका रंग दूध के समान श्वेत हैए गौरवर्ण के कारण ये महागौरी कहलाती हैं। ये अमोघ फलदायिनी हैं। इनकी पूजा से मनुष्य के सभी कलुष धुल जाते हैं व पूर्व संचित पापकर्म का भी नाश हो जाता है। इनकी आराधना से मनुष्य अक्षय पुण्य का अधिकारी हो जाता है। मां महागौरी अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां गौरी की विधिवत् अराधना करने से निसंतान दंपति को संतान सुख की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा देवी के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी तरह की परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। वहीं जिस किसी की भी शादी में किसी तरह की अड़चन आ रही है तो वो भी कल के दिन महागौरी की पूजा करें। शिवपुराण के अनुसार माना जाता है कि जब मां केवल आठ बरस की थी तभी उन्हें पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास हो गया था। इसलिए इसी उम्र में उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के घोर तपस्या शुरू कर दी थी।
महागौरी की पौराणिक कथा
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थीए जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था। वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दियाए माता का रूप गौरवर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।
पूजन विधि
- सबसे पहले चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
- चौकी पर चांदी तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, सात सिंदूर की बिंदी लगाएं की स्थापना भी करें।
- इसके बाद व्रत पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
- इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प.हार, सुगंधित द्रव्य, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
- अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं। ये शुभ फल देने वाला माना गया है।
कन्या पूजन विधि और महत्व
अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान भी है। वैसे कई लोग नवमी को भी कन्या पूजन करते हैं। दरअसल मार्केंडय पुराण के अनुसार सृष्टि सृजन में शक्ति रूपी नौ दुर्गा, व्यस्थापाक रूपी नौ ग्रह, चारों पुरुषार्थ दिलाने वाली नौ प्रकार की भक्ति ही संसार संचालन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। आमतौर पर कन्या पूजन सप्तमी से ही शुरू हो जाता है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मान कर पूजा जाता है।
कन्याओं का पूजन करते समय पहले उनके पैर धो कर पंचोपचार विधि से पूजन करें और बाद में भोजन कराएं और प्रदक्षिणा करते हुए यथा शक्ति वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर विदा करें। इस तरह नवरात्रि पर्व पर कन्या का पूजन करके भक्त मां की कृपा पा सकते हैं।
मां महागौरी पूजा मंत्र
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बराधरा शुचिरू
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यैए नमस्तस्यैए नमस्तस्यै नमो नमरू।।
ओम देवी महागौर्यै नमरू।।
धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी