2.5 वर्ष में 25 बार प्रसव और 5 बार नसबंदी, जननी सुरक्षा योजना में फर्जीवाड़े के लिए तोड़ दिए सारे नियम
जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी योजना में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। आगरा जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फतेहाबाद में एक महिला के नाम पर ढाई साल में 25 बार प्रसव और 5 बार नसबंदी दिखाकर 45 हजार रुपये का भुगतान किया गया। आडिट रिपोर्ट में जिले में प्रसव के लिए 27.54 लाख और नसबंदी के लिए 11.41 लाख रुपये का भुगतान संदिग्ध पाया गया है।
अजय दुबे l जागरण आगरा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी की प्रोत्साहन राशि में फर्जीबाड़ा हुआ है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) फतेहाबाद में पिछले ढाई साल में एक महिला का 25 बार प्रसव और पांच बार नसबंदी की गई। आडिट टीम की जांच में जिले के 18 सीएचसी, लेडी लायल महिला अस्पताल और एसएन मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत किए गए 38.95 लाख का भुगतान संदिग्ध है।
मिशन निदेशक डॉक्टर पिंकी जोवल ने जांच के आदेश दिए हैं। एनएचएम के तहत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूताओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र में एक हजार रुपये दिए जाते हैं। महिला नसबंदी के लिए दो हजार रुपये मिलते हैं। यह धनराशि महिला के बैंक अकाउंट में भेजी जाती है। जिले में वित्तीय वर्ष 2021- 22 और 2022- 23 में किए गए भुगतान का आडिट कराया गया।
इस तरह हुआ खेल
सीएचसी फतेहाबाद का आडिट कर रही टीम को बार-बार कृष्णा कुमारी का रिकॉर्ड मिला। पिछले ढाई वर्ष में कृष्णा कुमारी का 25 बार प्रसव और पांच बार नसबंदी दिखाते हुए 45 हजार रुपये का भुगतान किया गया। भुगतान करने के लिए अलग-अलग कोड भी जनरेट किए गए।
वहीं दिसबंर 2022 में ममता नाम की महिला की नसबंदी सीएचसी अछनेरा और दो माह बाद फरवरी 2023 में सीएचसी खेरागढ़ में दिखाई गई। दोनों सीएचसी से अलग-अलग भुगतान किए गए। आडिट रिपोर्ट में जिले में प्रसव के लिए 27.54 लाख और नसबंदी के लिए 11.41 लाख रुपये का भुगतान संदिग्ध पाया गया है।
फर्जीबाड़े की जांच के लिए टीम गठित की जा रही है। टीम लाभार्थियों से संपर्क कर सत्यापन करेगी। सीएमओ डा. अरुण श्रीवास्तव
बेखाैफ होकर लाखाें का फर्जीवाड़ा
जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी के भुगतान में बेखौफ होकर लाखों का फर्जीवाड़ा स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक, डाक्टर, नर्स और कर्मचारियों ने मिलकर किया है। फर्जी भुगतान कराने के लिए महिला का नाम और बैंक खाता तक नहीं बदला गया, एक ही महिला के नाम पर प्रसव कराने के लिए दो तरह के भुगतान किए गए। वहीं, आडिट के दौरान लाभार्थियों को किए गए भुगतान के लिए फार्म, डिलीवरी रजिस्टर, महिला नसबंदी फार्म, महिला नसबंदी रजिस्टर सहित अन्य दस्तावेज आडिट के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए।
अनजान महिलाओं के बैंक खाते में भुगतान
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही एसएन मेडिकल कॉलेज और लेडी लायल जिला अस्पताल में प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना का प्रसूता और नसबंदी कराने वाली महिला के बैंक एकाउंट में कुछ दिन बाद भुगतान होता है। योजना के लाभ मिलने से अनजान महिलाओं के एकाउंट में पैसे नहीं भेजे गए। उनकी जगह फर्जीवाड़ा हुआ। प्रसूताओं के नाम पर अलग आइडी जनरेट की गई लेकिन नाम और एकाउंट नहीं बदला गया।
यदि नाम और एकाउंट नंबर बदले जाते तो यह मामला नहीं खुल पाता। वहीं, महिला नसबंदी के फर्जी आंकड़े दर्शाने की आशंका है, नसबंदी किए बिना ही रिकार्ड में दर्ज कर भुगतान करा दिया गया इसके लिए भी लाभार्थी का नाम और एकाउंट नहीं बदला गया है।
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