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    Sawan 2022: एक सौ एक मंदिरों की श्रृंखला का अनोखा शिवधाम, जहां उल्टी धारा में बहती है यमुना नदी, पढ़िए रोचक इतिहास

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Mon, 25 Jul 2022 02:31 PM (IST)

    Sawan Ka Somwar बटेश्वर जिसे पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व अटल बिहारी वाजपेयी की पैतृक स्थली के नाम से भी जानते हैं। यहां शिव मंदिर में सावन के सोमवार को लगती है शिवभक्तों की भारी भीड़ राजनीति के बड़े नेताओं से लेकर कलाकारों तक ने यहां पूजा-अर्चना की है।

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    Sawan Ka Somwar: बाबा बटेश्वर नाथ धाम में भगवान शिव को मूंछों और बड़े-बड़े आंखों के साथ दिखाया गया है।

    आगरा, जागरण टीम। यूपी के शहर आगरा में आपने ताजमहल के साथ-साथ कई ऐतिहासिक स्मारक भी देखे होंगे। लेकिन यहां से कुछ दूर ही एक ऐसा मंदिर हैं जो पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में प्रसिद्ध है। आगरा से 70 किलोमीटर उत्तर दिशा में यमुना नदी के किनारे बाबा भोलेनाथ की नगरी तीर्थ बटेश्वर धाम की बात आज हम कर रहे हैं।

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    सावन के सोमवार को उमड़ता है श्रद्धालु का सैलाब

    बाबा बटेश्वर नाथ धाम के इस प्राचीन मंदिर में भगवान शिव को मूंछों और बड़े-बड़े आंखों के साथ दिखाया गया है। यहां शिव और पार्वती सेठ-सेठानी की मुद्रा में बैठे हैं। शिव की यह मूर्ति दुनिया में इकलौती मूर्ति है। बटेश्वर का ये धाम 101 शिव मंदिरों की श्रृंखला के लिए भी पूरे प्रदेश में जाना जाता है। जिसे राजा बदन सिंह भदौरिया द्वारा बनवाया गया था।

    बटेश्वर धाम में हर साल सावन के साथ-साथ कार्तिक माह में विशाल पशु व लोक मेले का आयोजन होता है। पूर्णिमा पर विशेष स्नान यहां लाखों श्रद्धालुओं का आना होता है। पुराणों में उल्लेख है कि महाभारत काल में वासुदेव की बरात बटेश्वर से मथुरा गई थी। श्रीकृष्ण द्वारा कंस का वध किए जाने के बाद उसका शव बटेश्वर में यमुना नदी के किनारे जिस स्थान से टकराया। उसे कंस कगार के नाम से जाना गया।

    बटेश्वर धाम में शिव मंदिर श्रृंखला का अलौकिक नजारा

    किंवदंतियां इस मंदिर श्रृंखला के निर्माण से भी कम नहीं जुड़ी हैं। आसपास कई किंवदंतियां प्रचलित हैं, लेकिन सबका सार यही है कि नागर शैली के इन खूबसूरत शिवमंदिरों का निर्माण भदावर के राजघराने ने कराया। यमुना की धारा के उल्टी बहने का प्रसंग भी इस राजवंश के साथ जुड़ा है। भदावर के राजा ने यहां यमुना तट पर बटेश्‍वर नाथ के साथ 101 मंदिरों का निर्माण कराया। यहां कार्तिक शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया को प्रत्‍येक वर्ष बड़ा मेला लगता है जिसका मुख्‍य आकर्षण पशु मेला भी है।

    बटेश्वर शिव मंदिर पर चढ़ते हैं घंटे

    शिव मंदिर की मान्‍यता दूर दूर तक है। लोग यहां घंटा चढ़ाकर मनौती मानते हैं। 50 ग्राम से पांच क्विंटल तक के घंटे चढ़ाए जा चुके हैं, जो ज्‍यादातर आगरा के ही एटा से लगते जलेसर क्षेत्र में बनते हैं।

    यमुना नदी के उल्टी दिशा में बहने का रहस्य

    यमुना नदी पश्चिम से पूरब दिशा की ओर बहती है, लेकिन बटेश्वर नगरी में यह पूरब से पश्चिम दिशा की ओर बहती हुई बटेश्वर का चक्कर लगाती है। यह आकृति अ‌र्द्धचंद्राकार का रूप लेती हुई बह रही है। कार्तिक पूर्णिमा में चंद्रमा का प्रकाश जब तट पर बनी 101 महादेव मंदिरों की श्रंखला पर पड़ता है तो मंदिरों का प्रतिबिंब यमुना में स्पष्ट झलकता है। यह अलौकिक पल श्रद्धालुओं को रोमांचित करता है। हालांकि अब दर्जनों मंदिर व घाट ध्वस्त हो चुके हैं, कुछ गिरासू हैं।

    ऐसे पहुंचे बटेश्वर

    आगरा से बटेश्वर के लिए अब रेल मार्ग से भी जा सकते हैं। आगरा से पैसेंजर ट्रेन यहां के लिए चलती है। वहीं आगरा से सड़क मार्ग द्वारा भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। आगरा से ये क्षेत्र करीब 70 किलोमीटर दूर है। बिजलीघर, ईदगाह और कलेक्ट्रेट से बाह के लिए बसें उपलब्ध हैं। यहां से बटेश्वर धाम मंदिर पहुंच सकते हैं।

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