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    Chinta Haran Mahadev: शिव ने दूर की थी मां यशोदा की चिंता, द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण ने खाई थी माटी, ये है मान्यता

    By Abhishek SaxenaEdited By:
    Updated: Sun, 17 Jul 2022 05:14 PM (IST)

    Sawan Ka Somwar सावन के पहले सोमवार को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी महादेव के रंग में रंगेगी। श्रद्धालु व्रत रखकर महादेव से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करेंगे।श्रद्धालु सुबह जलाभिषेक करेंगे और शाम को महादेव के श्रृंगार के दर्शन करेंगे।

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    Sawan 2022: चिंताहरण महादेव मंदिर मथुरा, फोटो सोशल मीडिया

    आगरा, जागरण टीम। सोमवार काे शिवालयों में भक्तों का रेला उमड़ता है। रंगेश्वर महादेव, भूतेश्वर महादेव, गोकरणनाथ महादेव, पिपलेश्वर महादेव, चिंताहरण महादेव के अलावा क्षेत्रीय शिवालयों में भी भक्तों की भीड़ रहेगी। हम आपको बताते हैं मथुरा के चिंताहरण मंदिर के बारे में।

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    शिवलिंग स्वयं भू है

    चिंताहरण महादेव में शिवलिंग स्वयं भू है। श्रद्धा से एक लोटा यमुना जल चढ़ाने से 1108 शिवलिंग पर जल चढ़ाने का फल मिलता है। मंदिर की विशेषताएंचिंताहरण महादेव भक्तों की चिंता दूर करते हैं। श्रृद्धा भाव से चिंताहरण महादेव पर एक लोटा जल चढ़ाने से मनोकामना पूरी होती है। चिंताहरण महादेव श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं।

    मंदिर का इतिहास

    द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने माटी खाई तो मुख में ब्रह्मांड दिखाया। मैया यशोदा को चिंता होने लगी कि यह मेरा लाला नहीं, यह कोई देवता या दानव है। मैया ने भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव ने यशोदा की चिंता हर ली और वहीं विराजमान हो गए। पंडा समाज का कहना है कि तभी से चिंताहरण महादेव की पूजा हो रही है।

    चिंताहरण महादेव की लीलाएं महान हैं। जिस भक्त ने श्रृद्धा भाव से पूजा-अर्चना की, उसकी चिंताएं महादेव ने हर लीं। चिंताहरण महादेव सभी की चिंताओं को हरण करने वाले हैं। सावन के सोमवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। केशव देव महाराज- महंत

    चिंताहरण महादेव मंदिर आने से चिंता दूर होती हैं। भक्त आया उसकी निश्चित ही सारी चिंताएं दूर हुई हैं। दस वर्ष से हर सोमवार को चिंताहरण महादेव मंदिर पर आ रहें हैं। यहां आने से मन को शांति मिलती है। रोहित अग्रवाल - महावन

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    ऐसे पहुंचे मंदिर

    महावन में यमुना किनारे चिंताहरण महादेव मंदिर है। मथुरा बस स्टैंड से प्राइवेट वाहनों से गोकुल व महावन होकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। बलदेव से भी प्राइवेट वाहनों से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।