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    सुप्रीम कोर्ट से रोक के बाद भी यमुना से होता रहा बालू का खनन, उस पर भी गजब; दो दशक से तैनात लेखपाल को भनक तक नहीं लगी

    By Shashikant Gupta Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Sat, 27 Dec 2025 07:46 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की रोक के बावजूद आगरा के एत्मादपुर तहसील में यमुना से अवैध बालू खनन जारी है। करीब 20 साल से तैनात लेखपाल को इसकी जानकारी न होन ...और पढ़ें

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    यमुना की खादर में होते बालू खनन की गवाही देते ट्रैक्टर ट्रॉलियों के निशान।

    संसू, जागरण–कुबेरपुर (आगरा)। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की ओर से कई सालों से यमुना में बालू खनन पर रोक लगी हुई है। उसके बावजूद बड़े पैमाने पर चोरी छिपे खनन जारी है। एत्मादपुर तहसील क्षेत्र के रहनकलां–रायपुर यमुना खादर में वर्षों से जारी अवैध बालू खनन का मामला उजागर होने के बाद प्रशासनिक निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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    हैरानी की बात यह है कि करीब 20 वर्षों से इलाके में तैनात लेखपाल को खनन की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही गई, जबकि मौके पर खनन के स्पष्ट और पुराने निशान मौजूद हैं। जांच के दौरान गाटा संख्या 902/3 की करीब 15.5330 हेक्टेयर यमुना खादर भूमि में बड़े पैमाने पर खुदाई पाई गई।

    जमीन से 10 मीटर तक गहरी खुदाई, चौड़े व पुराने कटाव, रेत के टीले और ट्रैक्टर-ट्रॉली के स्थायी आवागमन मार्ग साफ तौर पर दर्शाते हैं कि खनन किसी एक दिन की गतिविधि नहीं, बल्कि लंबे समय से लगातार होता रहा है। इसके बावजूद रिपोर्ट में खनन को “आज ही हुआ” और बालू को “आज ही भरकर लाई गई” बताया गया।

    जांच में यह भी दर्ज किया गया कि खनन अज्ञात व्यक्तियों द्वारा फावड़ों के जरिए किया गया, जिससे करीब 8 से 10 ट्रॉली बालू निकाली गई। खनन से संबंधित कोई वैध अनुमति, पट्टा अथवा प्रपत्र मौके पर प्रस्तुत नहीं किए जा सके।इसके बावजूद कार्रवाई केवल नापतोल और रिपोर्ट तैयार करने तक सीमित रही।

    न तो खनन गतिविधियों पर तत्काल रोक के संकेत मिले और न ही जिम्मेदार लोगों की पहचान तय कर उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठता दिखाई दिया। पूरे प्रकरण में अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब इलाके में दो दशक से एक ही लेखपाल तैनात है, तो इतने बड़े पैमाने पर चला अवैध बालू खनन उसकी नजर से कैसे ओझल रहा?

    और क्या वर्षों से जारी इस गतिविधि को “आज का मामला” बताकर रिकॉर्ड में सीमित करने की कोशिश की गई है? हालांकि मामले की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजे जाने की बात कही जा रही है, लेकिन आगे की कार्रवाई की दिशा और गंभीरता अब भी स्पष्ट नहीं हो सकी है।