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    Pitra Paksha 2020: पितरों की तृप्ति के लिए बहुत जरूरी है हवन, जानिए विधि एवं मंत्र

    By Tanu GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 08 Sep 2020 08:27 AM (IST)

    Pitra Paksha 2020 श्राद्ध कर्म पूर्ण होता है जब विधान से अग्नि में वैदिक मंत्रों के साथ आहुतियां भी दी जाएं।

    Pitra Paksha 2020: पितरों की तृप्ति के लिए बहुत जरूरी है हवन, जानिए विधि एवं मंत्र

    आगरा, जागरण संवाददाता। भादों की पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक के सोलह दिन पितरों की जागृति के दिन होते हैं जिसमें पितर देवलोक से चलकर पृथ्वी की परिधि में सूक्ष्म रूप में उपस्थित हो जाते हैं तथा भोज्य पदार्थ एवं जल को अपने वंशजों से श्रद्धा रूप में स्वीकार करते हैं। माना जाता है कि 349 दिन उनके लिए रात्रि होती है। इन विशेष दिनों को ही पितृ पक्ष कहते हैं। इन विशेष दिनों में सनातन धर्म की परम्परा के अनुसार प्रत्येक गृहस्थ पितृगण की तृप्ति के लिए तथा अपने कल्याण के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं लेकिन ये कर्म तभी पूर्ण होता है जब विधान से अग्नि में वैदिक मंत्रों के साथ आहुतियां भी दी जाएं। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी का कहना है कि वैदिक परम्परा के अनुसार विधिवत् स्थापित अग्नि में वैदिक मन्त्रों की दी गयी आहुतियां धूम्र और वायु की सहायता से आदित्य मण्डल में जाती हैं। वहां उसके दो भाग हो जाते हैं। पहला भाग सूर्य रश्मियों के द्वारा पितरों के पास पितर लोकों में चला जाता है और दूसरा भाग वर्षा के माध्यम से भूमि पर बरसता है जिससे अन्न, पेड़, पौधे व अन्य वनस्पति पैदा होती है। उनसे सभी प्राणियों का भरण-पोषण होता है। इस प्रकार हवन से एक ओर जहां पितरगण तृप्त होते हैं, वहीँ दूसरी ओर जंगल के जीवों का कल्याण होता है।

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    हवन विधि

    पंडित वैभव के अनुसार अपने माता-पिता, दादा-दादी या परदादा-परदादी के श्राद्ध के दिन नित्य नियम से निवृत्त होकर मार्जन, आचमन, प्राणायाम कर कुश(एक जंगली पवित्र घास) को धारण कर सर्वप्रथम संकल्प करना चाहिए। उसके बाद संस्कारपूर्वक अग्नि स्थापित कर विधि- विधान सहित अग्नि प्रज्ज्वलित कर, अग्नि का ध्यान करना चाहिए। पंचोपचार से अग्नि का पूजन कर उसमें चावल, जल, तिल, घी बूरा या चीनी व सुगन्धित द्रव्यों से शाकल्य की 14 आहुतियां देनी चाहिए। अन्त में हवन करने वाली सुरभी या सुर्वा से हवन की भस्म ग्रहण कर, मस्तक आदि पर लगा कर, गन्ध, अक्षत, पुष्प आदि से अग्नि का पूजन और विसर्जन करें और अन्त में आत्मा की शान्ति के लिए परमात्मा से प्रार्थना करें--

    ॐ यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या

    तपोश्राद्ध क्रियादिषु।

    न्यूनं सम्पूर्णताम् याति

    सद्यो वंदेतमच्युतम।।

    इस प्रकार विधिवत् हवन करने से पितर प्रसन्न व संतुष्ट होते हैं तथा श्राद्धकर्ता अपने कुल- परिवार का सर्वथा कल्याण करते हैंं।