'सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं', UP के 7वें करोड़पति ने बताया- कैसे करना है हफ्ते के 6 दिन काम?
हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 में शामिल गुलाब चंद लधानी के बेटे परितोष लधानी वृंदावन एग्रो ग्रुप का विस्तार कर रहे हैं। उनका लक्ष्य नेटवर्थ को 10 हजार करोड़ तक पहुंचाना है। परितोष पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान देना चाहते हैं। वे ताजमहल के आसपास के गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए चिल्ड्रेन ऑफ आगरा नामक एक पहल शुरू करेंगे।

जागरण संवाददाता, आगरा। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2025 में देश में 574 और प्रदेश में सातवें स्थान पर आने वाले वृंदावन एग्रो के स्वामी गुलाब चंद लधानी कोका-कोला की तीन राज्यों में बाटलिंग करते हैं।
5130 करोड़ के स्वामी कोक के 24 प्रतिशत कारोबार दे रहे हैं। रियल एस्टेट, होटल्स और रिन्यूवल एनर्जी में कार्य करते हुए बेटे परितोष लधानी ने विस्तार दिया तो शहर के सबसे अमीर होने के साथ ही वे पर्यावरण संरक्षण के साथ गरीबों, वंचितों के लिए भी चिंतित हैं।
47 वर्षीय परितोष कहते हैं कि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता है। सप्ताह में एक दिन आराम कर लीजिए, लेकिन छह दिन काम करना ही होगा। वह भी 11 से 12 घंटे या उससे अधिक भी हो सकता है।
वृंदावन एग्रो ग्रुप के सच्चानंद लधानी, लक्ष्य लधानी, मोहन लधानी और गुलाब चंद लधानी ने वर्ष 1970 में अयोध्या से बाटलिंग प्लांट की शुरुआत की थी। विभिन्न ब्रांड के लिए बाटलिंग करते हुए कारोबार ने रफ्तार पकड़ी और वर्ष 1993 से सिर्फ कोका-कोला के लिए बाटलिंग करना शुरू किया।
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इसके बाद हास्पिटिलिटी के क्षेत्र में उतरे और होटल्स की शुरुआत की। ताज कन्वेंशन सेंटर शुरू किया और गोवा में भी ताज के साथ होटल शुरुआत करने की वार्ता चल रही है। फाेर सीजन से भी अनुबंध हुआ। परितोष लधानी ने बताया कि वहे पर्यावरण संरक्षण को लेकिर चिंतित हैं और पिता भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।
इसलिए रिन्यूवल एनर्जी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं और कई राज्यों में विंड एनर्जी प्लांट खड़े हैं। जल्द ही महाराष्ट्र में सोलर एनर्जी पर भी प्लांट लगाने की शुरुआत होगी। रियल एस्टेट में भी वह कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अपने नेटवर्थ को दो गुणा कर 10 हजार करोड़ ले जाने का लक्ष्य है। इसमें समय लगेगा, लेकिन मेहनत को तैयार है।
दो वर्ष में देश में टाप 300 में आना है और पांच वर्ष में कठिन परिश्रम के साथ टाप 100 में जगह बनानी है। वर्ष 2013 से वे नोएडा शिफ्ट हो गए हैं, लेकिन पिता और अन्य स्वजन अभी लाजपत कुंज में ही रहते हैं।
बंटवारे से पहले आ गया था परिवार
परितोष बताते हैं कि परिवार बंटवारे से पहले 1945 में इलाहाबाद आ गया था। दादा बूटा मल इलाहाबाद के पास शंकरगढ़ में पेटी कांट्रेक्टर के रूप में कार्य करते थे। इसके बाद 1970 में परिवार अयोध्या शिफ्ट हो गया। मेरा जन्म भी वहीं हुआ था।
हाथरस में कोका कोला के लिए बनी थी पहली बोतल
वर्ष 1993 में कोक कोला कंपनी के लिए हाथरस में पहली बोतल लधानी ग्रुप ने बनानी शुरू की। इसके बाद कार्य को विस्तार देते चले गए। वर्तमान में कंपनी का 24 प्रतिशत व्यापार कर रहा है। उप्र में अगर एनसीआर छोड़ दें तो पूरी बाटलिंग लधानी ग्रुप ही करता है। वर्ष 1995 में लखनऊ, अयोध्या और उसके बाद 1997 में बरेली में बाटलिंग प्लांट लगाया गया। मथुरा के छाता सहित उप्र में कुल छह प्लांट है।
बिहार और उत्तराखंड की है पूरी जिम्मेदारी
लधानी ग्रुप बिहार में कोका-कोला के लिए बाटलिंग की पूरी जिम्मेदारी संभाले हुए है। पटना में एक प्लांट चल रहा है, जबकि दूसरा बक्सर में तैयार हो रहा है। इसके साथ ही उत्तराखंड की भी पूरी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।
सेंट कानरेड्स किया था टाप, यूके से किया एमबीए
परितोष ने सेंट कानरेड्स स्कूल से वर्ष 1995 में 12वीं टाप किया था। इसके बाद सेंट जोंस कालेज से बीकाम आनर्स किया। इसके बाद यूके गए और एमबीए किया। वहां से लौट वर्ष 1999 से पूरी तरह से कारोबार को संभालना शुरू कर दिया।
ताज के आसपास घूमने वाले गरीब बच्चों को बनाना है शिक्षित
परितोष लधानी ने बताया कि नोएडा भले ही रह रहे हैं, लेकिन पले, बढ़े और शिक्षा प्राप्त की अपने शहर के लिए कुछ करने की इच्छा बनी रहती है। ताजमहल के आसपास जो बच्चे घूमते हैं उनको शिक्षा से जोड़ने के लिए चिल्ड्रेन आफ आगरा नाम से जल्द ही शुरुआत की जाएगी।
ऐसे बच्चे अपराध की ओर मुड़ जाते हैं और वैसे भी देश ही नहीं विदेश से आने वाले पर्यटकों के सामने भी शहर की छवि खराब तरे हैं। पत्नी अलका लधानी जो होटल्स में फूड क्वालिटी को बेहतर बनाने में सहयोग करती है उनके और अन्य के साथ इस पर कार्य शुरू होगा। पुस्तकें उपलब्ध कराने से अन्य व्यवस्था की जाएगी।
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