ऑल OK! अरावली पहाड़ी खनन जांच में अधिकारियों की लीपापोती, यूपी सीमा में खनन के बावजूद 'सब ठीक' की रिपोर्ट
आगरा में अरावली पहाड़ी पर अवैध खनन की जांच करने पहुंची अधिकारियों की टीम ने 'सब ठीक' होने की रिपोर्ट दी है। दैनिक जागरण की खबर के बाद डीएम के निर्देश ...और पढ़ें

अरावली पर्वत श्रंखला पर खनन की जांच करने पहुंचीं एडीएम वित्त राजस्व शुभांगी शुक्ला। साथ हैं एसडीएम रिषि राव और एसीपी प्रीता दुबे व अन्य अधिकारी। सौजन्य प्रशासन
जागरण संवाददाता, आगरा। राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा पर फैली अरावली की विस्तारित व अवशेष पहाड़ियों की जांच को पहुंचे अधिकारियों ने लीपापोती कर दी। खनन के स्थान से 12 मीटर दूर तक उत्तर प्रदेश की सीमा थी।मौके की हालत खनन की गवाही दे रही थी।
मगर, अधिकारियों को उत्तर प्रदेश की सीमा में खनन और ब्लास्टिंग के कोई अवशेष नहीं मिले।अधिकारियों को देखकर राजस्थान के खनन ठेकेदार के कर्मचारी मौके से भाग गए।तीन घंटे की जांच के बाद अधिकारियों ने डीएम को ओके की रिपोर्ट देकर दामन साफ कर लिया। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) अगर उच्च स्तरीय जांच हुई तो अधिकारियों की इस रिपोर्ट का सच सामने आ जाएगा।
खनन के स्थान से 12 मीटर दूर तक थी यूपी की सीमा, रिपोर्ट में सब ठीक
खेरागढ़ तहसील के गांव कुल्हाड़ा के उत्तर में खेत समाप्त होने के बाद गाटा संख्या दो में अरावली के पहाड़ राजस्व अभिलेख में दर्ज हैं।कुल्हाड़ा के उत्तर में राजस्थान का मैरथा गांव है।रविवार को दैनिक जागरण की टीम ने यहां की पड़ताल की तो पहाड़ों पर डायनामाइट लगाकर खनन होता हुआ मिला।दैनिक जागरण की खबर को संज्ञान में लेते हुए डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला के नेतृत्व में खनन और राजस्व विभाग की टीम दोपहर 12.30 बजे कुल्हाड़ा के पास स्थित पहाड़ी पर पहुंची।एसडीएम खेरागढ़ रिषि राव और एसीपी खेरागढ़ प्रीता दुबे भी साथ में थीं। जांच अधिकारी उस स्थान पर भी पहुंचे, जहां रविवार को डायनामाइट लगाकर ब्लास्ट किया जा रहा था।
अपनी गर्दन बचाने को राजस्व अभिलेख के तथ्यों को भी किया जा रहा दरकिनार
एडीएम वित्त एवं राजस्व ने वहां मौजूद राजस्व विभाग की टीम से नक्शा देखने को कहा।राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि जिस स्थान पर पत्थर पड़े हैं वहां से 12 मीटर दूर तक उत्तर प्रदेश की सीमा है।अधिकारियों की गाड़ियों का काफिला देखकर खनन करने वाले पहले ही वहां से भाग गए। राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा को चिह्नित करने को वर्ष 2016 में लगाई गई मुड्डियां आगे-पीछे लगी थीं।किसी मुड्डी पर कोई नंबर भी नहीं पड़ा है। इनमें से कुछ मुड्डी पुरानी और कुछ चमकती हुई दिख रही हैं। मगर, अधिकारियों को यह यथास्थिति में दिखी हैं।
डीएम को दी रिपोर्ट में कहीं ये बातें
शाम को डीएम को दी गई रिपोर्ट में कहा गया कि मुड्डियां यथास्थान लगी थीं और उत्तर प्रदेश के सीमा क्षेत्र में खनन और ब्लास्टिंग के कोई चिन्ह नहीं दिखे। मुड्डियों से लगे राजस्थान के क्षेत्र में खनन होता मिला।एडीएम वित्त एवं राजस्व शुभांगी शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश की सीमा क्षेत्र में कहीं भी खनन और ब्लास्टिंग के कोई चिन्ह नहीं देखे गये। उक्त क्षेत्र में यथास्थिति बरकरार रखे जाने हेतु एसडीएम और एसीपी को निर्देशित किया गया है कि क्षेत्र में पुलिस की निगरानी बढ़ा दी जाए। साथ ही लेखपाल के माध्यम से भी क्षेत्र में निगरानी रखी जाए।
इन प्रश्नों के कौन देगा जवाब
जांच करने पहुंची टीम ने राजस्व विभाग के नक्शे के आधार पर पैमाइश कराकर सीमा निर्धारण क्यों नहीं देखा। क्योंकि पूर्व में हुआ सीमा निर्धारण के बाद मुड्डियों से छेड़छाड़ की गई है।यह स्पष्ट दिख रहा है।
मुड्डियों पर कोई नंबर नहीं हैं। इनके आकार भी अलग-अलग हैं और रंग भी। ऐसे में यह कैसे मान लिया जाए कि ये वर्ष 2016 में लगाई गई मुड्डियां ही हैं?
जिस स्थान पर रविवार को पत्थरों में डायनामाइट लगाकर ब्लास्ट किया गया, वहां पत्थर बिखरे पड़े थे। यह स्थान उत्तर प्रदेश की सीमा में था।नक्शे के हिसाब से इससे 12 मीटर दूर तक सीमा उत्तर प्रदेश की है।ऐसे में यह कैसे माना गया कि उत्तर प्रदेश की सीमा में खनन नहीं हो रहा?
अधिकारियों ने अपनी जांच में पाया कि उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे राजस्थान के क्षेत्र में अरावली पर खनन हो रहा है।यह क्षेत्र भी टीटीजेड में आता है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि पिछले दिनों ड्रोन से किए गए सर्वे के बाद भरतपुर के प्रशासनिक अधिकारियों से इसे रोकने को पत्राचार क्यों नहीं किया गया?

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